गुरुवार, 15 सितंबर 2011

अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह के देय

अंधा बांटे रेवड़ी चीन्ह चीन्ह के देय


सूचना केंद्र ने फिर दिखाया कमाल


तीन को मिला पुरूस्कार जारी हुई महज एक की खबर और फोटो


(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली के अत्यंत मंहगे और दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनाट सर्कस में मध्य प्रदेश सरकार के सूचना केंद्र की कार्यप्रणाली गजब ढा रही है। भाजपामय हो चुके इस सरकारी कार्यालय द्वारा अब तो समाचार जारी करने में भी पक्षपात किया जाने लगा है। हाल ही में पुरूस्कृत हुए मध्य प्रदेश के तीन लोगों के बजाए सूचना केंद्र ने महज एक ही प्रतिभागी के पुरूस्कार के बारे में खबर और फोटो जारी की है।


मध्य प्रदेश सूचना केंद्र द्वारा जारी आधिकारिक खबर के अनुसार मध्यप्रदेश, भोपाल की प्रसिद्ध लेखिका डॉ0 स्वाति तिवारी को उनकी कृति अकेले होते लोगके लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार के रूप में डॉ0 तिवारी को प्रशस्ति पत्र, शाल और 40 हजार रूपये की राशि भेंट की गयी। यह पुरस्कार आज यहां नई दिल्ली में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के कार्यालय में आयोजित समारोह में आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री के.जी. बालाकृष्णन द्वारा प्रदान किया गया। 


खबर में कहा गया है कि वर्तमान में डॉ0 स्वाति तिवारी मध्यप्रदेश जनसंपर्क संचालनालय में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रकाशित मध्यप्रदेश संदेश में सहयोगी सम्पादक के रूप में कार्यरत हैं। डॉ0 स्वाति तिवारी मध्यप्रदेश के धार जिले से हैं। उनके द्वारा अभी तक 16 पुस्तकंे लिखी जा चुकी हैं और विभिन्न मानवीय विषयों पर लगभग 200 कहानियां लिखी हैं जिसका प्रकाशन देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है।   


उल्लेखनीय है कि वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित पुस्तक अकेले होते लोगवृद्धावस्था के मानवाधिकारों के हनन पर मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ सम्मानजनक वृद्धावस्था का आग्रह करते हुए वृद्धों को जीवन के अकेलेपन से बचाने का प्रयास करती हैं। यह पुस्तक भारतीय समाज को उसकी जड़ों के खोखले होने के खतरों को उकेरती है। वृद्धाश्रमों के बजाय परिवारों में वृद्धों के स्थान को सुनिश्चित किए जाने के लिए आगाह करती है। 


बताया जाता है कि इस समारोह में मध्य प्रदेश के एक अधिकारी मनोहर बाथम जो कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में महानिरीक्षक के पद पर हैं एवं एक शिक्षा विद डॉ.चंचला चंद्रशेखकर को भी सम्मानित किया गया है। वस्तुतः यह पुरूस्कार राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग द्वारा मानव अधिकारों पर हिन्दी में द्विवार्षिक सृजनात्मक लेखन के लिए वर्ष 2008 - 2009 के लिए प्रदान किया गया है। जनसंपर्क द्वारा जारी समाचार में इसका उल्लेख करने के बजाए विभाग में ही पदस्थ अतिरिक्ति संचालक की अर्धांग्नी का महिमा मण्डन ज्यादा किया गया है। गौरतलब है कि तिवारी दंपत्ति दो वर्ष पूर्व दिल्ली में सूचना केंद्र में ही पदस्थ थे। उस दौरान मध्य प्रदेश की भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी अरूणा शर्मा आयोग की सदस्य सचिव भी रहीं हैं।







हिन्दी दिवस में आंग्ल संबोधन!


मौका हिन्दी के प्रोत्साहन के लिए पुरूस्कारों का था। पुरूस्कार भी दिए जा रहे थे उन्हें जिन्होंने हिन्दी में बेहतरीन काम किए हैं। पुरूस्कार पाने वाले लोग अपने आप को गोरवान्वित महसूस कर रहे थे। अचानक ही हिन्दी की चिन्दी तब उड़ती नजर आई जब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री के.जी. बालाकृष्णन ने अपना उद्बोधन आरंभ किया। बालाकृष्णन ने अपने उद्बोधन में हिन्दी के विकास का जिकर किया। वक्ता हक्का बक्का थे क्योंकि समूचा उद्बोधन अंग्रेजी भाषा में था। हिन्दी दिवस पर मुख्य वक्ता का अंग्रेजी में उद्बोधन सुनने के बाद लोगों को लगने लगा कि हिन्दी की दुर्दशा का कारण आखिर क्या है?

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