राजमार्गों पर अब चैबीसों घंटे एम्बूलेंस सेवा
पिछले साल डेढ़ लाख से अधिक लोग मारे गए सड़क हादसों में
हर पचास किलोमीटर पर तैनात होंगी एम्बूलेंस
नई दिल्ली (ब्यूरो)। स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर दक्षिण एवं पूर्व पश्चिम चतुष्गामी पथ भले ही अटल सरकार की महात्वाकांक्षी परियोजना रही हो पर कांग्रेसनीत संप्रग सरकार के कार्यकाल में यह परवान चढ़ रही है। हेमा मालिनी के गाल के मानिंद बनने वाली इन सड़कों के बारे में कहा जाता है कि इन पर चलने में पेट का पानी भी नहीं हिलता। जाहिर है गति बढ़ेगी और दुर्घटनाएं भी। इन दुर्घटनाओं से बचने के लिए केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय ने नई कार्ययोजना तैयार की है जो 30 मई से लागू हो जाएगी।
सरफेस ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की तादाद में तेजी से होने वाले इजाफे पर विभाग चिंतित है और विभाग ने इस हेतु चैबीसों घंटे राष्ट्रीय राजमार्ग पर एडवांस लाईफ सपोर्ट एंबूलेंस की तैनती करने का मन बनाया है। नई योजना के अनुसार हर पचास किलोमीटर पर इस तरह की एंबूलेंस तैनात होगी। इसके लिए 400 एम्बूलेंस को अस्पतालों से निकालकर सड़कों पर पहुंचाया जाएगा।
इन एंबूलेंस की सही स्थिति का पता लगाने के लिए इन्हें जीपीएस से सुसज्जित किया जाएगा। इनमें आक्सीजन, डाक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य उपकरण भी होंगे। सड़कों की लंबाई को देखते हुए विभाग बड़ी तादाद में एम्बूलेंस खरीदने का मन बना रहा है।
गौरतलब है कि 2009 में भारत में लगभग साढ़े चार लाख सड़क हादसों में एक लाख 25 हजार 864 लोग मारे गए थे। वर्ष 2010 में यह आंकड़ा पौने दो लाख तक पहुचने का अनुमान है। यहां उल्लेखनीय होगा कि एक अनुमान के अनुसार दुनिया के चैधरी अमरिका में हर साल पांच लाख के करीब सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, किन्तु उनमें मरने वालों की तादाद महज पचास हजार के लगभग ही होती है।
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