साई बाबा के नाम का
व्यवसाईकरण बर्दाश्त नहीं: मण्डल
(पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)। शिरडी
के फकीर साई बाबा के नाम पर धर्म की दुकानें बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। देश भर में
साई बाबा के नाम के मंदिरों में आने वाले चढ़ावे का ना तो कोई हिसाब किताब रखा जा
रहा है ना ही उसका क्या उपयोग किया जा रहा है यह ही बताया जाता है। मंदिरों में
रखी दान पेटियां कब और किसके सामने खोली जाती हैं इसका भी कोई अता पता नहीं होता
है।
उक्ताशय की बात
हिन्दु महासभा के प्रदेशाध्यक्ष संजय मण्डल ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति
में कही है। उन्होंने कहा कि सिवनी में भी साई बाबा के नाम का व्यवसाईकरण आरंभ हो
गया है, जो निंदनीय
है। शिरडी के फकीर साई बाबा की जीवनी या साई सच्चरित्र का अध्ययन करने पर साफ हो
जाता है कि वे माया मोह से कोसों दूर थे।
साई बाबा के नाम पर
सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर अश्लील टिप्पणियां निश्चित तौर पर निंदनीय है। जनता
का यह आक्रोश साई बाबा के लिए नहीं है। यह आक्रोश बाबा के मंदिर बनाकर उनका
व्यवसाईकरण करने वालों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सिवनी में साईपुरम में साई
मंदिर के साई उत्सव मेला बंद कराने की बात आज एक समाचार पत्र में मंदिर के सचिव
प्रसन्न मालू के हवाले से प्रकाशित किया गया है।
श्री मण्डल ने कहा
कि साई उत्सव मेला किसकी जमीन पर लगता है यह बात मंदिर प्रबंधन बताए। मंदिर में
निर्माण से अब तक कितनी राशि किस मद में किसकी अनुमति से खर्च हुई है इसका ब्योरा
सार्वजनिक क्यों नहीं किया जाता है। क्या कारण है कि असली साई भक्त एक एक करके इस
मंदिर से दूर हो गए हैं।
हिन्दु महासभा के
प्रदेशाध्यक्ष संजय मण्डल ने कहा है कि उन्होंने साई मंदिर ट्रस्ट की प्रस्तावित
सूची समाचार पत्र में देखी है, जिसमें मुख्य कर्ताधर्ता मालू परिवार के चार
सदस्यों के नाम हैं! इसमें से कुछ लोग भोपाल जाकर सैटिल हो गए हैं, सालों से रोज जाकर
मंदिर में प्रसाद चढ़ा रहा है उन्हें आखिर इस ट्रस्ट से दूर क्यों रखा गया है?
श्री मण्डल ने कहा
कि उन्होंने समाचार पत्र में पढ़ा कि इस ट्रस्ट की कुल चल संपत्ति एक लाख 54 हजार 220 रूपए है। उन्होंने
सिवनी के साई भक्तों से यह पूछा है कि क्या दस सालों में साई मंदिर में भक्तों
द्वारा महज डेढ़ लाख रूपए ही चढ़ाए गए हैं। वैसे देखा जाए तो 21 से 24 जनवरी तक चलने
वाले साई पटोत्सव मेले जिसे कुछ कारणवश 19 से आरंभ कर दिया गया है में ही एक से डेढ़
लाख रूपए का चढ़ावा आ जाता होगा। इस मेले में दुकानें यहां तक कि साईकल स्टेंड तक
किराए से दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि
उनके संज्ञान में इस बात को भी लाया गया है कि सांसद विधायक निधि से यहां बनाया
गया पहुंच मार्ग और मंदिर की पीछे वाली सीढ़ी मंदिर के बजाए निजी जमीन में बनाई गई
है। इस पहुंच मार्ग के लिए सांसद या विधायक ने राशि कैसे दी इस बात की जांच भी
आवश्यक है।
साई मंदिर को अघोषित
पार्किंग बना दिया गया है। यहां भारी वाहन रात को पार्क होते हैं, एवं इनके चालक
परिचालक मंदिर के अंदर कूलर पंखों का आनंद भी लेते हैं। पिछले दिनों यहां चोरी हो
गई थी जिसमें परिस्थितियां इस बात की ओर इशारा कर रही थीं कि दीवार को बाहर के
बजाए अंदर से तोड़ा गया था। मंदिर के गर्भ गृह में पैरों के निशान थे पर पुलिस को
वहां तक नहीं जाने दिया गया।
समाचार पत्र में
श्री प्रसन्न मालू के हवाले से यह भी कहा गया है कि मंदिर से लगे भूखण्ड को कुछ भू
माफिया मंहगे दामों पर बेचना चाह रहे हैं। अगर कोई अपनी जमीन बेचना चाह रहा है तो
इसमें मंदिर प्रबंधन के पेट में आखिर दर्द क्यों हो रहा है? वह उसकी निजी जमीन
है उसका जो उपयोग उसे करना हो करने के लिए स्वतंत्र है। इस जमीन को सिर्फ 35 लाख रूपए में
खरीदने की चर्चा भी शहर में हो रही है।
श्री मण्डल ने कहा
कि यह सारी बातें वे कहना नहीं चाह रहे थे, किन्तु जब पानी सर के उपर आ जाए तो क्या
किया जा सकता है। अब तो मंदिर प्रबंधन जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद
सरस्वती जी पर ही प्रत्यक्ष परोक्ष तौर पर आरोप प्रत्यारोप पर उतर आया है तब
मजबूरी में उन्हें भी इस तरह का कदम उठाना पड़ रहा है।
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