शिवराज और भाजपा विधायकों के बीच संवेदनहीनता की स्थिति निर्मित!
फोरलेन मामले में ग्यारह माह में नहीं हो सका विधायक सीएम संवाद
परांपरागत वोटर्स तक की परवाह नहीं भाजपा को
(लिमटी खरे)
फोरलेन मामले में ग्यारह माह में नहीं हो सका विधायक सीएम संवाद
परांपरागत वोटर्स तक की परवाह नहीं भाजपा को
(लिमटी खरे)
सिवनी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के कार्यकाल की महात्वाकांक्षी स्वर्णिम चतुभुर्ज सडक परियोजना के अंग बने उत्तर दक्षिण और पूर्व पश्चिम गलियारे में से एक नार्थ साउथ कारीडोर के सिवनी से होकर गुजरने के मामले में चल रहे विवादों के बारे में पिछले साल 22 अगस्त को भाजपा विधायकों के एक प्रतिनिधिमण्डल को आश्वासन देने के उपरांत आज तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पलटकर विधायकों की ओर नहीं देखा है।
गौरतलब होगा कि पिछले साल 21 अगस्त को भगवान शिव के नाम पर बसे सिवनी जिले की भोली भाली जनता ने उत्तर दक्षिण गलियारे की फोरलेन के यहां से गुजरने को लेकर आशंकाओं कुशंकाओं के प्रकाश में आने के उपरांत अपना रोद्र रूप दिखाया था, और 21 अगस्त 2009 को सिवनी जिले के नागरिकों ने एतिहासिक जनता कर्फयू का आगाज किया था।
जनता का आक्रमक चेहरा देखकर भाजपा के विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, श्रीमति शशि ठाकुर और सांसद के.डी.देशमुख सहित कांग्रेस के सांसद सदस्य बसोरी मसराम और विधायक ठाकुर हरवंश सिंह घबरा गए। भाजपा विधायकों ने अगले ही दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सिवनी वासियों की भावनाओं से आवगत कराया था।
इसके उपरांत भारतीय जनता पार्टी की सिवनी इकाई के माध्यम से एक पत्र विज्ञप्ति सिवनी की मीडिया की फिजां में तैर गई थी जिसमें उल्लेख किया गया था कि विधायकों ने सिवनी वासियों की भावनाओं से मुख्यमंत्री को आवगत कराया गया है, मुख्यमंत्री ने विधायकों की बात सुनकर सिवनी वासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए मध्य प्रदेश शासन की ओर से माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन इस प्रकरण के बारे में एक अधिवक्ता खडा करने और सिवनी वासियों का पक्ष रखने का आश्वासन दिया था।
अगस्त 2009 के उपरांत जुलाई 2010 तक फोरलेन विवाद के मसले में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने पूरी तरह खामोशी अख्तियार कर रखी है। लगभग एक साल तक अगर मध्य प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के विधायक व्यक्तिगत तौर पर अगर अपने ही मुख्यमंत्री से सिवनी के हितों की बातों के बारे में चर्चा न कर पाएं हों तो इसे यही माना जा सकता है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और उनके दल के विधायकों के बीच संवादहीनता की स्थिति बन चुकी है।
सिवनी जिले के जागरूक विधायकों ने इस बारे में विधानसभा में भी प्रश्न लगाना उचित नहीं समझा है। सिवनी जिले की जनता को आज भी इस बात की जानकारी नहीं है कि फोरलेन विवाद के मसले में मध्य प्रदेश की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी द्वारा देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले के लोगों की भावनाओं के अनुरूप किस वकील को माननीय सर्वोच्च न्यायलय मंे खडा किया है, और उसने क्या कार्यवाही की है। यह प्रसंग साबित करता है कि सिवनी में सालों से भाजपा का परचम लहराने वाली भारतीय जनता पार्टी को उसके परंपरागत वोटर्स की कितनी फिकर है।
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