सोमवार, 24 अक्तूबर 2011

जबर्दस्त चिंता में हैं वामदल


जबर्दस्त चिंता में हैं वामदल

भाकपा को तलाश है नए मुखिया की

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छिनने से वाम दलों के नेताओं की नींद में खलल पड़ गया है। आराम के आदी हो चुके नेता अब गहन मंथन में जुट गए हैं। वाम दलों के सुरक्षित गढ़ पश्चिम बंगाल के हाथ से जाने के बाद वाम दलों की नींद टूटी है। अब भाकपा के साथ ही साथ मार्कस्वादी कम्युनिस्ट पार्टी में भी आत्म मंथन का दौर आरंभ हो गया है।

माकपा और भाकपा के आला नेता अब एक दूसरे को कोसते नजर आ रहे हैं। पार्टी की दुर्दशा के लिए एक दूसरे को जिम्मेवार ठहराया जा रहा है। दोनों ही दलों के अंदर गहन मंत्रणाओं के कई दौर हो चुके हैं। भाकपा द्वारा विजन डाक्यूमेंट तैयार करवा लिया गया है। पार्टी ने अगले साल मार्च के दूसरे पखवाड़े में संभवतः तीसरे सप्ताह में पटना में पार्टी की जनरल काउंसिल की बैठक बुलाई है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि इसमें पार्टी द्वारा अपना नया महासचिव चुना जाएगा। इस जनरल कांउसिल की बैठक में पार्टी में अनेक निर्णय लिए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है जिसमें नीतिगत निर्णयों की संख्या सबसे अधिक होगी। पार्टी अब अपने पुराने ढर्रे से बाहर निकलकर नया खोल ओढ़ सकती है। कहा जा रहा है कि वर्तमान उप सचिव सुदावरम सुधाकर ही पार्टी के नए मुखिया हो सकते हैं।

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