बच्चों के मामले में इंदौर सबसे असुरक्षित
नेशलन क्राईम ब्यूरो और एनजीओ का दावा
बच्चों के मामले में दयनीय है एमपी की हालत
शिव के राज में बहनों के बच्चे असुरक्षित
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भानजे और भानजियां सुरक्षित नहीं हैं। नेशलन क्राईम ब्यूरो और एक गैर सरकारी संगठन हक की ओर से जारी चाईल्ड राईट इंडेक्स में इस बात का खुलासा किया गया है। नेशनल क्राईम ब्यूरो द्वारा जारी वर्ष 2009 - 2010 के प्रतिवेदन में मध्य प्रदेश को बच्चों के लिए सबसे असुरक्षित बताया गया है। इस प्रतिवेदन में टॉप थ्री शहरों में सबसे उपर प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर, फिर संस्कारधानी जबलपुर के बाद तीसरी पायदान पर राजधानी भोपाल का नंबर आता है।
इन प्रतिवेदनों से साफ हो जाता है कि विकासशील शहरों में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। नेशनल क्राईम ब्यूरो का प्रतिवेदन कहता है कि मध्य प्रदेश में हर माह बच्चों के साथ पौन चार सौ अपराध घटित होते हैं। गौरतलब है कि प्रदेश के बच्चों को सूबे के निजाम शिवराज सिंह चौहान अपना भानजा भानजी निरूपित करते हैं। इन भयावह आंकड़ों के बाद भी सूबे में विपक्ष में बैठी कांग्रेस द्वारा सत्ता के खिलाफ इस संवेदनशील मुद्दे पर अपनी बोथरी धार से भी वार नहीं किया जा रहा है।
वर्ष 2009 से दस के बीच इंदौर में बच्चों के साथ हुए अपराधों की तादाद 337, जबलपुर में 257 तो भोपाल में 127 पाई गई। बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों में भी मध्य प्रदेश पहली पायदान पर है। एमपी में इस अवधि में शिवराज सिंह चौहान की 1071 भानजियों के साथ बलात्कार के मामले पंजीबद्ध किए गए। एमपी के बाद उत्तर प्रदेश में 625 तो महाराष्ट्र में 612 मामले बलात्कार के दर्ज हुए।
बच्चों की हत्या के मामले में सूबे में इस अवधि में 115 अपराध दर्ज किए गए। भोपाल इस मामले में सबसे उपर है जहां 7 बच्चों की हत्या की गई। बच्चों की हत्या के मामले में देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली का रिकार्ड बहुत ही खराब रहा। यहां कुल 65 बच्चों की हत्या की गई। देश की व्यवसायिक राजधानी मुंबई में 16 बच्चों को मौत के घाट उतार दिया गया। शांति का अघोषित टापू मध्य प्रदेश बच्चों के मामले में बहुत बुरी स्थिति में पहुंच चुका है और सूबे में कांग्रेस गुटबाजी में उलझकर प्रदेश के बच्चों का हित साधने से किनारा करती ही नजर आ रही है।
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