हर जिले के लिए मानसिक चिकित्सा केंद्रों की व्यवस्था
प्राकृतिक आपदा के नाम पर सरकारी अमला बढ़ाने की कवायद
आपदा से निपटने के बजाए बाद के गैरजरूरी उपायों में लगा स्वास्थ्य मंत्रालय
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। भूकंप, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए मानक आधार पर सुविधाएं आज भी उपलब्ध नहीं है। इस दिशा में पहल करने के बजाए केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अब इस तरह की आपदा के उपरांत लोगों को मानसिक तौर पर व्यवस्थित करने की गरज से देश के 641 जिलों में मानसिक चिकित्सा केंद्र खोलने की कवायद की जा रही है। एक तरफ जिलों में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह पटरी से उतर चुकी हैं। वहीं दूसरी और केद्र सरकार द्वारा इस तरह का गैरजरूरी प्रयास किया जा रहा है।
गौरतलब है कि भारत में बाढ़, भूकंप, दंगे, बम विस्फोट जैसी बड़ी आपदाओं से आए दिन रियाया दो चार होती रहती है। केंद्र सरकार द्वारा इसकी रोकथाम या इससे निपटने के उपायों की और ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के शासनकाल की महात्वाकांक्षी नदी जोड़ो योजना आज भी ठंडे बस्ते में है। बिहार में कोसी नदी हर साल कहर बरपाती है। केंद्र सरकार द्वारा इस तरह की आपदाओं से निपटने के प्रयास कतई नहीं किए जाते हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस तरह की आपदा के उपरांत लोगों को मानसिक तौर पर व्यवस्थित करने के लिए देश के सभी 641 जिलों में मानसिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महकमे ने योजना आयोग से एक हजार करोड़ रूपयों की राशि की मांग की है। सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के करीबी एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा इस तरह की कवायद की जा रही है।
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