मंगलवार, 1 नवंबर 2011

आड़वाणी को अब रखा जाने लगा है ‘बेचारे‘ की श्रेणी में


उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 9

आड़वाणी को अब रखा जाने लगा है बेचारेकी श्रेणी में

सालों साल तपस्या और तप का नतीजा सिफर

रथ यात्रा पूरी तरह फ्लाप हो रही साबित

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। सालों साल भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की आंखों के तारे बने रहे राजग की पीएम इन वेटिंग से हाल ही में हटे लाल कृष्ण आड़वाणी के हाथ अब संभावित अंतिम रथ यात्रा के बाद भी कुछ खास नहीं लगने की उम्मीद जताई जा रही है। संघ द्वारा तिरासी बसंत देख चुके उमर दराज एल.के.आड़वाणी को अब विश्राम की सलाह दी गई है। प्रधानमंत्री बनने की जुंग में ढलती उमर में भी आड़वाणी रथ यात्रा की अपनी जिद पूरी करने पर अड़े हुए हैं।

एक समय था जब आड़वाणी संघ की आंखों के तारे हुआ करते थे। उनकी एक बात पर संघ उनके पीछे आ खड़ा होता था, किन्तु पिछले कुछ सालों से आड़वाणी के कदमतालों ने उन्हें संघ से काफी दूर ले जाकर खड़ा कर दिया है। अब संघ आड़वाणी से सुरक्षित दूरी बनाकर ही चल रहा है। संघ मुख्यालय नागपुर के सूत्रों का दावा है कि संघ के शीर्ष नेतृत्व ने आड़वाणी को रथ यात्रा न करने की सलाह दी थी।

लगता है कि आड़वाणी आज भी इस मुगालते में हैं कि उनकी छवि पूर्व में अटल बिहारी बाजपेयी के साथ जुगलबंदी के वक्त जैसी है। दरअसल, अटल बिहारी बाजपेयी के द्वारा सक्रिय राजनीति से सन्यास लिए जाने के उपरांत आड़वाणी शीर्ष में इकलौते नेता बचे और उनकी अघोषित हुकूमत चलने लगी। कालांतर में उनके विरोधी सक्रिय हुए और फिर आड़वाणी की लोकप्रियता का ग्राफ एक एक कर नीचे की पायदान पर खिसकने लगा।

(क्रमशः जारी)

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