छठवे वेतनमान के व्ययभार की पूर्ति केन्द्र सरकार करे
केन्द्रीय बजट पूर्व बैठक में वित्तमंत्री राघवजी
(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली (साई)। मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री राघवजी ने केन्द्रीय बजट के संबंध में आयोजित बैठक में सुझाव दिया कि केन्द्र सरकार राज्य सरकारों को छठवें वेतनमान के कारण हुए व्यय भार वहन करने में मदद करे। वित्तमंत्री राघवजी आज यहां आयोजित बजट पूर्व सुझावों के आमंत्रित राज्यों के वित्त मंत्रियों की बैठक में संबोधित कर रहे थे। बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय वित्त मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी ने की।
राघवजी ने कहा कि छठवें वेतनमान के कारण राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हुई है। लेकिन अभी तक केन्द्र ने कोई मदद नहीं की। उन्होंने सुझाव दिया कि केन्द्र सरकार इस संबंध में अब मदद करे। राघवजी ने कहा कि केन्द्र सरकार ऐसी वस्तुओं/मदों पर सर्विस टैक्स न लगाये जो राज्य के दायरे में आते हैं। उन्होंने कहा कि मनोरंजन कर विलासिला कर, भवन एवं सम्पत्ति कर आदि राज्यों के दायरे में आते हैं। यदि इन पर केन्द्र सरकार द्वारा सर्विस टैक्स लगाया जाता है तो यह संघीय ढांचे के खिलाफ होगा और नागरिकों पर कर की दोहरी मार पड़ेगी।
राघवजी ने मध्यप्रदेश में औद्योगिक एवं अन्य विकास के लिए रेलवे नेटवर्क को और बढ़ाने पर बल दिया। उन्होेने कहा कि मध्यप्रदेश जो देश के मध्य में है वहां रेलवे नेटवर्क औसत से बहुत कम है। उन्होंने बताया कि ललितपुर-सिंगरौली रेलमार्ग का कार्य 40 साल में भी पूरा नहीं हो पाया है। इसी प्रकार जबलपुर से गोंदिया और खंडवा से रतलाम मार्ग का ब्रॉडगेज में परिवर्तन भी नहीं हो पाया है। उन्होंने बताया कि इन मार्गों के ब्रॉडगेज हो जाने से औद्योगिक विकास को गति मिलेगी। खंडवा-रतलाम मार्ग तो दिल्ली-मुम्बई कॉरीडोर में आता है।
राघवजी ने कहा कि राज्य सरकार ने ओला-पाला प्राभावितों के लिए क्षतिपूर्ति राशि की बार-बार मांग की है। केन्द्र सरकार द्वारा गठित मंत्री समूह ने भी सैद्धांतिक रूप से क्षतिपूर्ति के लिए सहमति दी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने स्वयं के संसाधनों से 1725 करोड़ रूपये क्षतिपूर्ति के रूप में दिये हैं। यह राशि केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश सरकार को दी जानी चाहिए। बुंदेलखंड पैकेज के संबंध में राघवजी ने कहा कि इसकी पूरी राशि राज्य सरकार को नहीं मिली है। पैकेज के तीसरे एवं अंतिम वर्ष में इस साल एक भी पैसा केन्द्र सरकार से नहीं मिला है जबकि 750 करोड़ रूपये बकाया हैं। उन्होंने यह राशि अतिशीघ्र दिये जाने पर बल दिया।
वित्त मंत्री ने बताया कि प्रदेश में घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे और खेती किसानी के लिए आठ घंटे नियमित रूप से बिजली उपलब्ध कराने के लिए फीडर सेपरेशन का कार्य शुरू किया गया है। यह कार्य दो साल में पूरा करेंगे। इस पर 12 हजार करोड़ रूपये व्यय होना है। केन्द्र सरकार गांवों के सर्वांगीण विकास के इस कार्य में सहयोग करे।
राघवजी ने सुझाव दिया कि ऐसे राज्य जहां क्षेत्रफल ज्यादा है लेकिन आबादी कम एवं बिखरी हुई है उन क्षेत्रों में सड़क, बिजली, स्कूल, अस्पताल आदि आधारभूत संरचनायें उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार केन्द्र स्तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर पैकेज राज्यों को दे ताकि ऐसे क्षेत्रों को सर्वांगीण विकास हो सके। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश में किराये के भवनों में चल रहे आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवनों के निर्माण के कार्य को ग्राम विकास योजना से जोड़ा जाए। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में 70 प्रतिशत आंगनवाड़ी किराये के भवनों में संचालित हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत बनाये गये स्कूलों की बाड्रीवाल के लिए राज्य सरकार अलग से प्रावधान करे। उन्होंने प्रदेश के वनों के रख-रखाव के लिए विशेष पैकेज अथवा कार्वन क्रेडिट दे क्योंकि वनों के रख-रखाव से पूरे देश के वातावरण को लाभ मिलता है। उन्होंने मध्यप्रदेश जैसे राज्यों के लिए सिंचाई योजनाओं में केन्द्र द्वारा 90 प्रतिशत राशि तक का सहयोग करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि अभी यह केवल आदिवासी क्षेत्रों के लिए ही है।
वित्तमंत्री ने सुझाव दिया कि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए केन्द्र सरकार दो से तीन वर्ष तक का डिप्लोमा शुरू किया जाना चाहिए ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवायें सुचारू रूप से उपलब्ध हो सकें। उन्होंने शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र स्तर पर विशेष कार्यक्रम चालने का सुझाव दिया ताकि शिक्षित बेरोजगारों को उचित रोजगार मिल सके। उन्होंने सुझाव दिया कि रोजगार के अभाव में शिक्षित बेरोजगारों को भत्ता दिये जाने पर विचार किया जाना चाहिए ।
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