केंद्र बालाघाट में तैनात करेगा पेशेवर युवा
नक्सल प्रभावित जिलों की सुध ली सरकार ने
मण्डला, बालाघाट डिंडोरी हैं नक्सल प्रभावित
पीएम की मुहर हेतु लंबित है मामला
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश में तेजी से पैर पसारते नक्सलवाद पर अब केंद्र सरकार कुछ संजीदा होती नजर आ रही है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई कलेक्टर्स कांफ्रेस के बाद केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने एक मसौदा तैयार किया है जिसके तहत विभाग की केंद्र पोषित योजनाओं के लिए सूबों के नक्सल प्रभावित जिलों में पेशेवर युवाओं की तैनाती का प्रस्ताव किया गया है। ये युवा जिलाधिकारियों का सहयोग करेंगे।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने बताया कि इस योजना को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समक्ष पिछले दिनों हुई नक्सल प्रभावित जिलों के कलेक्टर्स की बैठक में रखा गया था। नक्सल प्रभावित जिलों के कलेक्टर्स ने सरकार के इस प्रस्ताव को सराहा था। प्रधानमंत्री ग्रामीण विकास फेलो प्रोग्राम को अब सिर्फ प्रधानमंत्री कार्यालय की अंतिम मुहर की दरकार है।
लोक कार्यक्रम और ग्रामीण प्रौद्योगिकी परिषद (कपार्ट) द्वारा स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से कार्यक्रमों का संचालन कराया जाता है। प्रधानमंत्री फेलो प्रोग्राम पर आने वाला पूरा खर्च कपार्ट उठाएगा। इससे खजाने पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। इसके लिए उन स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग लिया जाएगा, जो नक्सली क्षेत्रों में पहले से ही काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि वर्तमान में मध्य प्रदेश के बालाघाट मण्डला और डिंडोरी जिलों को नक्सल प्रभावित जिलों की श्रेणी में रखा गया है। मध्य प्रदेश सरकार ने सीधी, सिंगरोली, शहडोल, उमरिया और अनूपपुर को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव में बालाघाट और मण्डला जिले की सीमा से लगे सिवनी जिले को शुमार न किया जाना आश्चर्यजनक है क्योंकि कुछ सालों पहले तक सिवनी जिले में भी नक्सलवाद की पदचाप केवलारी और बरघाट विकासखण्ड में सुनाई देती रही है।
वैसे इस तरह के पेशेवर युवाओं को देश के 180 नक्सल प्रभावित जिलों में पदस्थ किए जाने की योजना है। वर्तमान में मध्य प्रदेश सहित छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखण्ड, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल मुख्य रूप से नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहे हैं। पिछले साल जुलाई माह में कर्नाटक को नक्सल प्रभावित राज्यों की सूची से हटा दिया गया था।
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