गुरुवार, 1 सितंबर 2011

मीडिया है सरकार के निशाने पर!

मीडिया है सरकार के निशाने पर!

सरकार मानती है कि अण्णा को मीडिया ने महानायक बनाया

मुलायम भारी खफा हैं मीडिया की रामलीला से

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मयूर विहार से रामलाला मैदान बरास्ता तिहाड़ जेल किशन बाबू राव उर्फ अण्णा हजारे की तेरह दिनी यात्रा में ही वे महानायक कैसे बन गए? यह प्रश्न सरकार के दिमाग में कौंध रहा है। इसका जवाब मिल रहा है कि मीडिया ने ही इन तेरह दिनों में अण्णा को महानायक बना दिया है। यही कारण है कि सरकार अब अंदर ही अंदर इस प्रयास में लग गई है कि किसी तरह मीडिया को भी लोकपाल के दायरे में लाया जाए।

प्रधानमंत्री के करीबी सूत्रों ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में मुलायम सिंह मीडिया पर जमकर बरसे। इस दौरान अनेक लोगों ने मीडिया को भी लोकपाल के दायरे में लाने की बात तक कह मारी। इसके बाद हुई कांग्रेस संसदीय दल की बैठक में अण्णा हजारे को लाईव दिखाने वाले चेनल्स के खिलाफ जमकर आक्रोश जताया सांसदों ने। सांसदों ने यहां तक सुझाव दे डाला कि इन चेनल्स के सैटेलाईट लिंक ही काट दिए जाने चाहिए।

कांग्रेस के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो यह कहा जा रहा है कि जब अमेरिका जैसा सुपर पावर खुद भी विक्कीलीक्स के केबल्स को नहीं रोक सका तो सरकार क्या खाकर मीडिया को रोकेगी। मीडिया ने इस मामले में वही किया जो जनता चाह रही थी। कांग्रेसियों का मत है कि राहुल, सोनिया गांधी, नितिन गड़करी सभी सत्ता की मलाई परोक्ष तौर पर चख रहे हैं। ये चेहरे अभी नए और बेदाग हैं। यही कारण है कि इनके डमरू से भीड़ भी जुट जाती है और मीडिया की सुर्खियां भी बटोरी जाती हैं।

अण्णा के अनशन को प्रमखता देना समय की मांग थी। अण्णा अगर महानायक बने तो इसमें मीडिया की सकारात्मक और सरकार की नकारात्मक भूमिका प्रमुख तौर पर उत्तर दायी मानी जा सकती है। माना जा रहा है कि सरकार ने 13 दिन बाद जो किया अगर वह पहले ही दिन कर लेती तो अण्णा को महानायक बनने से रोका जा सकता था। आने वाले दिनों में सरकार द्वारा मीडिया पर अगर गाज गिराई जाए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

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