रायशुमारी: भाजपा में प्रजातंत्र का
अभाव झालका!
बदनामी के डर से मीडिया को रखा
रायशुमारी से दूर!, नरेश नीता हटाओ के लगे नारे
(पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)। विधानसभा चुनावों में
टिकिट वितरण पूर्व भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की औपचारिक रायशुमारी आज
संपन्न हो गई। इस रायशुमारी में मीडिया को दूर ही रखा गया। रायशुमारी स्थल पर नरेश
नीता हटाओ भाजपा बचाओ के गगन भेदी नारे लगाए जाते रहे।
आज अपरान्ह भाजपा के पर्यवेक्षक
डॉ.तेजबहादुर एवं दिलीप परिहार कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए। जबलपुर रोड़ स्थित सांझी
साई लॉन में सुबह से ही कार्यकर्ताओं का जमावड़ा जमकर हो रहा था। दोपहर होते होते
नेशनल हाईवे पर वाहनों की कतारें देखते ही बन रही थी। इन वाहनों में अधिकांश
विलासिता पसंद लोगों के वाहन ही नजर आ रहे थे।
बनाए गए पांच लिफाफे
आज हुई रायशुमारी में सिवनी, बरघाट, केवलारी और लखनादौन विधानसभाओं के लिए
अलग अलग रायशुमारी की गई। इस रायशुमारी में पार्टी के वर्तमान और पूर्व
कार्यकर्ताओं के अलावा मीसाबंदियों से भी तीन तीन नाम मांगे गए थे। इन सभी की राय
को लिफाफे में बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही साथ एक अन्य लिफाफा आम
कार्यकर्ताओं की मंशा का भी बनाया गया जिसमें कार्यकर्ताओं ने अपनी पसंद के
प्रत्याशी का नाम सुझाया। मीसाबंदियों को लाने ले जाने के लिए सरकारी लाल बत्ती के
वाहन का उपयोग चर्चा का केंद्र बना रहा। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार पर्यवेक्षक
द्वय एवं उनके साथ आए पार्षद भी महाकौशल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर
के वाहन में बैठकर रायशुमारी स्थल तक पहुंचे।
देशमुख को बोलने से रोका!
जब पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं को संबोधित
कर चुके तब भाजपा के राधेश्याम देशमुख ने माईक संभाला और पार्टी की वर्तमान हालत
पर प्रकाश डालना आरंभ ही किया था कि पर्यवेक्षक ने उन्हें बोलने से रोक दिया।
पर्यवेक्षक का कहना था कि जिसे जो कहना है वह लिखकर दे दे, उनकी बात उपर तक पहुंचाई जाएगी।
दिखा प्रजातंत्र का अभाव!
आज संपन्न हुई रायशुमारी में एक बात
उभरकर सामने आई कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर प्रजातंत्र में आस्था कम होती जा
रही है। रायशुमारी में आमंत्रितों को तीन तीन नाम लिखकर देने थे। यह मामला पार्टी
स्तर का और गोपनीय था। इस काम के आरंभ होते ही मीडिया को वहां से बाहर का रास्ता
दिखा दिया गया। मीडिया के लोग मुख्य द्वार के बाहर सड़क के आहते में ही खड़े देखे
गए। उपस्थित मीडिया में कुछ इस तरह की सुगबुगाहट भी देखी गई कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों में जहां मतदान के
वक्त सबसे ज्यादा गोपनीयता बरती जाती है वहां मतदान कक्ष में भी मीडिया के प्रवेश
पर पाबंदी नहीं होती है।
पर्यवेक्षक ने दिया आदेश
वहीं समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ने जब इस
बात पर भाजपा के जिलाध्यक्ष नरेश दिवाकर से अपनी आपत्ति दर्ज करवाई गई तो महाकौशल
विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष नरेश दिवाकर ने कहा कि पर्यवेक्षक की मंशा के अनुरूप
मीडिया को रायशुमारी स्थल से बाहर किया गया है।
नरेबाजी संस्कृति का उदय
भारतीय जनता पार्टी को काडर बेस्ड
अनुशासित पार्टी माना जाता है, किन्तु पिछले कुछ सालों से भाजपा में भी
अनुशासनहीनता चरम पर दिखाई दे रही है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 2008 के चुनावों में
तत्कालीन विधायक नरेश दिवाकर की टिकिट काटकर तत्कालीन सांसद श्रीमति नीता पटेरिया
को दिए जाने पर नरेश दिवाकर समर्थकों ने बाहर से आए बड़े नेताओं को सर पर उठा लिया
था। उस वक्त की गई नारेबाजी और अनुशासनहीनता, पोस्टर आदि फाड़े जाने, बी फार्म पर प्रश्न चिन्ह लगाने आदि
जैसी कार्यवाहियों से भाजपा के अंदर एक नई परंपरा का आगाज हुआ। उस वक्त भले ही यह
सब अनुकूल लग रहा हो, किन्तु कालांतर में अब नीता नरेश हटाओ पार्टी बचाओ के नारे उसी
अनुशासनहीनता की परिणति ही माना जा रहा है। सिवनी में भाजपा संगठन को देखकर शीर्ष
नेतृत्व यह बात कतई नहीं कह सकता है कि सिवनी में चाल चरित्र और चेहरे आधारित
राजनीति करने वाली भाजपा का संगठन अस्तित्व में है।
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