अब वेब कास्टिंग के जरिये हो जाएं लाइव
नई दिल्ली (ब्यूरो)। ब्लाग की दुनिया में कुछ चमत्कार एसे हो रहे हैं जिन पर लोग सहज ही भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इंटरनेट पर ब्लागर्स ने जबर्दस्त तरीके से धूम मचाई हुई है। ब्लागर्स ने ब्लाग मंच को देश का पांचवा स्तंभ भी निरूपित कर दिया है। बीते 9 और 10 जनवरी को ब्लाग जगत में ऐसी घटना हुई जिससे न केवल ब्लाग जगत बल्कि सारे वे लोग आश्चर्य चकित हो गये जो संचार-क्रांति से जुड़े हुए हैं. हुआ यह कि खटीमा उत्तरांचल में एक ब्लागर्स मीटिंग होने वाली थी. इस में देश के कई नामी गिरामी ब्लागर इकट्ठा होने थे. दिल्ली से अविनाश वाचस्पति इस मीटिंग का जीवंत प्रसारण चाहते थे.उनके साथ समस्या यह थी कि उनको मीटिंग में सक्रिय रूप से उपस्थित रहना था और वे वेब पर लाइव भी रहें ऐसा संभव न था. इस समस्या का निदान हिन्दी ब्लाग जगत के प्रसिद्ध हस्ताक्षर गिरीश बिल्लोरे को जो जबलपुर में हैं को सौंप दी गई. विश्व में इन्टरनेट के जरिये हिंदी के प्रचार-प्रसार लिये काम करने वाले गिरीश बिल्लोरे स्वीडन की वेब साईट www.bambuser.com के सदस्य हैं जिसके जरिये वे अब तक सामाजिक एवम साहित्यिक मुद्दों पर 56 वेब प्रसारण कर 1820 दर्शकों तक पहुंच चुके हैं. जो अपने आप में एक रिकार्ड है . उनके द्वारा जबलपुर के श्री अमृतलाल वेगड़ की कृति- अमृतस्य नर्मदा का पाठ (5 भागों में), बेलफास्ट से हिन्दी कवि दीपक मशाल से भेंट्वार्ता,ब्लागर समीरलाल (कनाडा) तथा बी०एस०पाबला(छतीसगढ़),लिमटी खरे(दिल्ली), डा०सुभाष शर्मा एवम डा० उमाशंकर नगाइच (भोपाल), डा०अजित गुप्ता (मेवाड़-राजस्थान) से बातचीत सर्वाधिक लोकप्रिय रहे प्रसारणों सहित “अब तक 56” प्रसारण किये हैं. गिरीश बिल्लोरे द्वारा सीमित साधन और असीमित प्रयास से खटीमा उतरांचल से प्राप्त वीडियो का लाईव-रिले,(अनुप्रसारण)अपने ब्लाग मिसफिट: सीधीबात http://sanskaardhani-blogspot-com/2011/01/live&from&khateema_08-html पर किया. साथ ही विभिन्न एग्रीगेटर्स खासकर ब्लागप्रहरी (दिल्ली), सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक,ट्विटर, गूगल-बज्ज आदी के जरिये भी वेबकास्टिंग की गई.
वेबकास्टिंग क्या है
बैमबजर एवम नेजममउ नामक दो वेब साइटस अपने पंजीकृत सदस्यों को निःशुल्क वेब पर प्रसारणों का अवसर देती है. थ्री-जी तकनीकि के आने के बाद आप सेलफोन के जरिये भी इसका लाभ ले सकते हैं. वर्तमान में इस तकनीकी का प्रयोग (ब्लाग जगत में ) कम ही लोग कर पा रहे हैं उनमे अविनाश वाचस्पति (दिल्ली), अर्चना चावजी (इन्दौर) तथा गिरीश बिल्लोरे (जबलपुर) . इनका कहना है कि इस कार्य को आसानी से सीखा एवम किया जा सकता है. करने में सतत अभ्यास एवम प्रसारण हेतु सर्व सुविधा युक्त साउन्ड-प्रूफ स्टूडियो आवश्यक होती है किंतु हम देर रात तक काम करके पाडकास्ट और वेब कास्ट तैयार करतें हैं. यह हम शौकिया करते हैं बिना किसी आर्थिक लाभ के.
4 टिप्पणियां:
लिमटी जी आभार
गिरीश जी को बधाई । यह तकनीक ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचे ।
हास नहीं
परिहास नहीं
वर्तमान है यह शुभ
और बनता जा रहा इतिहास है
आप इस इतिहास को
अपने प्रयास से
और फैला सकते हैं
जिससे बटोरा न जा सके
अच्छाईयों को इस युग में
और फैलाया जाये।
गिरीश जी नवोन्मेष करते रहते हैं।
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