भूमि मालिक की
सहमति अधिग्रहण के लिए अनिवार्य
(शरद)
नई दिल्ली (साई)।
भूमि अधिग्रहण को लेकर होने वाले आंदोलनों ने सरकार की नींद उड़ा दी है। सरकार को
मजबूरी में इस ओर ध्यान देना पड़ा है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भूमि अधिग्रहण विधेयक
का अनुमोदन कर दिया है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कल शाम हुई
मंत्रिमंडल की बैठक में इसके तहत निजी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने में
८० प्रतिशत भूमि मालिकों की सहमति अनिवार्य बना दी गई है।
निजी सार्वजनिक
भागीदारी में भूमि अधिग्रहण के लिए ७० प्रतिशत भूमि मालिकों की सहमति जरूरी होगी।
एक और बड़े फैसले में मंत्रिमंडल ने एक हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत की परियोजनाओं
की मंजूरी में तेजी लाने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में निवेश से सम्बद्ध
मंत्रिमंडल की समिति गठित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय सूचना और
प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने बताया कि परियोजनाओं को मंजूरी देते समय पर्यावरण
मंत्रालय की सभी चिंताओं का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि हजार करोड़ के लगभग
जो बड़े प्रोजेक्ट हैं अगर उसमें कोई दिक्कत या तकलीफ आ रही है या कहीं पर किसी
कानून में डेडलाइन दी गई है उसको मीट नहीं किया जा रहा या उसको पूरा नहीं किया जा
रहा तो कैबिनेट कमिटी ऑन इन्वेस्टमेंट उन प्रोजेक्ट्स को देखेगी।
वहीं पीएमओ के
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान कहा कि सुरक्षा से
सम्बद्ध मंत्रिमंडल की समिति ने तटीय सुरक्षा मजबूत करने के लिए दो हजार १५० करोड़
रुपए का प्रस्ताव मंजूर कर लिया है। इसका उद्देश्य २६ नवंबर जैसे मुंबई आतंकी
हमलों को रोकना है। प्रस्ताव के तहत तटरक्षक बल के लिए एक हजार पांच सौ करोड़ रुपए
की लागत से समुद्र में गश्त लगाने वाले पांच पोत खरीदे जाएंगे। समुद्री सुरक्षा
नेटवर्क के दूसरे दौर में ३८ रडार लगाए जाएंगे जिनकी मदद से समूचे समुद्री क्षेत्र
में इलेक्ट्रानिक प्रणाली से निगरानी रखी जाएगी।
सूत्रों ने समाचार
एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि आर्थिक मामलों से सम्बद्ध मंत्रिमंडल की समिति
ने उर्वरक कंपनियों को नए संयंत्र लगाने और अपनी मौजूदा क्षमता बढ़ाने में प्रोत्साहन
देने के लिए यूरिया निवेश नीति मंजूर कर दी है। वहीं,, बुनियादी ढांचे से
सम्बद्ध मंत्रिमंडल की समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के चौथे चरण
में बनाओ, चालू करो
और हस्तांतरित करो की नीति यानी बी.ओ.टी. के अंतर्गत चार हजार किलोमीटर की चार लेन
की परियोजना को बढ़ाकर आठ हजार किलोमीटर करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है।
मंत्रिमंडल ने दिल्ली, मुम्बई, कर्नाटक और राजस्थान में १८ सौ मेगाहटर्ज
बैंड टू जी स्पैक्ट्रम नीलामी के आरक्षित आधार मूल्य में तीस प्रतिशत की कटौती का
भी अनुमोदन कर दिया है। इन मंडलों के लिए नवम्बर में किसी भी कंपनी ने बोली नहीं
लगाई थी।
वहीं आई एण्ड बी
मिनिस्ट्री के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सूचना और प्रसारण
मंत्रालय ने मल्टी सिस्टम ऑपरेटरों और लोकल केबल ऑपरेटरों की एकाधिकारवादी
प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण -ट्राई की राय
मांगी है।
सूत्रों ने कहा कि
मंत्रालय ने ट्राई से कहा है कि उचित प्रतिस्पर्धा, सेवाओं की गुणवत्ता
में सुधार और समानता सुनिश्चित करने के लिए अपनी सिफारिशें दे। मंत्रालय ने केबल
टेलीविजन नेटवर्क विनियम कानून १९९५ में संशोधन के लिए भी सुझाव मांगे हैं। कुछ
राज्यों में केबल टेलीविजन के प्रसारण और वितरण पर कुछ कंपनियों ने एकाधिकार कर
लिया है और पूरे राज्य में केवल एक ही केबल टी.वी. नेटवर्क का कारोबार हो रहा है।
उधर, आवास मंत्री अजय
माकन के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि सरकार
ने कहा है कि फेरीवालों का जीवन स्तर सुधारने के लिए प्रभावी कानून बनाना सरकार की
पहली प्राथमिकता है। कल नई दिल्ली में आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री अजय माकन
ने बताया कि फेरीवालों के बारे में पिछले सत्र में लोकसभा में एक विधेयक पेश किया
गया था। माकन ने बताया कि उनका मंत्रालय शीघ्र ही इनके लिए एक ऋण योजना शुरू
करेगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत देशभर में फेरीवालों
के कल्याण और आर्थिक उत्थान के लिए पर्याप्त धनराशि दी गई है।
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