शिव ने अपनी नगरी से ही किया विश्वासघात!
वन मंत्री से मिले पर नहीं की फोरलेन की चर्चा!
सिवनीवासियों को मामा बना रही भाजपा कांग्रेस
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले को भगवान शिव की नगरी के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि इसका नाम भगवान शिव के नाम पर ही सिवनी रखा गया था। सूबे के निजाम का नाम भी भगवान शंकर के नाम पर शिव राज सिंह चौहान हैं। विडम्बना है कि मुख्यमंत्री जब सिवनी के लोगों के बीच होते हैं तो बड़े बड़े वायदे कर जाते हैं, पर जब केंद्रीय मंत्रियों की देहरी पर अपनी आमद देते हैं तो वे इसे अमली जामा पहनाने की कवायद ही नहीं कर पाते हैं।
बुधवार को जब शिवराज दिल्ली आए और उन्होंने वन एवं पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन से भेंट की तब वाईल्ड लाईफ बोर्ड के पास लंबित सिवनी जिले के फोरलेन मार्ग के बारे में कोई चर्चा करना मुनासिब नहीं समझा। गौरतलब है कि चौहान ने पूर्व में कई बार ‘सूरज भले ही पश्चिम से उगना आरंभ हो जाए पर फोरलेन मार्ग सिवनी से ही जाएगा का दंभ भरा है। वहीं दूसरी और कांग्रेस का एक लगभग पचास सदस्यी प्रतिनिधिमण्डल विधानसभा उपाध्यक्ष के नेतृत्व में दिल्ली गया है, जो इस मामले के साथ अन्य मामलों में केंद्रीय मंत्रियों से चर्चा करने वाला है। कहा जा रहा है कि इस मामले का श्रेय लेने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस को खुला मौका दे दिया है।
मध्य प्रदेश सरकार के सूचना केंद्र द्वारा जारी आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री सुश्री जयन्ती नटराजन से भेंट की और उनसे आग्रह किया कि विकास और पर्यावरण में संतुलन बनाये रखते हुए विभिन्न ऊर्जा परियोजनाओं के लिए कोल ब्लाक आवंटित करने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा शीघ्र स्वीकृति दी जाय। सुश्री नटराजन ने श्री चौहान को आश्वासन दिया कि मध्यप्रदेश की सभी लंम्बित परियोजनाओं पर शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
श्री चौहान ने सुश्री नटराजन का ध्यान आकर्षित किया कि छिंदवाड़ा जिले के मंडला, सिंगरौली जिले के महान, अमेलिया, अमेलिया नार्थ, उमरिया जिले के सेमरिया और पिपरिया के कोल ब्लाक ऊर्जा संयंत्रों के लिए चिन्हित किये गये हैं किन्तु अब तक वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति नहीं मिलने के कारण सभी ऊर्जा परियोजनाओं के काम में विलम्ब हो रहा है। सिंगरौली जिले के महान और अमेलिया और मोरगा (एक) ऊर्जा संयंत्र बनकर तैयार हो गये हैं किन्तु उन्हें कोयला उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस कारण बिजली के उत्पादन में वृद्धि नहीं हो पा रही है।
श्री चौहान ने सुश्री नटराजन से कैम्पा की 1130 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने का आग्रह किया। विगत दो वर्षों में प्रदेश को केवल 104 करोड़ रुपये की राशि दी गई है। प्रदेश सरकार की ओर से कैम्पा की राशि में से 519 करोड़ रुपये के विभिन्न प्रोजेक्ट स्वीकृति के लिए भेजे गये हैं। इसके लिए शीघ्र राशि स्वीकृत की जाय। श्री चौहान ने सुश्री नटराजन का ध्यान टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट क्षेत्र के 735 गांवों के पुनसर््थापन के लिए 3300 करोड़ रुपये दिये जाने की मांग की। इन गांवों में से 117 गांव फारेस्ट रिजर्व की दृष्टि से अत्यन्त संवेदनशील हैं। प्रदेश सरकार ने इस वित्त वर्ष में 208 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया है किन्तु भारत सरकार से पुनसर््थापन के लिए राशि नहीं मिलने के कारण इन गांवों के पुनसर््थापन के कार्य में विलम्ब हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय अभ्यारण्य और टाइगर रिजर्व फारेस्ट में पर्यटन को प्रतिबंधित नहीं करते हुए उसे जारी रखने का आग्रह किया। वन अभ्यारण्यों में पर्यटकों की आवाजाही के कारण जहां एक ओर स्थानीय लोगों का आर्थिक विकास होता है वहीं वन्य प्राणी भी सुरक्षित महसूस करते हैं। पर्यटकों और शासकीय अमले की चौकसी की वजह से वन्य अभ्यारण्यों में वन्य जीवों के साथ छेड़छाड़ नहीं होती। न्यायालय में लम्बित जनहित याचिका में भारत सरकार की ओर से वन्य अभ्यारण्यों में पर्यटन को प्रतिबंधित नहीं करने की दलील दी जाय।
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