0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 19
कानों कान खबर नहीं है जनसुनवाई की
प्रदूषण मंडल की वेब साईट भी है झाबुआ ग्रुप के साथ
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। देश के हृदय प्रदेश की संस्कारधानी से महज सौ किलोमीटर दूर स्थापित होने वाले देश के मशहूर थापर ग्रुप के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड केे कोल आधारित पावर प्लांट के द्वितीय चरण की जनसुनवाई का काम गुपचुप तरीके से चालू है। 22 नवंबर को शासकीय हाई स्कूल गोरखपुर, तहसील घंसौर एवं जिला सिवनी में प्रातः 11 बजे होने वाली जनसुनवाई की मुनादी भी नहीं पिटवाया जाना अनेक संदेहों को जन्म दे रहा है। इस बारे में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की वेब साईट भी लगता है झाबुआ पावर लिमिटेड के कथित एहसानों से दब चुकी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर के ग्राम बरेला में स्थापित होने वाले पावर प्लांट के पहले चरण में पूर्व में ही गुपचुप तरीके से 600 मेगावाट की संस्थापना की जनसुनवाई पूरी कर ली गई थी। इस जनसुनवाई में क्या क्या हुआ इसका विवरण मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की वेब साईट पर उपलब्ध तो है किन्तु जरूरी एवं काम की कार्यवाही की छायाप्रति इतनी उजली डाली गई है कि उसे पढ़ा भी नहीं जा सकता है।
मध्य प्रदेश प्रदूषण मण्डल के क्षेत्रीय अधिकारी जबलपुर पुष्पेंद्र सिंह और तत्कालीन अतिरिक्ति जिला दण्डाधिकारी श्रीमति अलका श्रीवास्तव के हस्ताक्षरों से युक्त इस प्रतिवेदन में क्या क्या हुआ यह तो वर्णित है, इसमें चालीस आपत्तियां भी दर्ज हैं, किन्तु इस आपत्तियों को पठनीय किसी भी दृष्टिकोण से नहीं कहा जा सकता है। यह शोध का ही विषय है कि सरकारी वेब साईट में लोक जनसुनवाई की कार्यवाही को पारदर्शिता के साथ प्रदर्शित क्यों नहीं किया गया है। इसके पूर्व में भी हुई जनसुनवाईयों के बारे में भी मण्डल का रवैया संदिग्ध ही रहा है।
मण्डल की वेब साईट पर 352 नंबर पर अब इसके दूसरे चरण की लोक जनसुनवाई का मामला अंकित है। इसमें हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में कंपनी की प्रस्तावना को क्लिक करने पर पेज केन नॉट बी डिस्पलेड प्रदर्शित हो जाता है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में शिवराज सरकार का यह पक्षपात पूर्ण रवैया समझ से परे ही कहा जा सकता है। पूर्व की जनसुनवाई में आई आपत्तियों का निराकरण क्या किया गया है इस बारे में मण्डल, मध्य प्रदेश सरकार और कंपनी ने अपने मुंह सिले हुए हैं।
गौरतलब है कि इसके पूर्व भी पहले चरण में 600 मेगावाट के प्रस्तावित कोल और सुपर क्रिस्टल टेक्नोलॉजी आधारित पावर प्लांट की जनसुनवाई के मामले में भी पहले तो मण्डल की वेब साईट मौन रही फिर जब शोर शराबा हुआ तब जाकर पांच दिन पूर्व मण्डल ने इसकी कार्यवाही को सार्वजनिक किया था। इस बार 22 नवंबर को होने वाली जनसुनवाई की कार्यवाही को इन पंक्तियों के लिखे जाने तक प्रदूषण नियंत्रण मण्डल ने अपनी वेब साईट में स्थान नहीं दिया है।
(क्रमशः जारी)
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