नई दिल्ली। कांग्रेस की नजरों में भविष्य के वजीरे आजम राहुल गांधी की करीबी एवं मध्य प्रदेश से मंदसौर संसदीय क्षेत्र की संसद सदस्य सुश्री मीनाक्षी नटराजन सूबे के वरिष्ठ कांग्रेसियों की आखों में खटकने लगी हैं। अंग्रेजी पर बेहतर पकड़ के चलते राहुल गांधी की टीम में शामिल मीनाक्षी को मुख्य धारा से अलग करने के लिए कांग्रेसियों ने उनके खिलाफ गुप्त रूप से विषवमन करना आरंभ कर दिया है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने इस मर्तबा हुए मंत्रीमण्डल फेरबदल में मीनाक्षी नटराजन को कुनबे में शामिल करने का मन बना लिया था। जैसे ही यह बात सूबे के आला कांग्रेसी नेताओं को पता चली उन्होंने आपरेशन मीनाक्षी को अंजाम देना आरंभ कर दिया।
बताया जाता है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी सहित राहुल गांधी को मीनाक्षी के प्रभार वाले एनएसयूआई की हकीकत से दो चार करवा दिया। इसमें विशेष तौर पर मध्य प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के गर्त में जाने की बात को पेश किया गया। इतना ही नहीं मीनाक्षी के संसदीय क्षेत्र के अंर्तगत आने वाले मंदसौर और नीमच जिलों में एनएसयूआई की जमीनी हकीकत से दो चार करवा दिया। इतना ही नहीं संगठन में चुनावों के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में औंधे मुंह गिरी थी एनएसयूआई।
एआईसीसी में चल रही चर्चाओं के अनुसार मीनाक्षी नटराजन की जिद के चलते ही एनएसयूआई के मध्य प्रदेश के निर्वाचित अध्यक्ष आकाश आहूजा को रूखसत होना पड़ा। मीनाक्षी के संसदीय क्षेत्र मंे मंदसौर जिले में एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं की संख्या महज डेढ़ सैकड़ा ही बताई जा रही है।
उधर राहुल गांधी के करीबी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी ने मीनाक्षी नटराजन को मध्य प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपने का मन भी बनाया हुआ है, किन्तु जब जमीनी हकीकत से वे दो चार हुए तो उन्होंने अपना इरादा लगभग त्याग ही दिया है। माना जा रहा है कि बजट सत्र के उपरांत गठित होने वाली एआईसीसी से भी मीनाक्षी नटराजन को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। वैसे मीनाक्षी के नेहरू युवा केंद्र के उपाध्यक्ष रहते हुए भी कोई खास उपलब्धियां हासिल न होना भी इसका एक प्रमुख अस्त्र बनाया जा रहा है, उस दौरान भारत के स्वतंत्रता संग्राम के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने पर मेरठ से दिल्ली तक निकली यात्रा में भी व्यपक स्तर पर भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया जा रहा है।
रेल सुविधाओं के प्रति लापरवाह हैं मीनाक्षी
नीमच और मंदसौर जिलों में रेल सुविधाओं के प्रति सांसद मीनाक्षी नटराजन बहुत ज्यादा संजीदा नजर नहीं आ रही हैं। इस रेल बजट में अगर इन जिलों को कुछ मिला तो वह निश्चित तौर पर ‘बिल्ली के भाग से छीका टूटा‘ की कहावत को ही चरितार्थ करेगा। हाल ही में मीनाक्षी नटराजन के कार्यालय से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया था कि रेल सुविधाओं के लिए उन्होंने रेल राज्यमंत्री मुनिअप्पा से भेंट कर उन्हें अनुरोध पत्र सौंपा है। मीनाक्षी नटराजन के पास इतना समय नहीं है कि वे रेल मंत्री ममता बनर्जी से मिलकर क्षेत्र की रेल सुविधाओं के बारे में अनुरोध करें।
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