उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 10
आड़वाणी को पीएम नहीं देखना चाह रहे भाजपाई
मोदी, नितीश, शिवराज पर दांव लगाना चाह रहा संघ
युवाओं में नहीं आड़वाणी का क्रेज़
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस अब आड़वाणी को साईड लाईन करने की जुगत लगाने लगा है। भाजपा का युवा वर्ग तिरासी साल के आड़वाणी को पचाने की स्थिति मे नहीं है। युवाओं के मन में उमरदराज हो चुके आड़वाणी के प्रति अनुराग नहीं उमड़ पा रहा है। हालात देखकर लगने लगा है कि भाजपा और संघ दोनों ही मिलकर लाल कृष्ण आड़वाणी को प्रधानमंत्री नहीं देखना चाह रहा है।
भाजपा के अंदर चल रही बयार के अनुसार भाजपा के कार्यकर्ता ही आड़वाणी और उनकी रथ यात्रा के बारे में उत्साहित नहीं है। आड़वाणी के सामने तो कार्यकर्ता यह जताते हैं कि वे उन्हें पीएम बनवाना चाहते हैं किन्तु जब इसे अमली जामा पहनाने की बात आती है तब कार्यकर्ता चुप्पी साध लेते हैं।
संघ के सूत्रों का कहना है कि मुगालते की बजाए यथार्थ में ही जीना होगा। देश का तीन चौथाई मतदाता 35 साल की उमर से कम का है। अपेक्षाकृत युवाओं को तिरासी साल के उमर दराज आड़वाणी कतई रास नहीं आ रहे हैं। इस सबके अलावा पेंतीस साल से आड़वाणी ने जो चेहरा अपनाया था वह रातों रात तो बदला नहीं जा सकता है।
आजादी के उपरांत देश में संचार क्रांति चरम पर है। आज इंटरनेट, टीवी और मोबाईल का युग है, इसमें रथ यात्रा जैसे बाबा आदम के जमाने के निष्प्रभावी अस्त्र कब तक काम करेंगे। संसद की कार्यवाही भी अब घरों घर समाचार चेनल्स के माध्यम से पहुंच रही है। इन परिस्थितियों में संसद में सरकार के सामने कथित तौर पर घुटने टेकने के बाद रथ यात्रा का ओचित्य लोगों को समझ नहीं आ पा रहा है।
(क्रमशः जारी)
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