भाजपा विधायकों की
टिकिट पर संकट के बादल!
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)।
भारतीय जनता पार्टी और शिवराज सिंह चौहान अपनी हैट्रिक बनाने के चक्कर में अब नए
नए फार्मूलों पर विचार कर रहे हैं। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि इस बार सत्तारूढ़
विधायकों में उन पर गाज गिरने की संभावना ज्यादा बताई जा रही है जिनकी जीत का अंतर
पंद्रह हजार से कम रहा है।
भारतीय जनता पार्टी
के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिन विधायकों ने 15 हजार से कम जीत का
अंतर दर्ज किया है,
एवं विधानसभा क्षेत्र में जिनका परफार्मेंस पुअर रहा है उनकी
टिकिट काटी जा सकती है। सूत्रों की मानें तो इस बार विधानसभा में अपने अपने
क्षेत्र के प्रति विधायक प्रश्न पूछने में कितने ज्यादा जागरूक रहे हैं इसे भी
क्राईटेरिया बनाया जा सकता है।
सूत्रों ने साई
न्यूज को आगे बताया कि विधायकों द्वारा विधानसभा में अपने विधानसभा क्ष़्ोत्र के
प्रति पूरी तरह उदासीन रहने के कारण विधायकों के प्रति क्षेत्र में जमकर नाराजगी
देखी जा रही है। यही कारण है कि जिन क्षेत्रों में सत्तारूढ़ विधायकों के खिलाफ
माहौल खदबदा रहा है उन क्षेत्रों में नए चेहरों को प्रथमिकता दी जा सकती है।
सिवनी जिले की
लखनादौन विधानसभा से शशि ठाकुर को वर्ष 2003 के चुनाव में 36313 मत मिले थे, जबकि उनके
प्रतिद्वंदी राजेश्वरी उइके को 34617 मत मिले थे और श्रीमती शशि ठाकुर गोंगपा से
महज 1696 वोटों से
ही जीती थीं। वर्ष 2008 के चुनाव
में श्रीमती शशि ठाकुर को 46209 मत मिले, जबकि उनके
प्रतिद्वंदी बेनी परते को 41211 मत मिले, इस हिसाब से 4998 मत से ही जीती।
ऐसी ही स्थिति
सिवनी विधानसभा क्षेत्र की है, जहां वर्ष 2003 में भाजपा के नरेश
दिवाकर को 53312 मत मिले
थे, जबकि
कांग्रेस के प्रत्याशी रहे राजकुमार खुराना को 37958 मत मिले थे, जिसमें नरेश दिवाकर
राजकुमार खुराना से 15 हजार 354 वोटों से जीते थे। 2008 में भाजपा ने नरेश
दिवाकर की टिकिट काटकर श्रीमती नीता पटेरिया को दे दिया, जिसमें श्रीमती
पटेरिया को 41928 मत मिले, जबकि उनके प्रतिद्वंदी
निर्दलीय चुनाव लड़े दिनेश राय मुनमुन को 29444 मत मिले। इस चुनाव में श्रीमती नीता
पटेरिया को 12 हजार 484 मतों से ही विजयी
मिली।
भाजपा के बरघाट
विधायक कमल मर्सकोले को 2008 में 61753 मत मिले थे, जबकि उनके
प्रतिद्वंदी कांग्रेस के तीरथसिंह बट्टी को 45943 मत मिले थे, जिसमें कमल को 15810 वोटों से जीत मिली
थी।
भाजपा ने अगर टिकिट
देने में यह फार्मूला अपनाया तो श्रीमती नीता पटेरिया और शशि ठाकुर की टिकिट पर
संकट के बादल मण्डरा सकते हैं। वहीं, विधानसभा में क्षेत्र के बारे में प्रश्न
पूछने में तीनों ही विधायक पूरी तरह फिसड्डी ही साबित हुए हैं। हो सकता है टिकिट
देने के क्राईटेरिए पर एकाध सप्ताह में गाईड लाईन तय हो जाए।
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