बारिश में सावधानी
जरूरी
(शरद खरे)
बारिश इन दिनों
पूरे शवाब पर है। बारिश में पानी जिस तेज गति से गिर रहा है उससे जिला हाई अलर्ट
पर माना जा सकता है। सिवनी में छोटे बड़े स्टापडेम भी बने हुए हैं। सिवनी में एशिया
का सबसे बड़ा मिट्टी का बांध ‘संजय सरोवर परियोजनाः भी है। इस बांध में
विशाल जल एकत्र होता है।
12 और 13 जुलाई को हुई जमकर बारिश में केवलारी और
पलारी क्षेत्र में कहर बरपा दिया है। भारी बारिश की चेतावनी मौसम विभाग द्वारा
जारी की गई थी, जिसमें
जबलपुर सहित पांच संभागों में बारिश होने की आशंका व्यक्त की गई थी। मौसम विभाग की
भविष्यवाणी अक्षरशः सत्य ही साबित होती दिख रही है।
कुछ दिन पूर्व जिला
कलेक्टर भरत यादव ने भी भीमगढ़ बांध का निरीक्षण किया था। भरत यादव का कहना था कि
बारिश पूर्व यह निरीक्षण सामान्य निरीक्षण था, जिसमें बांध की
व्यवस्थाएं, जरूरत पड़ने
पर पानी की निकासी आदि व्यवस्थाओं का जायजा लिया जा रहा था।
जिलाधिकारी भरत
यादव की दूरंदेशी की तारीफ करना चाहिए। याद नहीं पड़ता भरत यादव के पूर्व पदस्थ रहे
कलेक्टर्स ने कभी इस ओर ध्यान देकर बारिश के आगमन पर भीमगढ़ बांध जाकर उसका खुद
निरीक्षण किया हो। भीमगढ़ बांध को अगर कुछ हुआ तो सिवनी जिले के केवलारी, बरघाट विधानसभा
क्षेत्र के अनेक गांव सहित बालाघाट और महाराष्ट्र के भंडारा आदि जिलों में जल
प्लावन की स्थिति निर्मित हो जाएगी।
भीमगढ़ बांध, वैसे तो सिवनी से
ही उद्गम होने वाली बैनगंगा नदी पर बनाया गया है। 14 जुलाई तक सिवनी
में हुई भारी बारिश से केवलारी विधानसभा क्षेत्र में बैनगंगा, सागर सहित अनेक नदी
नाले उफान पर हैं। वहीं, छपारा क्षेत्र में भी अनेक ग्रामों में पानी का जलस्तर खतरनाक
के उपर पहुंच चुका है।
सिवनी जिले में
बसाहट के क्षेत्रों में लोगों द्वारा अतिक्रमण कर मकान बना लिए हैं, जिससे पानी का
रास्ता रूक गया है। संभवतः यही यही कारण है कि पानी सड़कों पर बेतरतीब बहता है। जब
बारिश ज्यादा होती है तो यही बेतरतीब बहता पानी रौद्र रूप धारण कर लेता है और
लोगों के लिए यह दुखदायी ही साबित होने लगता है। यही पानी लोगों के घरों में घुसकर
तबाही मचाता है।
जिला मुख्यालय
सिवनी में बारापत्थर के ज्यारत रोड इलाके में डॉ.सलिल त्रिवेदी के बाजू में स्थित
हीरो हाण्डा की एजेंसी के पीछे वाले नाले को भी बेहद सकरा बना दिया गया है। यही
कारण है कि एकता कालोनी के कुछ क्षेत्रों में बारिश में घरों में पानी भरने की
शिकायतें आम हो जाती हैं।
जिला मुख्यालय में
निचली बस्तियों के नदी नालों में भी पानी की निकासी के लिए बनी नालियों पर लोगों
द्वारा पक्के अतिक्रमण कर लिए गए हैं। नेहरू रोड़, जीएन रोड़, बारापत्थर आदि
क्षेत्रों में कमोबेश यही आलम रहता है। शहर की अधिकांश सड़कों पर पानी बहता रहता है
जिससे राहगीर बुरी तरह परेशान होते हैं। बारापत्थर में बाहुबली चौराहे से पुराने
आरटीओ को जाने वाली सड़क तो बारहों माह ही पानी से सराबोर रहा करती है, इस ओर ध्यान देना
किसी ने मुनासिब नहीं समझा है।
हिन्दी महीने के
हिसाब से अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है। सावन और भादों का कहर अभी बाकी है। सावन
भादों की रिमझिम फुहारें और तेज बारिश कहर बरपाएगी इस बात से भी इंकार नहीं किया
जा सकता है। बाढ़ की संभावित स्थिति को देखकर राज्य शासन द्वारा भी एडवाईजरी जारी
की है।
पिछले दिनों की
बारिश इस कदर जबर्दस्त थी कि केवलारी क्षेत्र में रेल की पातों की गिट्टी ही बह गई, जिससे सिवनी से
केवलारी का रेल संपर्क भी टूट गया। बारिश की तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पानी के वेग को कोई रोक नहीं सकता है इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
अभी बारिश पूरे
शबाब पर नहीं आई है। बारिश का असली रूप तो सावन भादों में देखने को मिलता है।
भीमगढ़ बांध भी लबालब होने की स्थिति में दिख रहा है। इसका पानी छोड़े जाने पर
केवलारी, बरघाट
विधानसभा के अनेक गांवों में कोहराम मच सकता है। बालाघाट जिले में तबाही मच सकती
है।
इसलिए प्रशासन को
बारिश के पूर्व ही माकूल कदम उठाने होंगे। जिले के सरकारी नुमाईंदों को बारिश में
हर तरह से सतर्क और मुस्तैद रहने के निर्देश देने ही काफी नहीं होंगे। जरूरी यह है
कि वे जिलाधिकारी के इन निर्देशों को कितनी संजीदगी से ले रहे हैं इस बात का भी
विशेष ख्याल रखा जाए।
अनेक स्थानों पर
लोग विशेषकर स्कूली बच्चे रपटों या पुलों से पैदल अथवा साईकल से खतरनाक तरीके से
पुल को पार करते हैं, उन पर भी नजर रखी जाए। बारिश में मछली मारने के शौकीन भी ठहरे
या बहते पानी में जान को जोखिम में डालते हैं। मौसम सुहाना होता है अतः लोग सोमरस
का रस्वादन कर ईश्वर की अनुपम देन बारिश का नजारा लेने निकलते हैं, और अपनी जान जोखिम
में डाल देते हैं। इन बातों का ध्यान भी प्रशासन को ही रखना होगा।
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