बुधवार, 9 नवंबर 2011

झाबुआ पावर के जमीन अधिग्रहण के साथ ही सख्त हुए नियम


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 10

झाबुआ पावर के जमीन अधिग्रहण के साथ ही सख्त हुए नियम

झाबुआ पावर को लाभ दिलाने नियमों को लागू करने में हो रहा था विलंब

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की नामी गिरामी कंपनी थॉपर ग्रुप के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर को लाभ दिलाने मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार भी आतुर दिख रही है। कंपनी के द्वारा आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में कोयला आधारित पावर प्लांट लगाने के लिए जमीन अधिग्रहण को युद्ध स्तर पर करवाने के पीछे सरकार की मंशा कुछ और समझ में आ रही है। जमीन अधिग्रहण के उपरांत एमपी गर्वमेंट ने जमीन के डायवर्शन के नियमों को अपेक्षाकृत कठोर कर दिया है।

झाबुआ पावर लिमिटेड पर घंसौर में आदिवासियों की जमीने माटी मोल खरीदने के आरोप लग रहे हैं। वहीं दूसरी और पड़ोसी जिले छिंदवाड़ा में सरकार के स्तर पर बनने वाली पेंच व्यपवर्तन परियोजना में जमीन के मुआवजे को लेकर सरकार द्वारा कहा जा रहा है कि मुआवजा अधिक होने से यह योजना प्रभावित हो रही है। एक तरफ तो छिंदवाड़ा के किसानों को सरकार द्वारा ज्यादा मुआवजा नहीं दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सिवनी जिले के केवलारी विधानसभा क्षेत्र की घंसौर तहसील के किसानों को चुटकी भर मुआवजा दिया जाकर उनका माखौल उड़ाया जा रहा है।

गौरतलब है कि वर्तमान में मध्य प्रदेश में जमीन के उपयोग परिवर्तन अर्थात डायवर्शन के लिए कोई नियम नहीं है। सूबे में अफसरों की मनमर्जी पर डायवर्शन का काम संपादित होता आ रहा है। घंसौर में कृषि की भूमि के औद्योगिक उपयोग के लिए लिए जाने पर भी शासन प्रशासन मौन ही साधे हुए है। कृषि भूमि को अकृषि के प्रयोजन का बनाया जा रहा है। कृषि भूमि वह भी आदिवासी या अनुसूचित जनजाति के लोगों से लेने पर कंपनी को ढेर सारी औपचारिकताओं से होकर गुजरना पड़ता किन्तु बताते हैं कि झाबुआ पावर लिमटेड कंपनी ने लक्ष्मी मैया की कृपा से शार्ट कट ही अपना लिया।

इसके पूर्व घंसौर में हुई जनसुनवाई में जिला प्रशासन की ओर से अतिरिक्त जिला कलेक्टर अलका श्रीवास्तव की देखरेख में संपन्न हुई थी। इस जनसुनवाई के बारे में भी जिला प्रशासन ने उस वक्त मौन साध रखा था। जिला प्रशासन ने किन उद्देश्य या दबाव में मौन साधा था यह तो वह ही जाने किन्तु आनन फानन में जनसुनवाई महज औपचारिकता को पूरा करने के उद्देश्य से ही की गई दिख रही थी। इस जनसुनवाई का निचोड़ क्या निकलकर आया इस मामले में भी जिला प्रशासन ने चुप्पी ही साध ली थी।

देश की मशहूर कंपनी थापर ग्रुप के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा घंसौर में बारह सौ मेगावाट के कोयला आधारित पावर प्लांट के पहले चरण में छः सौ मेगावाट का पावर प्लांट लगाए जाने के मसले में मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार का अतिसहयोगात्मक रवैया संदेहास्पद इसलिए माना जा रहा है क्योंकि कंपनी के संचालक कांग्रेस की चौखटों को चूमते नजर आते हैं।

(क्रमशः जारी)

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