फिर ठगे गए भोले शिवराज!
केंद्रीय नेताओं के सामने जोर नहीं चलता शिवराज का!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर केंद्रीय मंत्री से मिलकर अभिभूत हो गए और उन्होंने मध्य प्रदेश की पुरानी लंबित मांगों पर चर्चा करना मुनासिब नहीं समझा। गत 30 जून को केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने दरियादिली दिखाते हुए मध्य प्रदेश जाकर शिवराज से भेंट की और दो परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाने की बात कही। शिवराज सिंह चौहान ने इस दर्मयान उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे में फंसे पर्यावरण के पंेच के बारे में रमेश ने एक बार फिर मौन साध लिया। शिवराज ने जोर देकर इस मामले को निकालने का प्रयास भी नहीं किया।
उल्लेखनीय होगा कि प्रोटोकाल को दरकिनार कर अपने दरवाजे आए रमेश के आगे भाव विभोर होकर शिवराज ने उनके मंत्रालय द्वारा दी गयी पर्यावरण की स्वीकृति के प्रति आभार व्यक्त किया। हाल ही में इन्दौर में आई.आई.टी. की स्थापना और क्रिटीकली पालूटिंग डिस्ट्रिक्ट से सिंगरौली को छूट दी गयी है। सिंगरौली को क्रिटीकली पालूटिंग डिस्ट्रिक्ट से छूट मिल जाने से अब कोल ब्लाक की अनुमति और पॉवर प्लांट लगाने की अनुमति मिल सकेगी।
श्री चौहान ने श्री रमेश से भेंट के दौरान राज्य खनिज निगम को सिंगरौली में आवंटित अमेलिया कोल व्लाक के 1283 हेक्टेयर भूमि के आवंटन का आग्रह किया। यह प्रकरण वर्ष 2007 से विचाराधीन है। इस कोल ब्लाक से लगभग 5 मिलियन टन कोयला मिलेगा जिससे प्रदेश के थर्मल पॉवर प्लांट अपनी क्षमता का पूर्ण उपयोग कर सकेंगे। इसी के साथ श्री चौहान ने सिंगरौली के महान कोल ब्लाक को भी वन संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत अनुमति दिये जाने का आग्रह किया। इस कोल व्लॉक के आधार पर दोनों परियोजनाओं पर लगभग 10 हजार करोड़ रूपये से अधिक का पूंजी निवेश हो चुका है। इस कोल व्लॉक से कोयला मिलने पर एस्सार पावर व्लांट से 300 मेगावॉट् से अधिक बिजली मिलेगी। वन मंत्रालय के द्वारा गठित दो समितियों ने इसे अनुमति दिये जाने की अनुशंसा की है।
श्री चौहान ने बुंदलेखंड पंचम नगर बहुउद्देशीय वृहद परियोजना को भी शीघ्र पर्यावरण की स्वीकृति दिये जाने का आग्रह किया है। इसके लिए 325 करोड़ रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी जा चुकी है। इससे 17700 हेक्टेयर में सिंचाई और 10 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। योजना का टी.ओ.आर. पर्यावरण मंत्रालय को भेजा जा चुका है। इसी प्रकार बीना बहुउद्देशीय वृहद परियोजना को भी पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति दिये जाने का आग्रह किया। इस परियोजना के लिए 1514 करोड़ रूपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी जा चुकी है। इससे 97747 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 32 मेगावॉट बिजली का उत्पादन प्रस्तावित है।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार श्री चौहान ने उत्तर से दक्षिण कोरीडोर को जोड़ने वाले नेशनल हाइवे न. 7 के पेंच वन अभ्यारण्य के क्षेत्र के चार लेन रोड को भी वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति शीघ्र दिये जाने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस राष्ट्रीय राज मार्ग के फोर लेन के निर्माण पर रोक लगाने से मना कर दिया है। अतः वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा शीघ्र अनुमति दी जाये। बताया जाता है कि इस मामले मंे जयराम रमेश ने मौन साध लिया। मध्य प्रदेश के महाकौशल विशेषकर बालाघाट और सिवनी जिले मंे सिंह गर्जना करने वाले शिवराज एक जयराम रमेश के मौन को तोड़ने का प्रयास नहीं किया। गौरतलब होगा कि इस सड़क को बचाने वाले संगठन के बार बार आग्रह पर शिवराज द्वारा अनेकों बार उन्हें दिल्ली साथ ले जाकर पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह से मिलवाने का आश्वासन दिया है, जो अब तक पूरा नहीं हो सका है।
इसके बाद श्री चौहान ने श्री रमेश को वन विभाग की केम्पा मद की 999 करोड़ रूपये की राशि प्रदेश को शीघ्र जारी करने का अनुरोध किया। राज्य के केम्पा द्वारा 201 करोड़ रूपये के प्रस्ताव भारत सरकार को भेजे गए है। अभी तक केवल 104 करोड़ रूपये की राशि प्राप्त हुई है। अतः शेष राशि शीघ्र जारी की जाये।
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