दिग्गी ने खीचे मिशन यूपी से हाथ
चुनावों में दिग्विजय सिंह की सक्रियता दिख रही कम
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। 2014 में होने वाले आम चुनाव राहुल गांधी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह चुनाव ही उनका भविष्य तय करने में सहायक होंगे। राहुल के अघोषित राजनैतिक गुरू दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश की कमान अपने हाथ में ही रखी थी। अब उनकी पकड़ यूपी पर कमजोर ही दिख रही है। दिग्गी विरोधियों ने एसा दांव मारा है कि दिग्विजय सिंह न उगल पा रहे हैं न निगल पा रहे हैं।
देश को सबसे अधिक प्रधानमंत्री देने वाले उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस द्वारा जारी पहली सूची में दिग्वियज के दामाद का नाम गायब करवा दिया गया। वे राम नगर से चुनावी मैदान में उतरने की मंशा रख रहे थे। अपने ससुर साहेब की 10 जनपथ तक पहुंच देखकर वे भी आश्वस्त थे कि उनकी टिकिट रामनगर से पक्की है और जीत भी। जब सूची जारी हुई तो वे हक्के बक्के रह गए।
दिग्गी के निष्क्रीय होते ही उत्तर प्रदेश में बेनी प्रसाद वर्मा और मोहन प्रकाश धूमकेतू की तरह एकाएक राजनैतिक आकाश पर छाते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और महासचिव राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र भी उत्तर प्रदेश में ही है। इस लिहाज से यूपी में कांग्रेस को अपना प्रदर्शन हर हाल में सुधारना ही होगा।
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