सीबीएसई मान्यता मिली नहीं, ख्वाब हैं इंजीनियरिंग कालेज के!
सिवनी 03 दिसंबर। भगवान शिव की नगरी में संचालित होने वाले शिक्षण संस्थाओं में केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की मान्यता को लेकर भ्रम की स्थिति बनी ही हुई है। किसे सीबीएसई बोर्ड ने अपनी मान्यता दी है, किसे नहीं यह बात आज भी साफ नहीं हो सकी है, और न ही मध्य प्रदेश सरकार के शिक्षा महकमे के जिला स्तर पर सर्वोच्च कमांडिंग आफीसर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट करना ही श्रेष्यस्कर समझा है।
जिला शिक्षा अधिकारी के मौन रवैए से नवमी, से लेकर बारहवीं के विद्यार्थियों के पालकों में मानस पटल पर छाए संशय के बादल छटने के बजाए घुमड़ने आरंभ हो गए हैं। जैसे जैसे नवमी कक्षा में सीबीएसई के एनरोलमेंट की तारीख पास आती जा रही है, वैसे वैसे विद्यार्थियों के पालकों के हृदय की धड़कने तेज होना आरंभ हो गई हैं।
पालकों के मन में यह बात अब भी घूम रही है, कि उनके आखों के तारे आखिर सीबीएसई बोर्ड के अधीन शिक्षा दीक्षा ग्रहण कर परीक्षा देंगे अथवा उन्हें मध्य प्रदेश बोर्ड के तहत परीक्षा देने पर मजबूर किया जाएगा? गौरतलब है कि दसवीं बोर्ड कक्षा के लिए नामांकन एक साल पूर्व अर्थात नवमीं कक्षा में ही करवा दिया जाता है। बोर्ड के पास चूंकि विद्यार्थियों की तादाद बहुत ज्यादा होती है अतः बोर्ड द्वारा एक साल की अवधि में इन्हें व्यवस्थित करने की गरज से ही नवमीं में इनका एनरोलमेंट किया जाता है।
नगर में संचालित होने वाली अनेक शालाओं द्वारा अपने यहां अध्ययनरत विद्यार्थियों के पालकों को आश्वस्त कराया गया था कि उनके आंखों के तारों को सीबीएसई बोर्ड के तहत ही परीक्षा दिलवाई जाएगी। इस हेतु सीबीएसई मान्यता की कार्यवाही उनकी शाला और सीबीएसई बोर्ड के बीच जारी है। बताया जाता है कि वर्ष 2010 - 2011 के शैक्षणिक सत्र लिए सीबीएसई बोर्ड की मान्यता संबंधी सिवनी की शालाओं के आवेदन में से अनेक शालाओं के आवेदन वांछित अर्हताएं पूरी न किए जाने पर निरस्त कर दिए गए हैं।
सीबीएसई बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय अजमेर के सूत्रों का कहना है कि इन शालाओं द्वारा एक बार फिर से शैक्षणिक सत्र 2011 - 2012 हेतु सीबीएसई बोर्ड की मान्यता के संबंध में आवेदन दिया गया है। इन शालाओं द्वारा अपने अपने कर्मचारियों को इस बात के लिए मुस्तैद रहने को कहा गया है कि कभी भी सीबीएसई बोर्ड का निरीक्षण दल आ सकता है, जिसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर रखी जाएं।
सूत्रों का आगे कहना है कि अभी तक किसी भी शाला के लिए इंस्पेक्शन कमेटी (आईसी मेम्बर) का गठन नहीं किया गया है, अतः जल्द ही निरीक्षण का प्रश्न ही नहीं उठता है। सूत्रों ने कहा कि जैसे ही आईसी मेम्बरान तय कर दिए जाएंगे वैसे ही इंटरनेट पर सीबीएसई की वेब साईट पर यह प्रदर्शित कर दिया जाएगा कि किस शाला का निरीक्षण किस केंद्रीय, जवाहर नवोदय या निजी शाला के प्राचार्य द्वारा किया जा रहा है। तब उस शाला में अध्ययनरत विद्यार्थियों के पालकों या अन्य संबंधितों द्वारा आई सी मेम्बरान के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है।
बहरहाल, जिले में निजी तौर पर चल रही एक शाला जिसे अभी सीबीएसई बोर्ड की मान्यता नहीं मिली सकी है, के द्वारा सिवनी में इंजीनियरिंग कालेज खोलने की कवायद करने की सुगबुगाहट भी मिल रही है। गौरतलब है कि ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में प्रदेश भर में कुकुरमुत्ते की तरह खुल इंजीनियरिंग कालेज की सफलता के परचम को देखकर लोग इसके दीवाने होते दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में उक्त शाला के संचालकों द्वारा सीबीएसई बोर्ड की मान्यता को दरकिनार कर अब सिवनी में ही इंजीनियरिंग कालेेज खोलने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। जो शाला प्रबंधन सीबीएसई बोर्ड की मान्यता लेने में अक्षम रहा हो, वह अगर इंजीनियरिंग कालेज की नींव रखता है, तो उसकी नींव कितनी खोखली होगी इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
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