रविवार, 22 अप्रैल 2012

मीडिया की भूमिका से नाराज हैं ममता!


मीडिया की भूमिका से नाराज हैं ममता!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। दुनिया को लोहा मनवाकर ताकतवर महिलाओं में शामिल हुईं पश्चिम बंगाल की निजाम सुश्री ममता बनर्जी इन दिनों मीडिया की भूमिका से खफा नजर आ रही हैं। कल तक मीडिया के जिस काम की वे तारीफें करते थकती नहीं थीं आज मीडिया का वही काम उन्हें कांटों के मानिंद चुभता नजर आ रहा है। ममता चाह रहीं हैं कि मीडिया उनके सुर में सुर मिलाकर उनकी थापर पर ही कत्थक करे।
गौरतलब है कि ममता बनर्जी जब तक विपक्ष में रहीं तब तक वाम दल की सरकार की गलत नीतियों को जनता के सामने लाने के मामले में मीडिया की भूमिका की उन्होंने सदा ही भूरी भूरी प्रशंसा की। बड़े बड़े औद्योगिक घरानों की तर्ज पर नब्बे के दशक से बने मीडिया हाउस भी चाहे देश में जैसी बयार बहाते रहे हों पर पश्चिम बंगाल में उन्होंने वाम दलों को सदा ही आड़े हाथों लिया है।
ममता बनर्जी को सत्ता में आने के पहले ही आभास हो गया था कि अब वाम दलों का लाल किला कभी भी धसक सकता है। यही कारण था कि उन्होंने चुनाव के आसपास ही मीडिया मैनेजमेंट आरंभ कर दिया था। ममता के करीबी सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी के विश्वस्त रहे मुकुल राय और दिनेश त्रिवेदी ने ममता को यह विश्वास दिलाया था कि दीदी के शपथ लेते ही मीडिया अपनी स्वतंत्र निगरानी को पूरी तरह बंद कर देगा।
सूत्रों ने बताया कि मीडिया हाउस तो कुछ हद तक चंद दिनों के लिए खामोश रहे, किन्तु अचानक ही इंटरनेट के माध्यम से हुई संचार क्रांति के बाद अस्तित्व में आए सोशल मीडिया ने अपना काम नहीं रोका। इस मामले में जब ममता बनर्जी के एक करीबी उद्योगपति के कुछ कारनामे उजागर किए गए तो किसी छोटे से ब्लागर ने अपने ब्लाग पर रपट लिख दी। कहा जाता है कि इससे त्रणमूल सुप्रीमो ममता इतनी नाराज हुंईं कि उक्त ब्लागर को कंपनी ने एक अरब रूपए की मानहानि का नोटिस दे मारा। किसी के ब्लाग पर लिखी टिप्पणी को महज दो पांच सौ लोग बमुश्किल से पढ़ते होंगे उसमें भी एक सौ करोड़ रूपए की मानहानि होना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है।
बहरहाल, मीडिया हाउसेस द्वारा भी जब ममता की गलत नीतियों रीतियों के मामले में उन्हें आंख दिखाई गई तब ममता का गुस्सा सातवें आसमान पर बताया जा रहा है। एक कार्टून बनाने पर ममता ने एक व्यक्ति को जेल भेजकर मीडिया को संदेश देने का प्रयास किया है कि महाराष्ट्र में जिस तरह प्रजातंत्र पर ठाकरे ब्रदर्स का राज हावी है उसी तरह अब पश्चिम बंगाल में भी हिटलरशाही लागू हो चुकी है।
ममता विरोधी अब इस बात को हवा देने में लगे हैं कि मीडिया के द्वारा वाम दलों की सरकारों की गलत नीतियों के विरोध का ममता यह मतलब कतई ना निकालें कि मीडिया ममता बनर्जी का समर्थन करता है। ममता ने मीडिया समूहों को झटका देने के लिए अब तक छोटे अखबारों के तीन पत्रकारों को राज्यसभा के रास्ते केंद्रीय राजनीति में भेजकर अपनी तल्ख नाराजगी का इजहार कर दिया है।

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