धरने में शिव देख रहे हैं अपना प्रभात
किसान तो बहाना है असल मकसद उपचुनाव जिताना है
केंद्र द्वारा मिली इमदाद को पूरा खर्च भी नहीं कर पाए हैं शिवराज
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। रविवार 13 फरवरी को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठने वाले शिवराज सिंह चौहान द्वारा पाला पड़ने से खराब हुई किसानों की फसलों के एवज में राज्य सरकार द्वारा मांगे गए विशेष पैकेज की मांग पर समय पर कोई कार्यवाही न होने से धरने पर बैठा जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा मध्य प्रदेश को दिए गए दो सौ करोड़ रूपए के पैकेज को अभी राज्य सरकार ने पूरा खर्च भी नहीं किया है, इसके साथ ही साथ मध्य प्रदेश के उपचुनावों से भी इस धरने को जोड़कर देखा जा रहा है।
ज्ञातव्य है कि मध्य प्रदेश के 50 में से 46 जिलों में फसलों को हुए नुकसान के चलते राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार से 2442 करोड़ रूपयों का विशेष पैकेज मांगा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंतरिक सुरक्षा के मसले पर हुई मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा था कि राज्य सरकार ने छः सौ करोड़ रूपए तत्काल इस मद में जारी कर दिए हैं। उधर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेश पचौरी के उपवास के उपरांत कांग्रेसनीत केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश को दो सौ करोड़ रूपए की मदद जारी की थी।
गौरतलब होगा कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ किसानों को हर सियासी दल ने छला ही है। किसानों पर राजनीति करने से न तो कांग्रेस चूकती है और न ही भारतीय जनता पार्टी। किसान पुत्र शिवराज के कार्यकाल में किसानों द्वारा की गई आत्महत्याओं ने रिकार्ड बना दिया है। भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह के इस धरने को ‘मेगा शो‘ में तब्दील करने के लिए भाजपा के बड़े नेताओं की भी इसमें शिरकत करने की तैयारी है।
उधर कांग्रेस के रणनीतिकार इस धरने को 14 फरवरी को कुक्षी और सोनकच्छ उपचुनावों से जोड़कर देख रहे हैं। प्रभात झा के मध्य प्रदेश भाजपाध्यक्ष बनने के उपरांत यह पहला उपचुनाव है, जिस पर भाजपा के आला नेताओं की नजरें गड़ी हुईं हैं। दोनों ही सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती हैं। कांग्रेस का मानना है कि राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए छः सौ करोड़ एवं केंद्र सरकार द्वारा दिए गए दो सौ करोड़ से अधिक की राशि अभी शिवराज सिंह द्वारा खर्च नहीं की गई है, फिर वे दो हजार करोड़ से अधिक की मांग कर रहे हैं, पहले यह राशि व्यय कर दी जाए फिर केंद्र से आगे राशि की मांग की जानी चाहिए।
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