बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 87
कांग्रेस फटे पत्ते में नहीं पूछ रही मनमोहन को
विधानसभा चुनावों में आराम फरमा रहे प्रधानमंत्री
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। पंजाब में प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह कांग्रेस के लिए ‘अ सरदार‘ ही साबित हो रहे हैं। देश में सबसे ताकतवर संवैधानिक पद पर सिख्ख के बैठे होने के बाद भी कांग्रेस द्वारा उनका उपयोग पंजाब में बिल्कुल भी नहीं किया गया। पिछले बार कांग्रेस के प्रमुख चेहरे रहे मनमोहन को अब कांग्रेस द्वारा ही फटे पत्ते में नहीं पूछ रही है। कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री की 7, रेसकोर्स (प्रधानमंत्री आवास) से बिदाई के दिन नजदीकी है।
उल्लेखनीय है कि 2004 में जब मनमोहन सिंह पर विश्वास जतलाकर सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया था तब समूचे पंजाब में उत्साह की लहर दौड़ी थी। उस वक्त सरदारों ने अंबाला से लेकर अमृतसर तक भांगड़ा किया था। नेहरू गांधी परिवार पर लगे 84 के दंगों के रिसते घाव भी पंजाब के लोगों के भरने लगे थे। लोगों को लगा कि मनमोहन को पीएम बनाकर कांग्रेस ने उनके घावों पर मरहम लगाया है।
कांग्रेस के अंदरखाते में चल रही चर्चाओं के अनुसार संप्रग की दूसरी पारी में मनमोहन सिंह की छवि बेहद दागदार होकर उभरी है। लोग पहले उन्हें ईमानदार समझते थे और अब उन्हें ‘भ्रष्टाचार का ईमानदार संरक्षक‘ समझा जाने लगा है। सुरसा की तरह बढ़ती मंहगाई ने मनमोहन की छवि जमकर दागदार हुई है। लोग उन्हें अब कमजोर प्रधानमंत्री के तौर पर देख रहे हैं।
पंजाब कांग्रेस कमेटी के सूत्रों ने कहा कि सूबे में प्रत्याशियों ने राहुल और सोनिया के साथ ही साथ प्रियंका की सभाएं चाहीं थीं। आश्चर्य की बात तो यह है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए महज दो सभाएं लुधियाना और अमृतसर में ही चाही गईं। मनमोहन जुंडाली यह कहकर अपना दामन बचा रही है कि अच्छा हुआ कि मनमोहन सिंह को आराम करने का मौका तो मिल गया, किन्तु कांग्रेस इसे मनमोहन सिंह की जमकर हुई अवनति से तौल रही है।
(क्रमशः जारी)
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