. . . मतलब विवाद में है छिंदवाड़ा!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले का नाम आते ही केंद्रीय मंत्री कमल नाथ का चेहरा लोगो के जेहन में उभर जाता है। कहते हैं छिंदवाड़ा कमल नाथ के दिल में बसता है। 1980 से लगातार (एक उपचुनाव में सुंदर लाल पटवा के हाथों पराजय का स्वाद चखने के अलावा) छिंदवाड़ा से लोकसभा जाने वाले कमल नाथ की कर्मभूमि छिंदवाड़ा में जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष न घोषित होने से लगने लगा है कि छिंदवाड़ा में कुछ विवाद अवश्य ही है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार मध्य प्रदेश में उन्हीं जिलों के जिलाध्यक्षों की घोषणा की गई है, जहां विवाद नहीं है। विवाद वाले जिलों में समन्वय स्थापित होने के बाद ही जिलाध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। मध्य प्रदेश में 63 जिला इकाईयों में से 34 की घोषणा कर दी गई है। शेष 29 जल्द ही घोषित होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। शेष बचे जिलों मेें छिंदवाड़ज्ञ का नाम आने से सभी को आश्चर्य हो रहा है। माना जाता है कि छिंदवाड़ा में कमल नाथ की मंशा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता फिर कांग्रेस की घोषित पहली सूची में छिंदवाड़ा का नाम न होना आश्चर्यजनक ही है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और आदिवासी मामलों के मंत्री कांतिलाल भूरिया से जब संपर्क साधा गया तो दूरभाष पर उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में कहीं भी कोई विवाद वाली स्थिति नहीं है। शेष बचे जिलों स्थानीय प्रभावशाली नेताओं से रायशुमारी के उपरांत जल्द ही जिलाध्यक्षों की घोषणा हो जाएगी। उन्होंने कहा कि दस साल का कार्यकाल पूरा करने वालों को अब अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा।
छिंदवाड़ा के संबंध में भूरिया ने तर्क दिया कि चंूकि वहां के अध्यक्ष गंगा प्रसाद तिवारी दस साल पूरे कर चुके हैं अतः नए प्रावधानों के अनुसार उनका इस पद पर बने रहना संभव नहीं है। साथ ही साथ केंद्रीय मंत्री कमल नाथ विदेश प्रवास पर हैं, इसलिए उनके आने के बाद ही उनसे चर्चा और उनके सुझाए नाम की घोषणा कर दी जाएगी। गौरतलब होगा कि कमल नाथ के प्रभाव वाले महाकौशल के बालाघाट जिले में दस साल अध्यक्ष रहने के बाद पुष्पा बिसेन को हटाकर विधायक प्रदीप जायस्वाल को अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। जिससे साफ है कि बालाघाट में कमल नाथ की पसंद को सम्मान दिया गया पर जब छिंदवाड़ा की बात आई तो गाड़ी अटक गई।
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