शनिवार, 2 जुलाई 2011

मंत्री मण्डल विस्तार 8 के बाद


मंत्री मण्डल विस्तार 8 के बाद

अहम मंत्रालयों को लेकर अभी भी संशय की स्थिति!

द्रमुक को लेकर उहापोह में हैं मनमोहन

महामहिम के हैदराबाद से लौटने पर ही होगा विस्तार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। केंद्र में सत्ता और संगठन के बीच खिची तलवारों के बाद बहुप्रतिक्षित मंत्रीमण्डल विस्तार शुक्रवार 8 जुलाई के बाद ही होने की उम्मीद है। वर्तमान में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी विदेश तो महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा पाटिल हैदराबाद के प्रवास पर हैं। उनकी वापसी के उपरांत ही मंत्रीमण्डल विस्तार की कवायद हो सकेगी। इस विस्तार में द्रमुक की भूमिका और अहम मंत्रालयों को लेकर अभी भी कुहासा छट नहीं सका है।

केंद्र में सत्ता के नए केंद्र बनकर उभरे 7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री आवास) और संगठन के शीष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के बीच समन्वय न बन पाने के कारण विस्तार मंे देरी प्रमुख कारण बताया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर द्रमुक सुप्रीमो करूणानिधी तब तक कांग्रेस से चर्चा को तैयार नहीं दिख रहे हैं, जब तक उनकी बेटी कोनिमोझी जेल में हैं। विस्तार में देरी का तीसरा प्रमुख कारण अहम मंत्रालयों की बागडोर सौंपने को माना जा रहा है।

गत दिवस वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह और महामहिम राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के बीच लंबी मंत्रणा के बाद सियासत गर्मा गई है। आंध्र प्रदेश में तेलंगाना के संकट से निजात दिलाने के लिए दक्षिण के आधा दर्जन सांसदों को लाल बत्ती देना अवश्यभावी माना जा रहा है। इन नामों पर भी सहमति नहीं बन सकी है। दयानिधि मारन की बिदाई अगर की जाती है तो उनके स्थान पर टी.आर.बालू, ए.के.विधयन और इलोंगवान के नाम सामने आ रहे हैं। बालू को लेकर प्रधानमंत्री को एलर्जी ही नजर आ रही है।

कांग्रेस के अंदरखाने में चल रही चर्चाओं के अनुसार वरिष्ठ मंत्रियों प्रणव मुखर्जी, पलनिअप्पम चिदम्बरम, एस.एम.कृष्णा, ए.के.अंटोनी, अंबिका सोनी के विभागों के बारे में भी सहमति नहीं बन पा रही है। उद्योग लाबी सरकार और संगठन पर दबाव बना रही है कि प्रणव का मंत्रालय बदला जाए। वहीं दूसरी ओर सरकार पर चिदम्बरम को गृह विभाग से बाहर का रास्ता दिखाने का दबाव बन रहा है। चिदम्बरम को अगर विदेश मंत्रालय दिया जाता है तो फिर कृष्णा की नई नौकरी तलाशना होगा।

उधर पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि पीएम चाह रहे हैं कि अंबिका सोनी, सी.पी.जोशी, बी.के.हांण्डिक, मुरली देवड़ा, विलासराव देशमुख जैसे नेताओं की लाल बत्ती छीन ली जाए। रेल मंत्री के लिए पीएम की पसंद शहरी विकास मंत्री कमल नाथ हैं तो त्रणमूल का दबाव दिनेश त्रिवेदी के लिए बना हुआ है। कानून मंत्रालय के लिए पीएम हंसराज भारद्वाज को लाना चाह रहे हैं, इस लिहाज से वीरप्पा मोईली के लिए नया काम तलाशना होगा।

राहुल के करीब आने को इच्छुक जतिन प्रसाद और बेनी वर्मा भी कैबनेट की इच्छा पाले हुए हैं। उधर यूपी के महासमर को देखकर सिने अभिनेता राज बब्बर अपना दावा पुख्ता कर रहे हैं। द्रमुक से पल्ला झाड़ने की स्थिति में कांग्रेस को अजीत सिंह से हाथ मिलाकर जय ललिता का दामन थामना पड़ेगा, किन्तु जय ललिता के साथ पुराने कटु अनुभव कांग्रेस के लिए रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया को अगर ड्राप किया जाता है तो उनके स्थान पर मीनाक्षी नटराजन या गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी की लाटरी लग सकती है।

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