शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

भाजपा कांग्रेस मिलकर छल रहीं हैं जनता को

सुषमा मनमोहन में नूरा कुश्ती!

एक दूसरे के बचाव में खड़े प्रतीत होते हैं प्रतिद्वंदी दल

शिवराज लगे सुषमा की मदद के बिना ही केंद्र को घेरने

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। जनता जनार्दन के सामने एक दूसरे को फूटी आंख न सुहाने वाली कांग्रेस और भाजपा में पर्दे के पीछे पूरा पूरा सद्भाव बना हुआ है। अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु दोनों ही सियासी दलों में शीर्ष से लेकर जमीनी स्तर तक आपस में सोहाद्र बना हुआ है। हाल ही में भाजपा ने लोकसभा में कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को बचाकर इस बात को अखिर प्रमाणित कर ही दिया।
बीमा बिल पर वाम दल के वासुदेव आचार्य ने सदन में कांग्रेसनीत केंद्र सरकार को गिराने की भरसक कोशिश की। उन्होंने इसके लिए सदन में मतदान तक की मांग कर डाली। लोक सभा के गलियारों से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो कांग्रेस के सांसद भी उस दिन अनुपस्थित ही रहे सदन में। इसके बाद राजद के पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आड़वाणी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज को बुलाया और ताकीद किया कि भाजपा को इस मतदान में सरकार के पक्ष में मतदान कर सरकार बचाने का जतन करना चाहिए।
बताते हैं कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा सालों साल सींची गई विदिशा संसदीय क्षेत्र की संसद सदस्य सुषमा स्वराज ने आड़वाणी की इच्छा को सर माथे पर रखकर सदन में समर्थन दिया और कांग्रेसनीत संप्रग सरकार गिरने से बच गई। सदन में इसके तत्काल बाद कांग्रेस के तारणहार प्रणव मुखर्जी ने सुषमा स्वराज को धन्यवाद लिखकर भेजा।
उधर डाॅ.मुरली मनोहर जोशी द्वारा भाजपा के इस रवैए से काफी आक्रोश जताया गया। एक बार फिर सुषमा स्वराज और प्रणव मुखर्जी के बीच चर्चाओं का दौर चला। इसके बाद ही डाॅ.जोशी की नाराजगी वाले सांईंस तकनीकि बिल को कांग्रेस ने सदन में आने से रोक दिया।
जानकारों का कहना है कि राजनैतिक चतुर सुजान एल.के.आड़वाणी ने सुषमा स्वराज की स्थिति को असहज बनाने की गरज से पत्रकारों के द्वारा सदन में ‘‘नोट के बदले वोट‘‘ के मामले में पत्रकारों से रूबरू होकर कुटिल मुस्कान के माध्यम से यह कह दिया कि सदन में प्रधानमंत्री और सुषमा स्वराज दोनों ने ही सदन में अच्छा बोला।
वरिष्ठ भाजपा नेता एल.के.आड़वाणी द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर आरोप लगाने के बाद उनसे माफी मांगने की बात भाजपा के नेताओं के गले नहीं उतर पा रही है। विक्कीलीक्स के हंगामे के उपरांत भी भाजपा ने कांग्रेस के साथ सोहाद्र बनाते हुए बजट और वित्तीय बिल पास होने देने से कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही नूरा कुश्ती की बातों को बल ही मिल रहा है। उधर राज्य सभा में विपक्ष के नेता अरूण जेतली भी समय समय पर सुषमा स्वराज और एल.के.आड़वाणी की तरह ही कांग्रेस के लिए संकटमोचक बनकर उभरते मिले हैं।
वैसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान द्वारा बार बार कांग्रेसनीत कंेद्र सरकार पर मध्य प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं, किन्तु शिवराज की इस मुहिम में उन्हें मध्य प्रदेश से सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज का वांछित सहयोग नहीं प्राप्त हो पा रहा है। भले ही देश के हृदय प्रदेश के निजाम इस बात को सार्वजनिक तौर पर कह ना पा रहे हों, किन्तु जब भी शिवराज सिंह प्रधानमंत्री डाॅ.मनमोहन सिंह से मिलकर आते हैं, और मीडिया से रूबरू होते हैं, उनके चेहरे पर यह दर्द साफ दिखाई देता है कि मध्य प्रदेश के हितों के लिए लड़ने के बावजूद भी उन्हें सुषमा स्वराज जैसी कद्दावर नेता का सहयोग कम से कम मध्य प्रदेश के हितों के मामले में तो नहीं ही मिल पा रहा है।

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