त्वरित टिप्पणी
छींदा पटवारी प्रकरण...
मंत्री बिसेन की कारगुजारी
‘हुआ-हुआ की तर्ज पर भ्रष्टाचार का मुद््दा लुप्त
(मगन श्रीवास्तव)
‘हुआ-हुआ’ की तर्ज पर छींदा पटवारी के विरुद्घ ग्रामीणों द्वारा की गई शिकायत यानि ‘‘भ्रष्टाचार’’ का मुद््दा तो दरकिनार हो ही गया है क्षमा मांगने के बाद भी प्रदेश के सहकारिता एवं पीएचई मंत्री को पद से हटाने, उनके विरुद्घ कार्यवाही किये जाने का मामला जोर पकड़े हुए है। पटवारी संघ अनिश्चित कालीन हड़ताल पर बैठ गया है, तो कांग्रेस और गोंडवाना पार्टी जैसे दल इस मामले का राजनैतिक लाभ उठाने में जुट गए हैं।
मंत्री श्री बिसेन द्वारा समारोह के दौरान पटवारी देवेन्द्र मर्सकोले को कान पकड़कर उठक-बैठक लगवाना तो सभी को आपत्ति और अपमान जनक लग रहा है किंतु उसके द्वारा अपने मूल कर्तव्यों के प्रति की गई लापरवाही और ‘बिना किसी से कुछ लिए उसके काम को ना करने की उसकी प्रवृत्ति’ पर, जिसकी शिकायत ग्रामीणों द्वारा मंत्री जी से की गई थी उसे मंचासीन श्री बिसेन के अतिरिक्त अन्य जनप्रतिनिधियों, पदाधिकारियों को शायद अनुचित ही नहीं लगी और इसीलिए श्री बिसेन के अलावा अन्य कोई अब तक ना तो पटवारी के कार्य व्यवहार को अनुचित मान रहा है और ना ही उसकी निंदा ही कर रहा है। तब क्या ऐसा माना जाए कि पटवारी जो कर रहा था वह ठीक था? आखिर उसके भ्रष्ट आचरण को ‘नेपथ्य’ में क्यों किया जा रहा है ! क्या पटवारी संघ, कांग्रेस और गोंगपा तथा अन्य वे सभी जो इस मुद््दे को राजनैतिक रुप दे अपने-अपने ढंग से भुना रहे हैं, वे चाहते हैं कि सिर्फ देवेन्द्र ही नहीं दूसरे सभी पटवारी और अन्य दूसरे सभी शासकीय विभागीय अधिकारी कर्मचारी इसी तरह आम जनों को परेशान करते रहें, लूटते व लटकाते रहें?
फिर जब मंत्री श्री बिसेन द्वारा इस मामले में क्षमा मांगी जाकर यह स्वीकार कर लिया गया है कि ‘उन्होने पटवारी के कान पकड़वा उसे उठक बैठक लगवाकर गलती की है, वास्तव में उन्हे उसके विरुद्घ विभागीय कार्यवाही करवाना था’ इसके बाद तो इस मामले का पटाक्षेप ही हो जाना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं हो रहा है। आखिर क्यों?
गौर करें जिस दिन छींदा में यह घटना घटित हुई इसके कुछ ही देर बाद जब समारोह समाप्त हो चुका था और लोग सभा स्थल से जा चुके थे क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह अपनी वापसी के दौरान उस शिक्षक के घर के सामने जा रुके जो उस दिन इस कार्यक्रम का संचालन कर रहा था। अपना वाहन रुकवाकर श्री सिंह ने उक्त शिक्षक को बुलवाया और उसे ‘‘उलाहना’’ देते हुए कहा क्यों मास्टर जी कब से भाजपाई हो गए! मंच में और सब माननीय थे हम माननीय दिखाई नहीं दे रहे थे। श्री सिंह का शिक्षक के घर रुक कर उसे इस तरह का उलहाना देना शिक्षक वर्ग को अथवा अन्य किसी को आपत्ति जनक क्यों नहीं लगा? यह ठीक है कि उक्त शिक्षक परिवार से श्री सिंह के घनिष्ठ संबंध हैं और बताया तो यह भी जाता है कि शिक्षक का पूरा परिवार कांग्रेस समर्थित है।
एक तरफ पटवारी के भ्रष्ट आचरण पर हर किसी का मौन और उसे लोक सेवक के रुप में बनाये रखने हेतु अपने ‘विनोदी’ स्वभाव के चलते मंत्री श्री बिसेन के द्वारा घर परिवार के बड़े बुजुर्ग की तरह कान पकड़कर उठक-बैठक लगवा देना ना केवल उसकी बल्कि पूरे पटवारी जगत और आदिवासी समाज की प्रतिष्ठा गिरने का मुद््दा क्यों और कैसे बन गया? हमें तो यही लगता है कि यह सब एक सुनियोजित योजना का ही हिस्सा है यहां यह उल्लेखनीय होगा कि मंत्री श्री बिसेन छींदा ही नहीं अपने गृह जिले और छिंदवाड़ा के अलावा होशंगाबाद आदि में भी अधिकारी कर्मचारियों के साथ कुछ इस तरह का व्यवहार कर चुके हैं जो उनके (अधिकारी-कर्मचारियों) कार्य व्यवहार में सुधार लाने वाला तो हो किंतु उसके कारण उन्हें विभागीय कार्यवाही का सामना ना करना पड़े। मंत्री श्री बिसेन की यही सौजन्यता और उनका विनोदी स्वभाव उनकी परेशानी का कारण बन गया है और जिसका लोग भरपूर लाभ उठा रहे हैं।
इसके अलावा एक और बात जो प्रतीत होती है वह यह कि १५ जुलाई से दैनिक दल सागर द्वारा सिवनी से गुजरने वाले चतुष्गामी मार्ग के रुके कार्य को पुनरू शुरु कराने हेतु जागृति अभियान चलाया गया है, जिसके तहत जिलेवासियों से अपने जनप्रतिनिधियों जिनमें दो सांसद और ४ विधायक हैं इनके मोबाईल नंबर दिए जाकर उन्हें फ ोन और एसएमएस कर कुछ करने की अपील की गई थी। परिणाम स्वरुप उक्त समाचार को पढने के साथ ही लोगों ने इन्हें फ ोन करना शुरु कर दिया था और ये छहों जनप्रतिनिधि मिलने वाले एमएमएस और आने वाले मोबाइल फ ोनो से त्रस्त होकर अपने अपने मोबाइल बंद करने को विवश हो गए थे तथा लोगों में इनके प्रति एक नकारात्मक सोच विकसित होने लगी थी। लगता तो यही है कि अपने प्रति उपज रही नकारात्मकता की ओर से लोगों का ध्यान बांटने के लिए यह बवंडर खड़ा न कर दिया गया हो।
1 टिप्पणी:
आपने अपने ब्लॉग में एक-एक बात एकदम सही लिखी है, मैं ब्लॉग की एक-एक बात से सहमत हूँ कि पटवारी के भ्रष्ट आचरण पर हर किसी का मौन और उसे लोक सेवक के रुप में बनाये रखने हेतु अपने ‘विनोदी स्वभाव के चलते मंत्री श्री बिसेन के द्वारा घर परिवार के बड़े बुजुर्ग की तरह कान पकड़कर उठक-बैठक लगवा देना ना केवल उसकी बल्कि पूरे पटवारी जगत और आदिवासी समाज की प्रतिष्ठा गिरने का मुद्दा क्यों ? आपने बिलकुल सही कहा यह सब एक सुनियोजित योजना का ही हिस्सा है. इसे लोग अपने-अपने ढंग से भुनाने कि कोशिश कर रहे हैं. अपना अस्तित्व खो चुका पटवारी संघ भी अपने में जान डालने के लिए मुद्दा बना रहा है, प्रदेश में लगभग ८०० से अधिक पटवारी निलंबित पड़े हैं और परेशान हैं संघ उनके लिए कोई बात नहीं करता. यह भी निलंबित हो जाता तो कोई बात नहीं होती. उसकी वो जानता. लेकिन उसने उठक-बैठक लगा कर पटवारियों की वास्तविक स्थिति उजागर कर दी है कि पटवारी की हालत दयनीय है. माननीय मंत्री जी ने उसे निलंबित न कर उसे बहाली के समय भ्रष्टाचार का शिकार बनने से बचा लिया है. इसके लिए मैं मध्यप्रदेश जागरूक पटवारी संघ की ओर से माननीय मंत्री श्री बिसेन जी का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ. ब्लॉग के लेखक श्री मगन श्रीवास्तव जी को भी सच लिख कर मीडिया की साख बढाने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
एक टिप्पणी भेजें