इक्कीसवीं सदी में भी बिना पंखे, कंप्यूटर के संचालित हो रहा है सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल
सिवनी। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का प्रलोभन दिखाकर पालक और विद्यार्थियों को जमकर लूटा जा रहा है, और प्रशासन की तंद्रा है कि टूटने का नाम नहीं ले रही है। सिवनी में संचालित होने वाली सीबीएसई की कतार में लगी शालाएं भले ही सीबीएसई से संबद्ध न हो पाई हों पर उसके नाम पर विद्यार्थियों को लुभाने में लगी हुई हैं। राज्य शासन की ओर से सिवनी में बिठाए गए जिला शिक्षा अधिकारी अगर सिवनी की शालाओं का औचक निरीक्षण कर अपने कर्तव्यों का निर्वहन ईमानदारी से करें तो इन शालाओं की अनियमितताओं के प्रकाश में आने में समय नहीं लगेगा।
सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल के बच्चों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार सीबीएसई के भय के चलते इस शाला ने आनन फानन में शाला का वर्ष 2010 - 2011 का शैक्षणिक सत्र शहर से लगभग सात किलोमीटर दूर जबलपुर रोड पर स्थानांतरित कर दिया है। शाला नए भवन में स्थानांतरित हुए लगभग एक माह से अधिक समय बीत चुका है, पर शाला प्रशासन ने अपने विद्यार्थियों के लिए पर्याप्त सुविधाएं भी मुहैया नहीं करवाई गई हैं।
सतही तौर पर अगर गौर फरमाया जाए तो इस शाला में खेल के मैदान के दक्षिणी दिशा के नाले पर बाउंड्री वाल का काम अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। गौरतलब है कि बारिश के मौसम में नाले में पानी का बहाव बहुत ही ज्यादा होता है। खुले मैदान में अगर छोटी कक्षा के बच्चे खेलते खेलते नाले तक जा पहुंचे तो किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही साथ बारिश में नाले से आने वाले कीट पतंगों और विषेले जीव जंतुओं को भी रोका नहीं जा सकता है। इस अनजाने खतरे से न केवल विद्यालय प्रशासन वरन् जिला प्रशासन भी अनिभिज्ञ है।
बार बार ध्यानाकर्षण के उपरांत विद्यालय प्रशासन द्वारा एक सिक्यूरिटी गार्ड की तैनाती अवश्य ही करवा दी गई है, पर इन सारे मामलात में जिला प्रशासन की भूमिका समझ से परे ही है। सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल के बच्चों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार बारिश के मौसम में उमस ने बच्चों को बेचेन कर रखा है, इसका कारण बडे कमरों में पंखों का अभाव ही है। कहा जा रहा है कि बिजली और अन्य खर्च को बचाने के चक्कर में सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल प्रशासन द्वारा अपने कक्षों में पर्याप्त मात्रा में पंखों को नहीं लगवाया गया है।
यहां एक बात और भी गौरतलब है कि सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल सिवनी द्वारा सीबीएसई के डंडे के डर से जिला मुख्यालय में कचहरी चौक के पास संचालित होने वाली शाला को आनन फानन शहर के बाहर निर्माणाधीन भवन में स्थानांतरित अवश्य कर दिया है, पर विद्यार्थियों के नए सत्र जो कि 20 जून से आरंभ हुआ था के एक माह बीतने के बाद भी संगणक (कम्पयूटर्स) को शोभा की सुपारी बनाकर पुराने कचहरी चौक के पास वाले भवन में ही संस्थापित किया हुआ है। जिसके परिणाम स्वरूप पहले यूनिट टेस्ट के आरंभ होने के साथ ही विद्यालय के बच्चे इक्कसवीं सदी में कम्पयूटर की प्रायोगिक शिक्षा से पूरी तरह महरूम ही हैं।
एक तरफ तो सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल विद्यालय प्रशासन द्वारा अपनी शाला को माध्यमिक शिक्षा मण्डल अर्थात मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड के स्थान पर केंद्रीय शिक्षा बोर्ड से संबद्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर शाला में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया नहीं करवाई जाना आश्चर्य जनक ही माना जा रहा है।
इस सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात तो यह है कि शाला में इस तरह की अनियमितताएं होने पर भी जिला शिक्षा अधिकारी के साथ ही साथ जिला प्रशासन द्वारा मुकर्रर प्रभारी अधिकारी अर्थात ओआईसी डिप्टी कलेक्टर द्वारा के कानों में भी इस मामले में जूं नहीं रेंग पा रही है। विद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों के पालकों के बीच चल रही चर्चाओं के अनुसार शाला प्रशासन से इन अधिकारियों की स्वार्थपूर्ति होने के चलते ही संभवतः शासन के मुलाजिमों ने शाला प्रशासन को अभिभावकों की जेबें काटने का लाईसेंस प्रदान किया हुआ है।
(क्रमशः जारी)
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