मंगलवार, 27 मार्च 2012

एमपी के दिग्गजों को नहीं अपने सूबे की परवाह!


एमपी के दिग्गजों को नहीं अपने सूबे की परवाह!

प्रदेश से पर्याप्त दूरी बना चुके हैं मध्य प्रदेश के क्षत्रप



(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस में मध्य प्रदेश के विभिन्न अंचलों को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले क्षत्रपों को प्रदेश की अब परवाह नहीं रही है। मध्य प्रदेश कोटे वाले केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, महासचिव दिग्विजय सिंह, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांति लाल भूरिया, राज्य सभा सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण यादव आदि ने मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के भोपाल स्थित मुख्यालय रूख करना मुनासिब नहीं समझा है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी मुख्यालय 24, अकबर रोड़ में बैठने वाले एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि मध्य प्रदेश के क्षत्रप ही सबसे ज्यादा मलाई खा रहे हैं और कांग्रेस की जड़ों को सींचने के बजाए उसमें मट्ठा डालने का उपक्रम कर रहे हैं। पिछले आठ सालों से कांग्रेस मध्य प्रदेश में सत्ता से बाहर है और आने वाले समय में भी कांग्रेस की वापसी की संभावनाएं बहुत ही धूमिल ही दिख रही हैं।
उन्होंने कहा कि अगर यही हाल रहा तो उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात की तरह ही मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस का नामलेवा नहीं बचेगा। उन्होंने यह भी कहा कि केंद्रीय नेतृत्व को यह बात समझ में नहीं आ पा रही है कि कांग्रेस के क्षत्रप अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र में तो जीत दर्ज करा लेते हैं पर जो व्यक्ति अपने संभाग में ही कांग्रेस का परचम ना लहरा सके वह राष्ट्रीय नेता किस आधार पर कहला सकता है?
उक्त पदाधिकारी ने अपनी तल्ख नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पैसे के दम पर चुनाव लड़कर केंद्र की राजनीति करने वाले इन नेताओं को अपने संभागों में कांग्रेस की गिरती साख से कुछ लेना देना नहीं है। दरअसल, ये नेता चाहते ही नहीं हैं कि उनके अलावा उनके जिले या संभाग में कोई कांग्रेस का नेता पैदा हो! अगर पैदा हो जाएगा तो फिर जनता उनमें और दूसरे नेता में तुलना आरंभ कर देगी जिसका खामियाजा इन नेताओं को भुगतना पड़ सकता है।
मुख्यालय में चल रही एक अन्य चर्चा के अनुसार मध्य प्रदेश में कांग्रेस कई फाड़ अलग ही नजर आ रही है। एक तरफ प्रदेश कांग्रेस में दिग्विजय सिंह गुट का बोल बाला है तो दूसरे गुट मौन साधकर असहयोग ही कर रहे हैं। पिछले दिनों भोपाल में हुई स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर एक बैठक का हवाला भी चर्चाओं में दिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि प्रदेश प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद की मौजूदगी में संपन्न समन्वय समिति की दूसरी बैठक में दिग्गज नेताओं ने आने से परहेज ही किया।
केंद्रीय मंत्री कमल नाथ ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में 2008 के बाद कदम ही नहीं रखा है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने बैठक में जाने के बजाए राघोगढ़ स्थित अपने महल में आराम फरमाना तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इंदौर में एक विवाह में शामिल होना बैठक से अहम माना। सुरेश पचौरी, अरूण यादव और सत्यव्रत चतुर्वेदी भी बैठक से गायब ही रहे। इस तरह अपने बेपरवाह, स्वार्थी, आत्मकेंद्रित सेनापतियों की फौज के दम पर कांग्रेस 2013 में संपन्न होने वाले चुनावों में विजय वरण ेकरने का दिवा स्वप्न देख रही है।

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