आम महोत्सव में नहीं दिखे एमपी के आम
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। दिल्ली पर्यटन के बेनर तले आयोजित तीन दिवसीय आम महोत्सव में देश भर से आमों की प्रजातियां लोगों को आकर्षित करती रहीं किन्तु इसमें मध्य प्रदेश के आम कहीं भी नजर नहीं आए। पीथमपुरा दिल्ली हाट में आयोजित इस आम महोत्सव में आम से निर्मित उत्पादों को भी दर्शाया गया था, जिन्हें दर्शकों ने खासा सराहा। पिछले साल जहां चार सौ प्रजातियों के आम प्रदर्शित किए गए थे, वहीं इस साल इसकी तादाद बढ़कर लगभग पांच सौ हो गई है। इस महोत्सव में आदि काल से अब तक आम के बारे में विस्तार से समझाया भी गया।
इस महोत्सव में उत्तर प्रदेश के आम्रपाली, हुस्नआरा, तोतापरी, रामकेला, फजरी, सफेदा, लंगड़ा, चौसा, रतौला, दशहरी, मल्लिका तो आंध्र प्रदेश और केरल के बांगन पल्ली, पेरी, ओलेर, चीरूकुरासम, गुलडप्पा, आलमपुर बानेशन, बिहार के हिमसागर, किशन भोग और बथुआ, पंजाब और हरियाणा के दशहरी, लंग्ड़ा और बाम्बे ग्रीन, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के वनराज, मुलगोआ, पैरी, केसर, राजपुरी, अल्फांसो, चौसा आदि को प्रदर्शित किया गया।
आश्चर्य की बात तो यह है कि लगभग पांच सौ प्रजातियों के आमों के बीच मध्य प्रदेश के आमों को स्थान नहीं दिया गया, और न ही मीडिया को ही इस तरह के आयोजन की आधिकारिक जानकारी भी मध्य प्रदेश की ओर से प्रदान की गई। कहा जा रहा है कि मध्य प्रदेश में किसान पुत्र शिवराज सिंह की सरकार द्वारा किसानों के हितों का शमन किया जा रहा है, यही कारण है कि कृषि आधारित अखिल भारतीय स्तर के प्रदर्शनों में मध्य प्रदेश के किसानों की उपेक्षा की जा रही है।
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