0 सीबीएसई मान्यता की कतार में खडे स्कूलों की तथा कथा
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में सीबीएसई के नाम पर गोरखधंधा जमकर मचा हुआ है। सीबीएसई के नाम पर सुविधाओं के अभाव में संचालित हो रही शालाओं और गैर मान्यता प्राप्त शालाओं द्वारा सीबीएसई के नाम पर पालकों और विद्यार्थियों को जमकर लूटा जा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार का शिक्षा विभाग ध्रतराष्ट्र की भूमिका मंे दोनों आंखों पर पट्टी बांधे सब कुछ देख सुन रहा है। न तो जिला प्रशासन को ही इस बारे में कार्यवाही करने का होश है और न ही जिला शिक्षा अधिकारी ही कोई रूचि ले रहे हैं। सांसद, विधायकों के साथ सारे जनसेवक सुसुप्तावस्था में ही सब कुछ होता देख रहे हैं। सीबीएसई का क्षेत्रीय कार्यालय राजस्थान के अजमेर में है सो वहां तक इसकी आवाज पहुंचना मुश्किल ही प्रतीत होता है। यही कारण है कि सिवनी में राज्य शासन के स्कूल बोर्ड और केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के अधीन संचालित शालाओं में जबर्दस्त तरीके से लूट मची हुई है।
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दस घंटे उलझाए रखा सेंट फ्रांसिस स्कूल ने अपने बच्चों को
सिवनी. वर्ष २०१० - २०११ के शैक्षणिक सत्र के आरंभ होने के साथ ही नगर में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित किए जाने वाले सेंट फ्रांसिस स्कूल द्वारा मंगलवार को अपने स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों को अकारण ही लगभग दस घंटे तक अटकाए रखा. मासूब अबोध बच्चे भूखे प्यासे स्कूल प्रबंधन के तुगलकी रवैए के चलते मंगलवार को सारा दिन हलाकान ही होते रहे.
प्राप्त जानकारी के अनुसार सेंट फ्रांसिस स्कूल द्वारा इस साल सीबीएसई बोर्ड से मान्यता की प्रक्रिया की जा रही है. इसी प्रक्रिया के तहत शाला प्रबंधन द्वारा जबलपुर मार्ग पर लगभग सात किलोमीटर दूर एक भूखण्ड पर भवन निर्माण का काम आरंभ किया गया था. कच्छप गति से चलने वाले उक्त निर्माण कार्य में अचानक पंख उस वक्त लगे जब सीबीएसई बोर्ड का जांच दल सेंट फ्रांसिस स्कूल में निरीक्षण को आया.
बताया जाता है कि उक्त जांच दल ने नए शैक्षणिक सत्र के आरंभ होने के साथ ही शाला को नए भवन में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. संभवतरू उसी के चलते शाला प्रबंधन ने आनन फानन ही बिना किसी ठोस कार्ययोजना को पालकों को पिछले शिक्षा सत्र की समाप्ति के समय ही नए शैक्षणिक सत्र को नए आधे अधूरे भवन में आरंभ कराने का तुगलकी फरमान सुना दिया था.
मजे की बात तो यह है कि सेंट फ्रांसिस स्कूल प्रबंधन द्वारा इसके उपरांत भी नए शाला भवन के निर्माण का काम मंथर गति से ही चलाया गया. आलम यह था कि शाला का नवीन शिक्षण सत्र आरंभ हो गया और शाला भवन के दक्षिणी दिशा में बहने वाले नाले के पास बाउंड्री वाल का काम आरंभ ही नहीं किया गया था. दैनिक यशोन्नति द्वारा पूर्व में जब इस मामले को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था, तब जिला प्रशासन हरकत में आया. बताया जाता है कि जिला कलेक्टर सहित अनेक आला अफसरान ने मौके का मुआयना कर आवश्यक दिशा निर्देश भी सेंट फ्रांसिस स्कूल के शाला प्रबंधन को दिए थे.
यहां उल्लेखनीय होगा कि जब तक यह शाला सीबीएसई के हवाले नहीं हो जाती है तब तक राज्य शासन का पूरा नियंत्रण इस पर रहेगा. यह होने के बाद भी जिला शिक्षा अधिकारी के कानों में जूं भी नहीं रेंगी और उन्होंने शाला भवन की ओर रूख करना मुनासिब नहीं समझा. वर्तमान में भी शाला भवन पूरी तरह तैयार नहीं है.
आनन फानन में स्थानांतरित शाला भवन में तैयारियां पूरी न होने के कारण इस सेंट फ्रांसिस शाला के प्रबंधन को शुक्रवार से सोमवार तक का अवकाश घोषित करना पडा था. मंगलवार को जब शाला क सत्र आरंभ हुआ तब शहरी सीमा से लगभग पांच किलोमीटर दूर स्थित इस शाला भवन में स्टाफ और विद्यार्थियों को लाने ले जाने के लिए तीन यात्री बसों का इंतजाम किया गया था. विडम्बना ही कही जाएगी कि सेंट फ्रांसिस के प्रबंधन की अकुशलता और अदूरदर्शिता के परिणाम स्वरूप मंगलवार को दुधमुहे बच्चों को सुबह साढे छरू बजे घरे से निकलने पर मजबूर होना पडा और उनकी घर वापसी साढे चार बजे शाम तक बदस्तूर जारी रही.
जैसे ही दो बजने के बाद बच्चे घर नहीं पहुंचे बच्चों के अभिभावकों के मन में तरह तरह की शंकाएं आशंकाएं घुमडने लगीं. घडी का कांटा जैसे ही तीन बजने को स्पर्श किया वैसे ही पालकों के धैर्य और संयम का बांध टूट ही गया. चूंकि सेंट फ्रांसिस शाला के नए भवन में वर्तमान में दूरभाष है ही नहीं या है तो उसका नंबर किसी भी पालक के पास नहीं है, इसलिए पालकों की सांसे उपर की उपर नीचे की नीचे ही लटक गईं. अनेक पालकों द्वारा अपना जरूरी काम छोडकर शाला की ओर रूख करना आरंभ कर दिया. बाद में पता चला कि तीन बस के बाद भी बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण एक बस दो फेरे करेगी अतरू बच्चों को अकारण ही शाला में रोका गया है.
उधर सीबीएसई के भरोसमंद सूत्रों का दावा है कि सीबीएसई का जांच दल इसी माह शाला भवन का निरीक्षण करने आने वाला है. सूत्रों ने आगे बताया कि सीबीएसई की आधिकारिक वेव साईट www.cbse.nic.in पर यह जानकारी भी उपलब्ध हो सकेगी कि इस शाला के निरीक्षण के लिए आने वाले जांच दल में किस केंद्रीय या नवोदय विद्यालय के प्राचार्य आने वाले हैं.
सेंट फ्रांसिस शाला में अध्ययनरत बच्चों के अभिभावकों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार उनके द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि शाला के निरीक्षण को आने वाले जांच दल से किसी प्रकार संपर्क हो जाए और वे उन्हें इस हकीकत से आवगत करा सकें कि शाला प्रबंधन द्वारा उनके बच्चों के साथ किस कदर अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. साथ ही साथ कुछ अभिभावक तो बाकायदा वीडियो केमरा लेकर निरीक्षण के लिए आने वाले जांच दल से इस बारे में पूछताछ करेंगे कि जो भवन उन्होंने मौके पर देखा है वह सीबीएसई बोर्ड के मानकों के हिसाब से है कि नहीं अगर नहीं है तो क्या वे अपने प्रतिवेदन में इसका उल्लेख करेंगे. चर्चा तो यहां तक भी है कि सीबीएसई का एफीलेशन लेने के लिए सैटिंग का सहारा भी लिया जाता है. इस मामले में अभिभावकों सहित अनेक नागरिेकों ने सीबीएसई बोर्ड की वेव साईट को भी कई बार खंगाला है. चर्चा है कि अगर वाकई निरीक्षण दल के सदस्यों से पहले ही चर्चा कर वस्तुस्थिति बता दी गई तो शाला प्रबंधन की मुश्किलें बढने में देर नहीं लगेगी.
(क्रमशः जारी)
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