बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 98
मध्यावधि चुनावों की तैयारी में जुटे पुलक चटर्जी
अचानक ही तेवर तल्ख हो गए हैं बाबू मोशाय के
संजय गांधी की पसंद थे पुलक बाबू
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)। देश के सबसे ताकतवर कार्यालय के सिरमोर बन चुके उत्तर प्रदेश काडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के 1974 बैच के वरिष्ठ अधिकारी पुलक चटर्जी इन दिनों मध्यावधि चुनावों की तैयारियों में व्यस्त दिख रहे हैं। पीएमओ में उनके तेवर और भाव भंगिमाएं काफी सख्त ही नजर आ रही हैं। चटर्जी के मशविरे पर वज़ीरे आज़म डॉ.मनमोहन सिंह ने भी मध्यावधि चुनाव का मन बना लिया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि पुलक चटर्जी ने सभी मंत्रालयों पर मश्कें कसना आरंभ कर दिया है। पुलक चटर्जी इस समय आधारभूत अधोसंरचना वाले मंत्रालय विशेषकर उर्जा, कोयला, भूतल, शिपिंग, खनन, सामाजिक न्याय, पर्यावरण, वाणिज्य आदि पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। चटर्जी ने साफ तौर पर कहा दिया है कि सभी मंत्रालय अपना अपना लक्ष्य निर्धारित समय सीमा में पूरा कर लें।
सूत्रों ने आगे कहा कि मूलतः उत्तर प्रदेश काडर के आईएएस पुलक चटर्जी ने साफ तौर पर अधिकारियों को हिदायत दे दी है कि अगर वे निर्धारित समय सीमा में काम पूरा नहीं कर सकते हैं तो बेहतर होगा वे त्यागपत्र दे दें। पिछले माह के दूसरे पखवाड़े में पुलक चटर्जी ने सचिव स्तर की बैठक में भी अधिकारियों को आड़े हाथों लिया था।
उधर, कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि पुलक चटर्जी के तेवरों में बदलाव इसलिए आया है क्योंकि पिछले दिनों सोनिया गांधी ने उन्हें कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के लिए रोड़मेप तैयार करने के निर्देश दिए थे। अब मध्यावधि चुनाव किन परिस्थितियों में होगा इस बारे में सूत्रों ने कोई खुलासा नही किया है।
मध्य प्रदेश काडर के आईएएस अलका सिरोही, के.एम.आचार्य, सुषमा नाथ, राघवेंद्र सिंह सिरोही, राकेश बंसल और रंजना चौधरी के बैच के अधिकारी पुलक चटर्जी की खोज अस्सी के दशक में संजय गांधी द्वारा ही की गई थी। बताते हैं कि अस्सी के दशक में संजय गांधी को सुल्तानपुर के लिए एक अदद जिला दण्डाधिकारी (डीएम) की तलाश थी। उस वक्त सूबे के तत्कालीन निजाम विश्वनाथ प्रताप सिंह ने पुलक चटर्जी को सुल्तानपुर का डीएम बनाने की सिफारिश की।
पुलक चटर्जी कभी संजय गांधी से नहीं मिल सके किन्तु पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी के अमेठी आने के बाद भी चटर्जी का नेहरू गांधी परिवार से नाते का पौधा कब वटवृक्ष बन गया पता ही नहीं चला। राजीव गांधी के साथ पीएमओ, राजीव गांधी फाउंडेशन और सोनिया के आफिस में काम करने के बाद पुलक आज पीएमओ की नाक का बाल बने हुए हैं।
(क्रमशः जारी)
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