मंगलवार, 14 सितंबर 2010

चप्पल फीवर से घिरे हैं युवराज

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)

चप्पल फीवर से घिरे हैं युवराज

जब से राजनेताओं के उपर जूते चप्पल फेंकने की घटनाएं घटना आरंभ हो गई हैं, तब से राजनेताओं के मन में जूते चप्पलों का खौफ जबर्दस्त तरीके से छाने लगा है। पिछले दिनों कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री और युवराज राहुल गांधी के एक कार्यक्रम में भी चप्पल जूतों के डर की छाया साफ साफ दिखाई पड़ी। महाराष्ट्र के अकोला में पंजाब राव देशमुख कृषि विद्यापीठ में संपन्न हुए राहुल गांधी के कार्यक्रम में सुरक्षा कर्मियों द्वारा किसी भी छात्र को चप्पल पहनकर हाल के अंदर प्रवेश करने नहीं दिया गया। नाराज छात्रों द्वारा कार्यक्रम का अघोषित बहिष्कार कर दिया। राहुल गांधी एक दिन के प्रवास पर अकोला गए थे, जहां उन्हें युवाओं से सीधा संवाद स्थापित करना था। चप्पल फीवर के चलते राहुल गांधी के सुरक्षा कर्मियों ने विद्यार्थियों के बेल्ट और चप्पल बाहर ही उतरवाना चालू कर दिया। नाराज छात्रों ने नारेबाजी करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। जब सुरक्षा कर्मियों को अपनी भूल का एहसास हुआ तब तक तो चिडिया खेत चुग चुकी थी। राहुल गांधी भी अपने इस तरह के फीके कार्यक्रम से खासे खफा ही नजर आए।

सरकार कर रही है गरीबों का खाना खराब

देश में न्यायपालिका सर्वोच्च होती है, यह बात प्रायमरी स्कूल की कक्षाओं से लेकर प्रोढ़ावस्था तक हिन्दुस्तान में जतलाई जाती रही है। सरकारी गोदामों में सड़ते अनाज पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने चिंता जताकर सरकार को आड़े हाथांे लेते हुए फटकार लगाई थी कि अनाज को सड़ने के बजाए गरीबों में मुफत में बांट दिया जाए तो बेहतर होगा। देश के नीति निर्धारकों को इस बात की परवाह नहीं है कि गरीबों को दो वक्त की रोटी मिल रही है कि नहीं, उन्हें तो बस अपने वेतन भत्तों ेस मतलब है। पिछले साल केंद्र अक्टूबर माह से अब तक केंद्र सरकार द्वारा एक करोड़ दस लाख टन अनाज का आवंटन जारी किया था। राज्य सरकारों ने इसमें से महज 33 लाख 80 हजार टन अनाज ही उठाया है। दरसअल अनाज का की कीमत बहुत ज्यादा होती है, जिससे सूबों की सरकारें खरीदनें आनाकानी करती हैं। इसके अलावा ब्रेड और बिस्किट बनाने वाली कंपनियों द्वारा भी गरीबों के अनाज पर नजरें लगाई जाती हैं, जिससे निवाला गरीबों के पास जाने के बजाए इन कंपनियों के खाते में चला जाता है।

राम के भरोसे है भाजपा

भारतीय जनता पार्टी चाहे जो भी कहे पर वह भगवान राम को छोड़ने की स्थिति में कतई नहीं है। जब तब राम के नाम को भुनाकर सत्ता हासिल करने में भी भाजपा को गुरेज नहीं होता है। राम के नाम पर सबसे अधिक राजनैतिक रोटियां किसी ने सेंकी हैं, तो वे हैं राजग के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आड़वाणी। यह अलहदा बात है कि सत्ता की मलाई को चखने के साथ ही भाजपा द्वारा राम के नाम को ‘‘राम भरोसे‘‘ ही छोड़ दिया जाता है। केंद्र में तीन बार सत्ता का स्वाद चखने वाली भाजपा ने जब मौका मिला था, तब उसने राम के नाम का भरपूर उपयोग किया है। बाबरी ढांचे और राम जन्म भूमि के मामले में अभी इलहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला आना अभी बाकी है। इसके फैसले के बाद एक बार फिर राम एजेंडे पर भाजपा लौट आए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लखनऊ में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के समापन अवसर पर पुनः राम को याद करते हुए कहा है कि भाजपा सब कुछ छोड़ सकती है, राम को नहीं, क्योंकि राम, राष्ट्रीयता और भारतीय संस्कृति की पहचान है।


कामन वेल्थ गेम्स के चलते पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के भौडसी स्थित फार्म हाउस के दिन फिर सकते हैं। हरियाणा में 588 एकड़ में फैले इस फार्म हाउस में प्लांटेशन और झीलों के सोंदर्यीकरण का जिम्मा वन विभाग का था, साथ ही इसके रखरखाव और पर्यटकों को अकर्षित करने की जवाबदारी पर्यटन विभाग के कांधों पर दी गई थी। पूर्व में बनाई गई कार्ययोजना में पर्यटकों को रात रूकने की सुविधा भी इस फार्म हाउस में उपलब्ध कराने की व्यवस्था थी। अब जबकि राष्ट्रमण्डल खेलों के आयोजन में गिनती के ही दिन बचे हैं, तब किसी का ध्यान पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के फार्म हाउस की ओर नहीं जा रहा है। इस फार्म हाउस की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी प्रशासन को सौंपी गई थी, साथ ही साथ पर्यटकों को भीड़ भाड़ से दूर प्राकृतिक माहौल देने के लिए बीस अतिरिक्त कमरों के निर्माण की बात भी फिजा में थी। आज चंद्रशेखर के फार्म हाउस की हालत क्या है, इस बारे में सोचने समझने की न तो किसी के पास फुर्सत है और न ही इसमें किसी को लाभ ही दिख रहा है।

अवैध खदानों का गढ़ बना एमपी

देश के हृदय प्रदेश मध्य प्रदेश में शिव का राज चल रहा है। मध्य प्रदेश में इस समय सबसे अधिक कोई काम हो रहा है तो वह है, अवैध उत्खनन का। कांग्रेस का आरोप है कि शिवराज के संरक्षण में उनके नाते रिश्तेदार और भाजपाईयों द्वारा अवैध तौर पर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया जा रहा है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में कहा गया है कि पर्यावरण की स्वीकृति के बिना मध्य प्रदेश में 11 सौ से अधिक अवैध खदाने चल रही हैं। मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस एस.आर.आलम और जस्टिस अर.एस.गर्ग की युगल पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर कहा है कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत पांच हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र वाली खदानों के लिए पर्यावरण की अनुमति लेना अनिवार्य है। बताते हैं कि याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इस नियम के बाद भी पूरे प्रदेश में तकरीबन 11 सौ से अधिक रेत या बजरी खदानों के संचालन के लिए छूट प्रदान की है, जो अवैधानिक है।

राजघाट जाने से कतराते अमन के सौदागर

आधी धोती में उन ब्रितानियों को जिनका सूरज कभी नहीं डूबता था, को भारत देश से भगाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सम्मान में देश विदेश के लोग आकर दिल्ली के राजघाट में जाकर अपना मत्था अवश्य ही टेका करते हैं। पिछले कुछ दिनों से यह बात सामने आ रही है कि अमन के सौदागर जब भी भारत आए हैं, उन्होंने बापू की समाधी जाने से अपने आप को बचाकर ही रखा है। पिछले दिनों अतर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी के महानिदेशक मोहम्मद अली बरदेई जब इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित हुए तब बापू को श्रृद्धांजली अर्पित करने नहीं गए। इसके पहले विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक पास्कल लेमी ने भी तीन दिन दिल्ली में अपना समय बिताया पर वे भी राजघाट जाने से बचते रहे। और तो और समूची दुनिया में शांति बनाए रखने की बातों की हिमायती अमेरिका की विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन द्वारा दिल्ली यात्रा के दौरान राजघाट से दूरी बनाए रखी। कुल मिलाकर भारत सरकार द्वारा बापू के बारे में जाने अनजाने हर परिदृश्य में कम भाव दिए जा रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर बापू के नाम की ब्रेंडिंग की जरूरत है।

हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे

प्रख्यात साहित्यकार, व्यंग्यकार, कहानीकार रहे शरद जोशी ने एक व्यंग्य कथा लिखी थी, शीर्षक था ‘‘हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे‘‘। आज के परिदृश्य में भारत में यह बात सौ फीसदी फिट ही बैठ रही है। भारत में आज भ्रष्टों की तादाद बहुत ही ज्यादा हो चुकी है। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त रहे प्रत्युश सिन्हा का कहना है कि देश में महज 20 फीसदी लोग ही ईमानदार बचे हैं। हर तीन में से एक भारतीय भ्रष्ट है। सिन्हा का यह कहना वाकई पुराने दिनों या सत्तर के दशक की याद ताजा करता है कि सत्तर के दशक की सामप्ति तक भ्रष्टाचार में रत सरकारी कर्मचारी को लोग हिकारत भरी नजरों से देखा करते थे। इतना ही नहीं इसे सामाजिक तौर पर कलंक माना जाता था। उस समय हर कार्यालय में यही लिखा होता था कि घूस यानी रिश्वत लेना और देना दोनों ही अपराध है और लेने वाला तथा देने वाला दोनों ही पाप के भागी हैं।

नेहवाल ने चलाया तीर

भारत में कामन वेल्थ गेम्स होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। कामन वेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार की बातें अब केंद्र सरकार द्वारा मैनेज की जा चुकी हैं। कल तक भ्रष्टाचार के बारे में गला फाडने वाला मीडिया अब शांति से बैठ गया है। सब कुछ ‘‘मैनेज‘‘ है। इसी बीच राजीव गांघी खेल रत्न अवार्ड से नवाजी गई विश्व की तीसरे नंबर की बेडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने नया शिगूफा छोड दिया है। सायना का कहना है कि भारत देश कामन वेल्थ गेम्स आयोजित करने में सक्षम है ही नहीं। सबसे ज्यादा मजे की बात तो यह है कि सायना नेहवाल दिल्ली कामन वेल्थ गेम्स की ब्रांड एम्बेसेडर है। सायना की इस तरह की बयान बाजी से आयोजन समिति सकते में है। सायना की नजरें स्टेडियम पर गईं और उन्होने स्टेडियम की खुलकर आलोचना की है। अब जबकि समय कम बचा है तब एक ब्रांड एम्बेसेडर की इस तरह की टिप्पणी वाकई में आयोजकों के हाथ पैर फुलाने के लिए पर्याप्त है।

बदला लेकर रहेगी फिजा

भजनलाल परिवार की बहू रही फिजा मोहम्मद अब भी प्रतिशोध की आग में जल रही है। फिजा मानती है कि भजनलाल परिवार का राजनैतिक तौर पर अवसान हो चुका है। चंद्रमोहन के साथ शादी करने के बाद फिजा बनने वाली का कहना है कि धर्म कोई कपड़ा नहीं है जिसे बार बार बदला जाए। उनका कहना है कि वे फिजा हैं और फिजा ही रहेंगी। फिजा को खतरा है कि भजनलाल और चंद्रमोहन द्वारा पंजाब पुलिस के माध्यम से उन पर दबाव बनवाया जा रहा है कि वे भजनलाल परिवार पर चल रहे प्रकरण वापस ले लें। अकेले रहने का हवाला देते हुए फिजा का कहना है कि उन्होने भूपेंद्र ंिसंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार से सुरक्षा मांगी पर उन्हें सुरक्षा नहीं मिल सकी है। हरियाणा में बढ़ते अपराध के लिए शासन प्रशासन को भी आड़े हाथों लेते हुए फिजा का कहना था कि वे एक संगठन को खड़ा करने पर विचार कर रही हैं। अगर फिजा ने दम मारा तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में भजनलाल परिवार पर संकट के बादल छा सकते हैं।

पुच्छल तारा

आज के समय में धूम्रपान और मद्यपान के बढ़ते चलन को देखकर नीचम से समीर सिन्हा ने एक ई मेल भेजा है। शिक्षक ने अपने छात्र से पूछा कि दो एसे किंग के नाम बताओ जो लोगों के मुंुह पर मुस्कुराहट सुकून और शांति लाए हों। एक छात्र खड़ा हुआ और बोला -‘‘सर, स्मो ‘किंग‘ और ड्रिं ‘किंग‘।‘‘
दिन फिर सकते हैं चंद्रशेखर के फार्महाउस के

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