बुधवार, 12 अक्टूबर 2011

जग रहा है शिवराज का दिल्ली मोह!


जग रहा है शिवराज का दिल्ली मोह!

शिवराज का दिल्ली दौरा या तो राजनैतिक या पारिवारिक!

हर यात्रा में घिसी पिटी मांग ही दोहरा रहे हैं शिवराज

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने का प्रयास कर रहे हैं। आए दिन उनकी दिल्ली यात्राओं से भाजपा के अंदरखाने में हलचल मचने लगी है। एल.के.आड़वाणी के पीएम इन वेटिंग पद से हटने के बाद अब पार्टी आम चुनावों में किस चेहरे को आगे करती है इस बात के लिए लाबिंग तेज हा गई है। राजग का पीएम इन वेटिंग भाजपा की पसंद से ही चुना जाएगा यह तय है। भाजपा की ओर से इसके लिए नरेंद्र मोदी, शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह के नाम आगे लाने पर विचार किया जा रहा है।

पिछले कुछ माहों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिल्ली यात्राएं बहुतायत में हुई हैं। उनकी हर यात्रा पर अगर गौर किया जाए तो हर बार वे किसी न किसी केंद्रीय मंत्री से मिलकर अपनी घिसी पिटी मांग को ही दोहरा रहे हैं। सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं के अनुसार शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकारी दिल्ली यात्रा की आड़ में अनेक मोर्चों पर अपने हित साध रहे हैं। उनकी तुलना में भाजपा शासित राज्यों के अन्य मुख्यमंत्री न के बराबर ही दिल्ली के दर्शन कर रहे हैं।

देखा जाए तो शिवराज सिंह चौहान की मांगों पर कांग्रेसनीत केंद्र सरकार द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। शिवराज सिंह की यात्राओं पर मध्य प्रदेश का सूचना केंद्र भी मौन ही साधे रहता है। वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर एक ही झटके में केंद्र से एक हजार करोड़ से ज्यादा की रकम झटक कर ले जाने में सफल हो जाते हैं। एमपी इंफरमेशन सेंटर से छन छन कर बाहर आ रही खबरों के अनुसार शिवराज के दौरों में कोई उपलब्धि ही हासिल नहीं है तो प्रचार प्रसार आखिर किस बात का किया जाए, रही बात मांगों की तो अनेकों बार एक ही जैसी मांगों पर तो खबर जारी नहीं ही की जा सकती है।

गौरतलब है कि सालों साल विदिशा से सांसद रहे शिवराज सिंह चौहान ने अपने सरल स्वभाव के चलते नेशनल लेबल पर अपनी एक अलग साफ्ट छवि का निर्माण किया है। उनके दिल्ली दौरों से यह मतलब भी निकाला जा रहा है कि मध्य प्रदेश के अगले चुनाव शायद ही उनकी अगुआई में लड़े जाएं। शिवराज विरोधी भी इसके लिए सक्रिय नजर आ रहे हैं। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि शिवराज सिंह चौहान के बजाए संगठन को ही सूबे की कमान दी जाकर एमपी में भी गुजरात जैसा प्रयोग दुहराया जा सकता है।

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