भूरिया की ताजपोशी के साथ मंत्रिमण्डल विस्तार की सुगबुगाहट
पचैरी और भारद्वाज को मिल सकती है लाल बत्ती
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। लंबी खींचतान के बाद अंततः केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान सौंप ही दी गई है। भूरिया को दोहरी जवाबदेही दी जाएगी या उनके स्थान पर अब निर्वतमान अध्यक्ष सुरेश पचैरी को केंद्र में मंत्री बनाया जाएगा इस पर से कुहासा अभी छट नहीं सका है, किन्तु सियासी फिजां में चल रही बयार के अनुसार फ्लोर मेनेजमेंट में अग्रणी सुरेश पचैरी को संसदीय कार्य मंत्री बनाने के मार्ग प्रशस्त होते नजर आ रहे हैं।
1987 में पहली बार मोती लाल वोरे के मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री बने भूरिया, मूलतः कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह केम्प के माने जाते हैं। इसके बाद वे दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में भी मंत्री रहे। भूरिया पहली बार 1998 में सांसद बने थे। वर्तमान में भूरिया केंद्र में आदिवासी मामलों के मंत्री हैं।
भूरिया को प्रदेश की कमान सौंपी जाने से प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व का कोटा पूरा कर लिया गया है, जिससे अब नेता प्रतिपक्ष के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह का दावा पुख्ता होता नजर आ रहा है। गौरतबल है कि अजय सिंह के लिए भी दिग्विजय सिंह पूरा जोर लगा रहे हैं।
उधर एक समय में मध्य प्रदेश कोटे से राज्य सभा सदस्य रहे कर्नाटक के राज्य पाल हंसराज भारद्वाज द्वारा भी मुख्यधारा में लौटने का प्रयास किया जा रहा है। 18 जनवरी को मंत्री मण्डल विस्तार के उपरांत प्रधानमंत्री ने इसे लघु विस्तार और बजट सत्र के उपरांत बड़ी सर्जरी की बात कही गई थी। इस लिहाज से अब लगने लगा है कि जल्द ही प्रधानमंत्री द्वारा अपनी छवि को चमकाने के लिए भ्रष्टों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
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