सोमवार, 20 दिसंबर 2010

महाधिवेशन में रही बदइंतजामी

बदइंतजामी के साए में हुआ अधिवेशन
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस के मत्थे रहा कांग्रेस का 83वां महाधिवेशन पूरी तरह से बदइंतजामी के साए में संपन्न हुआ।  दिल्ली के नेताओं ने इसके इंतजामों का खूब ढिंढोरा पीटा, मीडिया में भी अधिवेशन की सफलता और इंतजामों को लेकर कसीदे गढ़े गए, किन्तु रविवार को जब यहां बुराड़ी गांव में अधिवेशन शुरू हुआ, तो सारे दावों की हवा ही निकल गई।
गौरतलब है कि इसी बुराड़ी के मैदान में निरंकारी लाखों का समागम करते हैं। लेकिन यहां कुल 15 हजार लोगों के आने से ही सभास्थल के बाहर दो किलोमीटर तक लंबा जाम लग गया। किसी को नहीं मालूम था कि उसके जाने का रास्ता किधर से है। कहीं कोई सूचना बोर्ड नहीं लगाए गए। शामियानों वालों ने गेट तो खूब ऊंचे लगा दिए, मगर उन पर कुछ नहीं लिखवाया गया। यहां तक कि प्रवेश और निर्गम एक ही रास्ते से था। वहीं पार्किंग थी। बड़े कांग्रेसी नेताओं, मंत्रियों सहित पत्रकारों, महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं, सीनियर सिटीजन्स को अपनी गाडिय़ों से एक किलोमीटर से ज्यादा पहले छोड़कर जाम लगी सड़क से पैदल आना पड़ा।

दो बार गाया गया वंदे मातरम
हद तो तब हो गई कि जब कांग्रेस के किसी भी कार्यक्रम की शुरू में गाए जाने वाले वंदे मातरम को दो -दो बार गाया गया। पहली बार तो वंदे मातरम शुरू होते ही साउंड सिस्टम धोखा दे गया। कार्यकर्ता पशोपेश में रहे फिर थोड़ी देर बाद दूसरी बार वंदे मातरम का गान हुआ।

एमपी वालों को लगा मानो सूबे में ही हैं
सभास्थल पर बार बार बिजली के जाने से मध्य प्रदेश से आए प्रतिनिधियों को लगा मानो वे अपने प्रदेश में ही हैं। हास परिहास के दौरान इस तरह की बातों का कार्यकर्ताओं ने जमकर मजा लिया। सभा स्थल पर साउंड सिस्टम कई बार फेल हुआ। एक बार तो साउंड सिस्टम फेल होने का बिहार के कार्यकर्ताओं ने जमकर फायदा उठाया। उन्होंने बिहार के प्रभारी मुकुल वासनिक के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। करीब 10 मिनट तक स्टेज पर बैठीं सोनिया गांधी सहित पार्टी के तमाम बड़े नेता खामोशी से यह हंगामा देखते रहे। कार्यक्रम में बिजली ने कई बार धोखा दिया। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित खुद बिजली की जांच-पड़ताल करने के लिए भाग-दौड़ करती रहीं।
खान पीन व्यवस्था रही बदहाल
सम्मेलन में खाने पीने की व्यवस्था को लेकर खासा खाका तैयार किया गया था। बाद में जब सम्मेलन संपन्न हुआ तब इन दावों की हकीकत सामने आ ही गई। खाने की छोडिए़, लोग चाय कॉफी को भी तरस गए। सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक रहे कार्यकर्ता, मीडिया कर्मियों को खाने के लिए लंबी लाइनें लगाना पड़ीं। लेकिन जब खाने तक पहुंचे पता चला खाना ही खत्म हो गया। कच्चे अधपके चावल और कच्ची तो कहीं जली रोटियांे का लुत्फ उठाया कार्यकर्ताओं ने। उधर दूसरी ओर मंत्रियों और बड़े नेताओं के लिए खाने का इंतजाम पूरी तरह से चाक चौबंद रहे।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

खान पीन व्यवस्था रही बदहाल
sab delhi ke mangat ram singhal ke deen
thi