अण्णा की चाभी ग्राम सभा के पास
सरकार की गेंद विपक्ष के पाले में
सर्वदलीय बैठक के बाद ही होगा निर्णय!
तीस हजारी के जज ने थाम अण्णा का झंडा
यशवंत ने की त्यागपत्र की पेशकश
रोजा अफ्तार बना पीएम के गले की फांस
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। ‘‘बहुत पुरानी कहावत है कि राजा की जान तोते में, तोते के पर काटो राजा के हाथ कट जाएंगे।‘‘ मनमोहन सरकार राजा यानी अण्णा हजारे के लिए इसी तरह के अस्त्र की खोज की जा रही है। लगता है सरकार के हाथ वह अस्त्र लग गया है। अण्णा के अनशन को समाप्त करने की चाबी उनके गांव राणेगांव सिद्धि की ग्राम सभा के पास है। अण्णा के लिए वहां की ग्राम सभा का आदेश भगवान के आदेश के तुल्य है।
पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि सरकार द्वारा अब महाराष्ट्र सरकार के मार्फत यह दबाव बनाया जा रहा है कि अण्णा के गांव के लोग ग्राम सभा बुलाकर अण्णा से अनशन समाप्त करने का निवेदन करें। इसके पीछे अण्णा की बिगड़ती सेहत का हवाला दिया जा रहा है। सरकार का खुफिया तंत्र और प्रबंधक इस दिशा में अपने प्रयास तेज कर चुके हैं।
सूत्रों ने आगे कहा है कि अण्णा के समर्थन में जुटे देश भर में जनसमर्थन के बाद खुफिया सूत्रों ने सरकार को जो सूचनाएं दी हैं उससे सरकार के हाथ पांव फूल गए हैं। सरकार को डर है कि अगर अण्णा की सेहत बिगड़ी तो स्थिति बेकाबू हो जाएगी। इसलिए सरकार ने मंगलवार और बुधवार की दर्मयानी रात में बैठकों के अनेक दौर चलाए, जिसमें सीसीपीए और मंत्रियों की बैठक का शुमार था।
सरकार ने गेंद विपक्ष के पाले में डालते हुए संकेत दिए कि अगर विपक्ष चाहे तो संसद का सत्र आगे बढ़ा दिया जाएगा, जिससे अण्णा की इसी संसद सत्र में लोकपाल बिल की मांग को कुछ समय के लिए रोका जा सकता है। सरकार ने प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में लाने का आश्वासन दे दिया है। साथ ही न्यायधीशों के लिए अलग से कानून लाने पर भी सहमत हो गई है जो टीम अण्णा की एक बड़ी जीत मानी जा सकती है।
अण्णा के स्वास्थ्य पर नजर रखने वाले डॉ.नरेश त्रेहान ने कहा कि अण्णा का केटोपोलिज्म बढ़ रहा है जो चिंता का कारण है। उन्होंने आशंका व्यक्त की कि इससे अण्णा की किडनी पर असर हो सकता है। उधर अण्णा ने कहा कि अगर उनकी किडनी खराब होती है तो देशवासियों में से कोई भी अपनी एक किडनी सहर्ष उन्हें दे देगा। अण्णा का गिरता स्वास्थ्य सरकार के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
उधर भाजपा के गांधी रामलीला मैदान पर पहुंचे और अण्णा से न मिलकर वे उनके समर्थकों के साथ जाकर बैठ गए। वरूण गांधी का यह कदम मीडिया के लिए सुर्खियों का कारक बना। मीडिया पर्सन्स वरूण को घेरकर उनसे सवाल जवाब करने लगे। वरूण ने बडी ही शालीनता के साथ अण्णा के समर्थन की बात कही।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और सांसद यशवंत सिन्हा ने भी भाजपा का रूख अण्णा मामले में साफ न होने पर त्यागपत्र देने की पेशकश कर डाली है। रामलीला मैदान पर लोग तब हतप्रभ रह गए जब दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट के एक जज अजय पांडे ने अण्णा का झंडा थामकर न्यायपालिका को भी लोकपाल के दायरे में लाने की बात कह डाली। अजय पाण्डे ने अपने संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे कशमकश में थे कि अगर वे अण्णा का साथ देते हैं तो इसके क्या परिणाम होंगे, अंत मंे अतंरात्मा की आवाज पर उन्होंने अनिष्ट की आशंका के बाद भी यह कदम उठा ही लिया।
पीएमओ के सूत्रों का कहना है आज शाम को ही प्रधानमंत्री ने रोजा अफ्तारी रखी है। प्रधानमंत्री पशोपेश में हैं कि एक गांधीवादी जब नौ दिन से भूखा प्यासा बैठा है तब वे इस प्रोग्राम को रखते हैं तो इसका गलत संदेश जाएगा। यही कारण है कि सरकार ने अण्णा के अनशन को तुड़वाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
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