शनिवार, 15 दिसंबर 2012

सरकार में नंबर दो की भूमिका में आए कमल नाथ


सरकार में नंबर दो की भूमिका में आए कमल नाथ

एफडीआई ने बढ़ाया कमल नाथ का सियासी कद

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। संगठन में भले ही युवराज राहुल गांधी को राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी के बाद नंबर दो समझा जाता हो पर सरकार में नंबर दो की भूमिका में आ गए हैं कमल नाथ। केंद्रीय शहरी विकास और संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ ने साबित कर दिया है कि फ्लोर मेनेजमेंट में उनका कोई सानी नहीं है। हाल ही में एफडीआई मामले में कमल नाथ ने अकेले ही टीम मनमोहन की गाड़ी को खींचकर नैया पार लगवा दी। कांग्रेस के अंदर अब कमल नाथ का कद प्रधानमंत्री के उपरांत नंबर दो समझा जाने लगा है।
कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी की कमल नाथ के प्रति खासी नाराजगी के उपरांत भी मनमोहन सिंह ने वीटो का प्रयोग कर कमल नाथ को शहरी विकास के साथ ही साथ संसदीय कार्य मंत्रालय का प्रभार सौंपा। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि राहुल गांधी चाह रहे थे कि कमल नाथ को कमजोर मंत्रालय का प्रभार दिया जाए।
अब जबकि एफडीआई मुद्दे पर शहरी विकास मंत्री का चहुंओर जयकारा लग रहा है तब राहुल गांधी की बोलती बंद हो गई है। उधर, पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री भी एफडीआई मामले में तहे दिल से ना केवल कमल नाथ का शुक्रिया अदा करना चाह रहे हैं बल्कि मनमोहन सिंह अब कमल नाथ के प्रबंधन कौशल के मुरीद हो चुके हैं।
उधर, संसद से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो कमल नाथ ने अपने लंबे संसदीय जीवन (1980 से वे लगातार सांसद हैं) का भरपूर उपयोग कर अपने राजनैतिक संपर्कों को जिंदा कर उनका तबियत से दोहन किया। कहा जा रहा है कि इसके पहले संसदीय कार्य मंत्री रहे पवन बंसल का फ्लोर मैनेजमेंट अगर होता तो सरकार कब की एफडीआई मसले पर धराशाई हो गई होती।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (बतौर सांसद श्रीमति सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि दरअसल, भारत की राजनीति की सियासी डोर अमरिका के हाथ परोक्ष तौर पर है, दुनिया के चौधरी अमरीका द्वारा ही अपनी पसंद के व्यक्तित्व को ताकतवर बनाया जाता है। सूत्रों ने कहा कि 2004 में जब संप्रग सरकार अस्तित्व में आ रही थी तभी कमल नाथ को देश का वजीरे आजम बनाने का ताना बाना भी बुना गया था, किन्तु मनमोहन सिंह की छवि कमल नाथ पर भारी पड़ी।
कमल नाथ के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मायावती को एफडीआई के पक्ष में तैयार करने के लिए कमल नाथ को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। पहले तो लुटियन जोन में माया मेम साहिब के लिए कार्यालय की जगह फिर बाद में मायावती के एक सहयोगी की सीबीआई से मदद का हवाला भी दिया गया दोनों के बीच चर्चाओं के दौरान। सूत्रों ने बताया कि जब सिंह सीबीआई निदेशक थे तब माया मेम साहिब के एक करीबी की कमल नाथ ने आउट ऑफ वे जाकर मदद की गई थी।
कांग्रेस के अंदर कमल नाथ समर्थक अब इस बात को चटखारे लेकर कर रहे हैं कि चाहे कांग्रेस में श्रीमति सोनिया गांधी सुप्रीमो हों और उनके अपरिपक्व बेटे राहुल गांधी को नंबर दो की भूमिका में महिमा मण्डित किया जा रहा हो पर यह बात आईने की तरह साफ हो चुकी है कि सरकार में डॉ.मनमोहन सिंह सुप्रीमो हैं और कमल नाथ नंबर दो की पोजीशन में आ चुके हैं।
वैसे भी कमल नाथ 1980 से लगतार सांसद हैं जो सदा ही लोकसभा चुनाव लड़कर जीते हैं और उनकी सीनियारिटी को देखकर उनकी नंबर दो पोजीशन पर किसी को शक शुबहा नहीं होना चाहिए। सरकार के साथ ही साथ संगठन में भी इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि रीढ़ विहीन लोगों को महिमा मण्डित करने के बजाए अगर जनाधार वाले लोगों को आगे लाकर उन्हें ताकतवर बनाया जाता है तो कांग्रेस का फिर से उत्थान हो सकता है।

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