आदिवासियों से मोह भंग हुआ कांग्रेस का
आदिवासी मामलों का मंत्रालय राजघरानों के हवाले
मध्य प्रदेष से खासा अन्याय किया मनमोहन ने
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मनमोहन मंत्रीमण्डल के अंतिम फेरबदल में कांग्रेस ने मध्य प्रदेष के साथ खासा अन्याय किया है। यद्यपि छत्तीगढ़ से चरण दास महंत को मंत्रीमण्डल में षामिल अवष्य ही कर लिया है किन्तु फिर भी कांग्रेस अपने परंपरागत आदिवासी वोट बैंक से दूर जाती ही दिखाई पड़ रही है। कांग्रेस के नए रणनीतिकारों द्वारा आदिवासियों को दरकिनार कर उनके नाम पर राजघरानों को आगे बढ़ाने का उपक्रम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि इसके पहले आदिवासी मामलों को देखने वाली उर्मिला सिंह वर्तमान में हिमाचल प्रदेष की महामहिम राज्य पाल हैं। इसके बाद कंातिलाल भूरिया जिनकी छवि सूट बूट वाले आदिवासी नेता की थी, को कांग्रेस ने मध्य प्रदेष कांग्रेस कमेटी का कांटों भरा ताज पहनाकर केंद्रीय राजनीति से रूखसत कर दिया। वर्तमान में राजषाही परिवार से संबंध रखने वाले के. किषोर चंद्र देव को सौंपा गया है। इस विभाग के राज्य मंत्री राजस्थान के महादेव खण्डेला हैं जो ओबीसी वर्ग के जाति से जाट हैं।
इस बार उम्मीद की जा रही थी कि इस विस्तार में अगर भूरिया को विदा भी किया जाता है तो आदिवासी बाहुल्य मध्य प्रदेष और छत्तीसगढ़ से किसी आदिवासी नेता को इस विभाग की कमान सौंपी जा सकती है। चरण दास महंत को भी एग्रीकल्चर का जिम्मा सौंपा गया है। आदिवासियों की सबसे अधिक तादाद होने के बाद भी एमपी और छत्तीसगढ़ से एक भी सांसद को इस विभाग का नेजा नहीं थमाया जाना आष्चर्यजनक ही है। कांग्रेस का यह कदम उसके परंपरागत आदिवासी वोट बैंक से अपने आप को दूर करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है।
कांग्रेस की सत्ता और षक्ति के सबसे बड़े केंद्र 10 जनपथ (श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि आदिवासी सांसद अपनी घोर उपेक्षा के चलते आज श्रीमति सोनिया गांधी से भेंट करने आने वाले हैं। इन सांसदों में कांतिलाल भूरिया, राजेष नंदनी सिंह, बसोरी सिंह समराम और गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी प्रमुख हैं।
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