सत्यव्रत और कमल नाथ के इलाके में विवाद!
पितर पक्ष में पीसीसी कार्यकारिणी टली पर घोषित हुए जिला अध्यक्ष
टीकमगढ़ छतरपुर और छिंदवाड़ा डीसीसी का फैसला लंबित
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान भले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को सौंप दी गई हो, पर अभी भी टीम भूरिया के मामले में नेता एकमत नहीं हो पा रहे हैं। दिल्ली में राष्ट्रीय परिदृश्य मे छाने वाले मध्य प्रदेश के क्षत्रप सत्यव्रत चतुर्वेदी और कमल नाथ के क्षेत्र में ही जिलों की कांग्रेस ने अपना मुखिया अब तक नहीं पाया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा घोषित किए गए जिलाध्यक्षों में एक बार फिर से कमल नाथ की कर्म भूमि छिंदवाड़ा और सत्यव्रत चतुर्वेदी के कार्यक्षेत्र छतरपुर और टीकमगढ़ का विवाद नहीं सुलझ सका है।
अब तक घोषित चालीस नामों में कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह का पड़ला काफी हद तक भारी दिख रहा है। महाराजा ज्योतिरादित्य ने भी अपनी लाज बचाई तो महाकौशल के क्षत्रप कमल नाथ ने बालाघाट और जबलपुर में अपने समर्थकों को जिलाध्यक्ष बनवा दिया। सुरेश पचौरी इस मामले में कमजोर साबित हो रहे हैं।
राजनैतिक वीथिकाओं में यह प्रश्न जमकर घुमड़ रहा है कि जब कमल नाथ ने अपने समर्थकों को बालाघाट और जबलपुर में कुर्सी पर काबिज करवा दिया तब छिंदवाड़ा जिले के मामले को लंबित क्यों रखा जा रहा है। गौरतलब है कि दो माह पूर्व पीसीसी चीफ कांतिलाल भूरिया ने इस संवाददाता से चर्चा के दौरान कहा था कि उस वक्त कमल नाथ विदेश यात्रा पर हैं, उनके आते ही उनकी इच्छानुसार छिंदवाड़ा में जिला कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। विडम्बना है कि इस बात के दो माह और चालीस जिलों की घोषणा के बाद भी छिंदवाडा, टीकमगढ़ और छतरपुर का विवाद सुलट नहीं सका है।
सियासी हल्कों में एक बात को लेकर और चर्चा जोर पकड़ रही है कि जहां एक ओर पितर पक्ष में कोई नया काम नहीं किया जाता है वहीं श्राद्ध पक्ष के दूसरे दिन 26 नामों की घोषणा किस आधार पर कर दी गई। एआईसीसी के सूत्रों का कहना है कि पितृ पक्ष की समाप्ति के बाद कांतिलाल भूरिया अपनी कार्यकारिणी की घोषणा कर सकते हैं।
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