अब किसे पैजामे में रहने की नसीहत देंगे महेंद्र देशमुख जी: लिमटी खरे
सिवनी। उत्तर दक्षिण गलियारे के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के जितने भी अंश अब तक सिवनी पहुंचे हैं उनके प्रकाश में जनमंच सिवनी द्वारा व्यक्त की गई निराशा, जनमंच लखनादौन द्वारा फैसले का किया गया स्वागत और वरिष्ठ अधिवक्ता बुलाकी राम सिसोदिया द्वारा दिया गया वक्तव्य से भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है, जिसे स्पही इस मामले को स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त है। उक्ताशय की बात पत्रकार लिमटी खरे द्वारा जारी विज्ञप्ति में कही गई है।
गौरतलब होगा कि दिसंबर 2008 में षणयंत्र पूर्वक इस गलियारे से सिवनी जिले का नामोनिशान मिटाने के लिए कुछ तत्वों द्वारा व्यूह रचना तैयार की गई थी। इसके उपरांत पत्रकार लिमटी खरे द्वारा लगातार ही इस मामले की सच्चाई को समाचार पत्रों के माध्यम से जनता के समक्ष लाया जाता रहा है। इसी बीच कुछ सच्ची और कड़वी बातों से व्यथित होकर फोरलेन मामले में सड़क के लिए लड़ाई लड़ने वाले जनमंच सिवनी के प्रवक्ता महेंद्र देशमुख द्वारा पत्रकार लिमटी खरे को सीमाओं में रहकर लिखने की बात कही गई थी।
जनमंच सिवनी द्वारा यह भी कहा गया था कि सिवनी में फोरलेन सड़क के गड्ढ़े भी जनमंच भरवाए, सड़क निर्माण के ठेकेदारों से भी जनमंच बात करे, सुप्रीम कोर्ट में जाकर भी जनमंच लड़ाई लड़े आदि आदि। उस वक्त शहर में इसकी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया नहीं आई थी। लोगों का कहना था कि जनमंच ने आगे आकर जब सिवनी के हितों को साधने का प्रयास किया है तो यह उसकी जवाबदारी ही है कि इन सारे मामलों को वह देखे। जनमंच सिवनी द्वारा अब तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि वह सिवनी के सड़क के किस हिस्से की लड़ाई लड़ रहा है। अब महेंद्र देशमुख की यह जवाबदारी है कि फैसला जस का तस जनता के समक्ष रख जाए और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में सिवनी की ओर से लड़ाई लड़ने वाले विद्वान अधिवक्ता प्रशांत भूषण से इस आदेश की व्याख्या करवाकर उसे जनता के समक्ष रखे। साथ ही उन्होने कहा कि जनमंच की एक और बैठक आहूत कर इस पूरे मामले में प्रशांत भूषण को सर्व सम्मति से धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए जिन्होंने अपने अमूल्य समय में से सिवनी के हितों के लिए निशुल्क लड़ाई लड़ी।
जनमंच सिवनी और जनमंच लखनादौन की विज्ञप्तियों के कारण शहर में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई है कि आखिर सच कौन बोल रहा है। वरिष्ठ अधिवक्ता बुलाकी राम सिसोदिया द्वारा इस मामले का कुहासा काफी हद तक हटाया गया है। श्री सिसादिया के अनुसार जितनी भी प्रतियां और पेज अब तक सिवनी आए हैं उनके अनुसार यह सिवनी वासियों की जीत है।
अगर देखा जाए तो इंटरनेट पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय की वेब साईट पर डले पेंच के फच्चर वाले फैसले में लखनादौन जनमंच के दिनेश राय और अधिवक्ता श्री सिसोदिया का कहना ही सच प्रतीत होता है। जनमंच सिवनी की विज्ञप्तियों से भ्रम ही पैदा हुआ है। जिस मामले में उसे स्पष्टीकरण देना चाहिए।
14 मार्च 2011 के फैसले के उपरांत अब 19 दिन बीतने के बाद भी अगर सिवनी वासियों के हितों के संवर्धन हेतु लड़ने वाले संगठन द्वारा उत्तर दक्षिण की जीवन रेखा एनएच 07 के मामले में वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट के अडंगे पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले से रूबरू न कराया जाना दुर्भाग्यपूर्ण ही माना जा सकता है।
अब जबकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में फच्चर फसाने वाली याचिका को निरस्त कर दिया है तब पुनः सभी को एकजुट होकर इस मार्ग को बनवाने के मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। वरना अगर एक बार फिर वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट जैसे विध्नसंतोषियों को अगर पुनः किसी और मंच पर जाने देने का मौका देने का प्रयास किया गया तो आने वाले समय में इस सड़क के बनने की संभावनाएं धूल धुसारित ही होंगी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें