पालिका हेल्थ के बीच आरोप प्रत्यारोप का
सबब बना डेंगू अभियान!
रस्म अदायगी बन रही है मलेरिया या डेंगू
के लार्वा की जांच!
(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)
सिवनी (साई)। शहर में मच्छरों की आबादी
दिनों दिन बढ़ रही है, और नगर पालिका तथा स्वास्थ्य विभाग आपस में एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप
मढ़कर अपनी खाल बचाने का कुत्सित प्रयास कर रहे हैं। आज कलेक्टर के समक्ष भी मुख्य
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.वाय.एस.ठाकुर तथा मुख्य नगर पालिका अधिकारी
सी.के.मेश्राम के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता रहा।
कलेक्टरेट के सूत्रों ने समाचार एजेंसी
ऑफ इंडिया को बताया कि शहर में डेंगू और मलेरिया की भयावह स्थिति को देखकर
संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव ने सीएमओ पालिका और स्वास्थ्य को तलब किया। दोनों
ही से शहर की स्थिति की ताजा जानकारी और स्पष्टीकरण जिला कलेक्टर द्वारा मांगे गए।
सूत्रों के अनुसार जिला कलेक्टर जैसे
जिले के शीर्ष अधिकारी की वरिष्ठता को भी दरकिनार कर दोनों ही सीएमओ एक दूसरे पर
आरोप प्रत्यारोप में उलझ गए। सूत्रों की मानें तो दोनों ही ने इस काम के लिए एक
दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हुए अपना दामन बचाने का प्रयास किया।
उधर, शहर में डेंगू और मलेरिया का कहर जारी
है। देर से ही सही स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए उपाय
आरंभ किए हैं। प्रशासन के उपाय इसलिए नाकाफी माने जा रहे हैं क्योंकि इस काम में
लगे कर्मचारी प्रशिक्षित नही हैं। लोगों के घरों की छतों तक जाने का मार्ग ना होने
से छतों की चेकिंग नहीं हो पा रही है।
दो वार्ड हैं सबसे ज्यादा प्रभावित
मच्छर जनित रोगों मलेरिया और डेंगू से
प्रभावित दो वार्ड ही प्रमुख रूप से अब तक सामने आए हैं। पहला विवेकानन्द वार्ड और
ूदूसरा शहीद वार्ड है। इन दोनों ही वार्डों में स्वास्थ्य विभाग की टीम घरों घर
जाकर मच्छरों का लार्वा एकत्र कर उनकी जांच और मौके पर ही टेमोफॉस नामक दवा से उन्हें
नष्ट कर रही है।
बेबस है टीम
दोनों ही वार्डों में छतों पर जाने का
रास्ता अनेक घरों में ना होने के कारण जांच दल छतों पर नही पहुंच पा रहा है। जिससे
यह पता नहीं चल पा रहा है कि छतों पर मच्छरों का लार्वा है अथवा नहीं। यह टीम
नसेनी, सीढ़ी आदि के अभाव में अपने आप को असहाय ही महसूस कर रही है।
जरूरत है जनजागरूकता की
मच्छर जनित रोगों से निपटने के लिए
लोगों को जागरूक करने की महती जरूरत महसूस की जा रही है। जन जागरूकता के अभाव में
लोगों द्वारा इस तरह की जानलेवा बीमारियों के प्रति ज्यादा जानकारी ना होने से लोग
इसे बेहद हल्के में ले रहे हैं।
डेंगू के लक्षण बताए प्रशासन
प्रभावित वार्डों में ना तो लोगों को यह
पता है कि डेंगू बुखार के लक्षण क्या हैं? यह कैसे फैलता है और इससे बचने के उपाय
क्या हैं? माना जा रहा है कि जनभागीदारी के बिना प्रशासन अगर अपनी ओर से इससे
निपटने का प्रयास युद्ध स्तर पर भी करेगा तो भी उसे पर्याप्त नहीं माना जा सकता
है।
रस्म अदायगी लग रहा है अभियान!
घर-घर जाकर डेंगू का लार्वा की जांच
करने वाला दल क्या पूरी निष्ठा और ईमानदारी से काम कर रहा है? या फिर सिर्फ रस्म अदायगी कर अपने
सरकारी दस्तावेज में आंकड़े एकत्रित कर रहे हैं? यह सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि शहीद
वार्ड और विवेकानंद वार्ड में डेंगू का लार्वा की जांच करने घूम रहे दल के कुछ लोग
घरों में जाकर सिर्फ मुखिया का नाम लिख रहे हैं।
इसके अलावा न तो वह कंटेनरों में लार्वा
की जांच कर रहे हैं और न ही गंदगी की? ऐसे में जांच दल द्वारा स्वास्थ्य विभाग
को जो आंकड़े सौंपे जा रहे हैं, उनमें सच्चाई कितनी है? यह भी जांच का विषय है। गत दिवस एक
सेवानिवृत्त शिक्षक के घर में भी ऐसा ही हुआ, जहां डेंगू लार्वा की जांच करने गये दल
ने महिलाओं से घर के मुखिया का नाम पूछा और अपने कागज में अंकित किया और वापस आ
गये, ऐसे में डेंगू लार्वा की जांच करने वाले दल की कार्यप्रणाली सिर्फ रस्म
अदायगी ही समझ में आती है और कुछ नही।
रोजाना करें रिपोर्ट सार्वजनिक!
डेंगू वाकई बहुत ही खतरनाक माना जाता
है। स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि रोजाना कितनी रक्त पट्टिकाओं की जांच की गई, कितने घरों में लार्वा की जांच की गई? कितने घरों में मलेरिया के, कितने घरों में डेंगू के लिए जिम्मेदार
मच्छरों के लार्वा मिले, इस बारे में रोजाना जनसंपर्क विभाग के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग को
अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक करना चाहिए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें