मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

महिला वार्ड की मरीज के कपड़े उतरवाए शराबियों ने!

(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। इंदिरा गांधी जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में एक महिला मरीज का चिकित्सकीय परीक्षण के नाम पर उसके कपड़े उतरवाकर दुर्व्यवहार करने का संगीन मामला प्रकाश में आया है। उक्त महिला के साथ छेड़छाड़ करने वाले दो युवक हैं और दोनों ही चिकित्सालय की सुरक्षा में लगे जय अंबे सिक्यूरिटी सर्विस से जुड़े बताए जा रहे हैं।
बताया जाता है कि 16 फरवरी को शाम सात बजे के लगभग जिला चिकित्सालय में प्रथम तल पर स्थित महिला वार्ड में भर्ती एक महिला मरीज, वार्ड में प्रथक से बने कक्ष में अकेली थी। उक्त महिला को अकेला पाकर दो युवक जो शराब के नशे में धुत्त थे बताए जाते हैं वहां पहुंचे और महिला का चिकित्सकीय परीक्षण करने लगे।
पीड़ित महिला ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उन दोनों युवकों ने उक्त महिला से उसकी बीमारी पूछी, फिर उसके कपड़े उतरवाए और उसके गुप्तांगों में हाथ लगाने लगे। महिला द्वारा आपत्ति किए जाने पर उन्होंने कहा कि वे वहां तैनात नर्स से कहकर उसे प्रथक बने कक्ष से अंदर वाले कक्ष में शिफ्ट कराने की बात कहेंगे, क्योंकि वहां वह अकेली है।
उक्त महिला ने बताया कि उस वक्त उसका पुत्र और अन्य परिजन भी वहां मौजूद थे। बताया जाता है कि इसके पहले कि वह बीमार महिला कुछ समझ पाती वे वहां से भाग खड़े हुए। उक्त महिला द्वारा एक आवेदन देकर अपने साथ घटी घटना के बारे में पुलिस को इत्तला भी दे दी गई है।
मामला सिविल सर्जन के पास
इस संबंध में आज जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में तैनात नर्स ने बताया कि महिला के आवेदन को मूलतः सिविल सर्जन डॉ.सत्यनारायण सोनी के पास सुबह ही भेज दिया गया है। इस पर आगे क्या कार्यवाही हुई, वे बता नहीं पाईं। वहीं, दूसरी ओर सिविल सर्जन कार्यालय में शाम को कोई उपलब्ध नहीं होने से इस संबंध में क्या कार्यवाही हुई, पता नहीं चल सका है।
नहीं मिली कोई शिकायत: दाणी
वहीं, दूसरी ओर इस संबंध में जब नगर कोतवाल अमित विलास दाणी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में इस तरह का कोई मामला नहीं आया है। अगर इस तरह का कोई मामला आएगा तो उसकी प्राथमिकी अवश्य दर्ज कर, जांच करवाई जाएगी।
संगीन है मामला
जिला चिकित्सालय के महिला वार्ड में एक महिला मरीज के साथ अगर शाम ढलते ही इस तरह की वारदात को अंजाम दिया जाता है तो निश्चित तौर पर जिला चिकित्सालय प्रशासन पर यह एक बहुत बड़ा सवालिया निशान है। जिला चिकित्सालय में पहले भी महिला कर्मचारियों और मरीजों के साथ छेड़छाड़ के मामले प्रकाश में आते रहे हैं।
लग रहे सीसीटीवी कैमरे
यहां उल्लेखनीय होगा कि जिला चिकित्सालय परिसर के अंदर सुरक्षा को मद्देनजर रखकर क्लोज सर्किट कैमरे लगाने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। जहां-जहां कैमरे लग चुके हैं, वे चालू हैं अथवा शोभा की सुपारी बने हुए हैं, यह बात तो अस्पताल प्रशासन ही बेहतर जानता होगा किन्तु एक महिला मरीज के कपड़े उतरवाने के मामले से यह स्पष्ट होने लगा है कि जिला चिकित्सालय का प्रशासन पूरी तरह से नाकारा हो चुका है।
जय अंबे सिक्यूरिटी पर लगे प्रश्न चिन्ह!
इस मामले में जय अंबे सिक्योरिटी के कारिंदों के द्वारा इस तरह की अश्लील हरकत किया जाना बताया जाता है। इस हरकत से जय अंबे सिक्योरिटी पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि सुरक्षा में लगे कर्मचारियों की भर्ती के पहले उनका चरित्र सत्यापन कराया जाना चाहिए। अगर वे वाकई जय अंबे सिक्योरिटी के कर्मचारी हैं तो उनका चरित्र सत्यापन अवश्य ही कराया गया होगा। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि जिला चिकित्सालय में सुरक्षा का काम निजी तौर पर आउट सोर्स कराया जाकर जय अंबे सिक्योरिटी को दिया गया है।
पूर्व में हुई थी पहल
गौरतलब है कि पूर्व में सिवनी में पदस्थ रहे जिला पुलिस अधीक्षक डॉ.रमन सिंह सिकरवार के कार्यकाल में निजी तौर पर संचालित होने वाली सुरक्षा एजेंसियों का पंजीयन, उनकी जानकारी संबंधित थाने में दिए जाने, और कर्मचारियों के चरित्र सत्यापन के लिए प्रयास किए गए थे। विडम्बना ही कही जाएगी कि उसके बाद से यह कार्य पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। पुलिस सूत्रों का कहना है िकि पुलिस द्वारा इस दिशा में प्रयास ही बंद कर दिए गए हैं, कि किसी के चरित्र सत्यापन के काम को अंजाम दिया जाए।

बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

फोरलेन की आस जगाने दिनेश को साधुवाद

(लिमटी खरे)
सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश राय के विधायक बनने के उपरांत सिवनी जिले के हित में पहला काम जिसे बतौर विधायक उनके द्वारा अंजाम दिया गया हो वह है फोरलेन के मसले में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री वीरप्पा माईली से भेंट। इस भेंट में प्रदेश के निज़ाम शिवराज सिंह चौहान भी उनके साथ ही थे। प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग द्वारा गत दिवस इस संबंध में जारी समाचार में मुख्यमंत्री द्वारा सिवनी के फोरलेन, खण्डवा के सिंगाजी पॉवर प्लांट सहित कुछ अन्य परियोजनाओं में केंद्रीय वन मंत्रालय के अनुमति हेतु चर्चा किये जाने का उल्लेख किया गया है। जनसंपर्क विभाग चूंकि सरकारी तंत्र का हिस्सा है अतः इसकी बात पर यकीन न किए जाने का कोई कारण नहीं बनता है। इसमें विधायक के नाम का उल्लेख न किया जाना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा।
सिवनी के फोरलेन को लेकर वर्ष 2009 से लगातार ही संघर्ष होता रहा है। इस संघर्ष में सिवनी जिले की जनता ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। वर्ष 2008 के दिसंबर में विधानसभा चुनावों के दरम्यान ही इसको रोकने का ताना बाना बुना गया था। इस चुनाव में सिवनी में श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मर्सकोले एवं शशि ठाकुर भाजपा के तो स्व.हरवंश सिंह ठाकुर कांग्रेस से विधायक चुने गए थे। इनके बतौर विधायक के कार्यकाल में भी इस मामले को जोर शोर से उठाया जाता रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हुंकार भरी थी कि भले ही सूरज पूरब के बजाए पश्चिम से निकलना आरंभ कर दे, पर फोरलेन सिवनी से ही होकर जाएगी।
समय बीतता गया और खवासा से बरास्ता सिवनी होकर लखनादौन जाने वाले मार्ग पर जर्जर सड़क ने दुर्घटनाओं में खासा इजाफा कर दिया। जिन वन्य जीवों को बचाने की दुहाई दी जा रही थी, वे तो सुरक्षित रहे पर मनुष्य के जीवन पर इस सड़क से होकर गुजरने में प्रश्न चिन्ह लगने लगे। इस मार्ग के न बन पाने के लिए आरोप प्रत्यारोप के कभी न रूकने वाले दौर आज भी बदस्तूर जारी हैं।
इसी बीच अचानक ही सिवनी से खवासा के हिस्से में मोहगांव से खवासा तक के खण्ड में सड़क पर डामरीकरण होना आरंभ हुआ। यह सिवनी वासियों के लिए सुखद अनुभूति से कम नहीं था। इसके पीछे किसी बड़े अधिकारी के पर्दे के पीछे के निर्देश ही प्रमुख माने गए। सड़क बनी और पुनः जर्जरावस्था को प्राप्त हो गई। सड़क का डामरीकरण एक बात तो तय कर गया कि विवादित खण्ड में सड़क निर्माण वर्ष 2009 से अब तक कई बार किया जा सकता था। वस्तुतः सड़क निर्माण या डामरीकरण न करवाकर दुर्घटनाओं को जानबूझकर ही न्यौता दिया गया है। ऐसा किस कारण किया गया? किसके परोक्ष या प्रत्याक्ष निर्देश पर किया गया? इससे किसे लाभ पहुंचा? यह बात तो भविष्य के गर्भ में ही है। फोरलेन में सिवनी में हुई मौतों के लिए असली गुनाहगार आखिर किसे माना जाए?
2008 से अब तक प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की शिवराज सरकार काबिज है। केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार का कब्जा है। 2013 तक सिवनी में भाजपा के तीन विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, शशि ठाकुर और कमल मर्सकोले ने कभी शिवराज सिंह चौहान को इसके लिए तैयार नहीं किया कि वे उनके साथ दिल्ली जाकर सिवनी के हित वाली फोरलेन के लिए प्रयास करें। इसके लिए गत दिवस सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश राय ने दिल्ली जाकर मुख्यमंत्री के साथ सामंजस्य बैठाकर केंद्रीय वन मंत्री वीरप्पा मोईली से चर्चा कर सिवनी फोरलेन की उम्मीद जगाई है।
निश्चित तौर पर निर्दलीय विधायक दिनेश राय का यह कदम प्रशंसनीय माना जाएगा। दिनेश राय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा केंद्रीय मंत्री वीरप्पा मोईली के साथ चर्चा के कुछ चित्र सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर भी दिखाई पड़े हैं। अभी लोकसभा की पदचाप सुनाई दे रही है। हो सकता है कि सिवनी में महज एक विधायक कमल मर्सकोले की विजय (वही भी कृपांक यानी ग्रेस माकर््स से) होने पर शिवराज सिंह चौहान, सिवनी को लेकर कुछ चिंतित हों, इसलिए उन्होंने दिनेश राय के प्रस्ताव को गंभीरता से लिया हो। चाहे जो भी हो दिनेश राय के इस प्रयास से फोरलेन के मामले में कुछ उम्मीद तो जागी है।
वैसे देखा जाए तो भारतीय जनता पार्टी के नुमाईंदों या विधायक कमल मर्सकोले को मुख्यमंत्री से चर्चा कर उनके साथ दिल्ली जाकर इस मामले में सिवनी का पक्ष रखा जाना चाहिए था, पर हालात देखकर हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि भाजपा द्वारा इस दिशा में किसी भी तरह के प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। रही कांग्रेस की बात तो लगभग नौ माह पूर्व कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह ठाकुर के अवसान के उपरांत कांग्रेस मानों सन्निपात से उबर ही नहीं पा रही है।
देखा जाए तो सिवनी का फोरलेन, लखनादौन में लखनादौन विधानसभा, छपारा में केवलारी विधानसभा (दोनों को मिलाया जाए तो मण्डला सिवनी लोकसभा) के साथ ही साथ सिवनी में सिवनी विधानसभा तथा कुरई में बरघाट विधानसभा (दोनों को अगर मिलाया जाए तो बालाघाट सिवनी लोकसभा) से होकर गुजर रही है। पता नहीं क्यों अब तक के सांसद और विधायकों ने इस ज्वलंत और संवेदनशील मुद्दे पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया है।
बहरहाल, एक बार पुनः इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को साथ लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री वीरप्पा मोईली से चर्चा कर फोरलेन के निर्माण की दिशा में पहल करने और उम्मीद जगाने के लिए सिवनी के निर्दलीय विधायक दिनेश राय वाकई बधाई के पात्र हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सिवनी के विकास हेतु सिवनी की इस जीवनरेखा को पुनः पहले जैसी हरी भरी और तंदरूस्त करने हेतु सिवनी में कांग्रेस और भाजपा द्वारा दलगत राजनीति से उपर उठकर दिनेश राय का साथ दिया जाएगा, क्योंकि यह विकास की सोच है, किसी व्यक्ति विशेष के श्रेय लेने की बात इसमें नहीं की जानी चाहिए।

खुद ही शिकायतें करवा रहे आयुष विभाग के उच्चाधिकारी!

आयुष विभाग के आला अधिकारी बंटवा रहे स्वलिखित जन अभिमत प्रपत्र!

(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। लगता है सिवनी जिले में आयुष विभाग में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आयुष चिकित्सा एवं स्टॉफ के कार्य व्यवहार पर जन अभिमत शीर्षक का एक प्रपत्र मिला है जिसमें आयुष विभाग के किसी उच्चाधिकारी के हाथ से अभिमत लिखा हुआ है। इसमें आयुष विभाग के कर्मचारियों और चिकित्सकों को कटघरे में खड़ा किया जा सकता है।
साई न्यूज को मिले इस जन अभिमत में चिकित्सालय या औषधालय का नाम, ग्राम या नगर, जिला, अभिमत देने वाले व्यक्ति का नाम और चिकित्सक का नाम तथा अभिमतदाता एवं निरीक्षण कर्ता अधिकारी के हस्ताक्षर का कॉलम रिक्त ही रखा हुआ है।
इसमें प्रश्न और उत्तर के कालम में प्रश्न तो बकायदा प्रिंटेड हैं। इसमें पहले प्रश्न कि क्या आप इस अस्पताल में कार्यरत को जानते हैं के अभिमत में हाथ से हां लिखा हुआ है। इसके बाद दूसरे प्रश्न में क्या चिकित्सक नियम पूर्वक अस्पताल में उपस्थित होते हैं के अभिमत में चि.समय पर औषधालय में नहीं आते। परन्तु औष.आते हैं।
इसके तीसरे प्रश्न में क्या अस्पताल रोज खुलता है के अभिमत में हां लिखा हुआ है। चौथा प्रश्न कि आपकी जानकारी के अनुसार चिकित्सा ज्ञान कैसा है के जवाब में हाथ से अच्छा लिखा हुआ है। पांचवा प्रश्न क्या चिकित्सक रोगियों का इलाज करने एवं सलाह देने में रूचि रखते हैं का अभिमत हाथ से चिकित्सा करते हैं के बाद कुछ अस्पष्ट लिखा हुआ है।
छटवें प्रश्न कि चिकित्सक का रोगियों एवं आम जनता के साथ व्यवहार कैसा के जवाब में अभिमत में व्यवहार सामान्य लिखा हुआ है। सातवें प्रश्न में क्या चिकित्सक अस्पताल स निशुल्क दवाईयां रोगियों को देते हैं के अभिमत में लिखा गया है कि पैसा भी लेते हैं के बाद कुछ अस्पष्ट है फिर लिखा हुआ है कि निशुल्क भी देते हैं। अंतिम प्रश्न कि अस्पताल स्टाफ के व्यवहार के संबंध में अभिमत में लिखा गया है कि अच्छा है।
देखा जाए तो यह अभिमत ग्राम या नगर के लोगों से भरवाया जाना चाहिए। किन्तु बताया जाता है कि जिला आयुष अधिकारी के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा अपने ही हाथ से जनता के बजाए अभिमत लिखकर उसकी छाया प्रति बंटवाई जा रही है ताकि आयुष विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जा सके।
जिला आयुष अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विभाग के ही एक आला अधिकारी द्वारा अपनी ही लिखाई में एक प्रपत्र को भरकर इसकी छाया प्रतियां अपने गुर्गों के माध्यम से बंटवाई जा रही है। सूत्रों का दावा है कि अगर इस छाया प्रति में लिखावट की सतही जांच ही कर ली जाए तो आसानी से पता चल सकता है कि किस अधिकारी द्वारा इस काम को अंजाम दिया जा रहा है।
सूत्रों ने आगे बताया कि इस तरह के प्रपत्र जब भरकर उक्त अधिकारी के पास वापस पहुंचते हैं तब उक्त अधिकारी द्वारा मामले की गंभीरता दर्शाकर आपसी रजामंदी से मामले को सुलटा दिया जाता है। इस मामले में कितनी सच्चाई है इस बारे में जब जिला आयुष अधिकारी से संपर्क करने हेतु 07692 220092 पर फोन किया गया तो फोन की घंटी लगातार बजती ही रही, जिसके चलते आयुष विभाग के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो पाया।
संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव से जनापेक्षा है कि इस तरह से अगर कोई अधिकारी अपने ही विभाग के विरूद्ध माहौल बना रहा हो तो उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करें। इसके लिए सबसे पहले निर्धारित जन अभिमत प्रपत्र में लिखवाट का मिलान जिला आयुष अधिकारी कार्यालय के अधिकारियों की लिखावट से अवश्य करवा लिया जाए ताकि यह पता चल सके कि वह कौन सा जिम्मेदार अधिकारी है जो इस तरह के काम को अंजाम देकर विभाग की छवि पर बट्टा लगाने का कुत्सित प्रयास कर रहा है।

रविवार, 9 फ़रवरी 2014

अन्नदाता किसानों की मेहनत के फूट रहे अंकुर!

पिछले साल की अधिकांश धान सड़ चुकीइस साल की धान हो रही अंकुरित
(महेश रावलानी/पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)। देश के अन्नदाता किसान के द्वारा हाड़ तोड़ मेहनत का मेहनताना भले ही उसे मिल चुका हो किन्तु उसकी मेहनत से ऊगी फसल का अंजाम बेहद ही भयानक और दुखदायी रूप से सामने आ रहा है। ठण्ड के मौसम में हुई बारिश और ओस की बूंदों ने धान को अंकुरित करने के लिए उपजाऊ माहौल तैयार किया। अधिकारियों कर्मचारियों की अनदेखी का यह नतीजा निकला कि धान अंकुरित होने लगी है।
जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा पूर्व में कड़े निर्देश‘ जारी कर कहा गया था कि अगर धान गीली हुई तो अधिकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। विडम्बना देखिए धान गीला होना तो दूर धान के अंकुरण की खबरें वह भी छाया चित्रों के साथ मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद भी जिला कलेक्टर द्वारा अब तक इनके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की है।

हजारों क्विंटल धान हो गया है गीला
पिछले दिनों पानी गिरने से नरेला में रखे हजारों क्विंटल धान में से भारी मात्रा में धान बुरी तरह गीला हो चुका है। दिसंबर और जनवरी माह में गिरते पानी में बिना स्टेग को ढके हुए (जबकि ढकने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैप मौजूद थे) धान को खुले में ही रखा गया था। इसके परिणाम स्वरूप धान का अधिकांश हिस्सा गीला हो चुका थाजो अब अंकुरित हो रहा है।

परिवहन का है इंतजार
यद्यपि धान की खरीद समाप्त हो चुकी हैफिर भी जिले भर में धान खरीद केंद्रों पर बारिश के बावजूदधान खुले में बिना बोरा सिले ही रखा हुआ है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दल ने पाया कि जगह-जगह सड़कों किनारे रखे धान में बारिश का पानी बुरी तरह बोरों को भेद चुका है। अनेक सोसायटीज के कारिंदों ने साई न्यूज को बताया कि यहां एकत्र धान में से सत्तर फीसदी धान संग्रहण स्थल तक पहुंचने के उपरांत सड़ ही जाएगाक्योंकि यहां से इन्हीं गीली बोरियों में बारिश का भीगा धान संग्रहण केंद्र पहुंचेगा और वहां बिना सुखाए ही इसे छल्ली बनाकर रख दिया जाएगा। अब जबकि धान अंकुरित हो चुका है तब इस धान के खराब होने के लिए किसे जिम्मेवार ठहराया जाएगा।

कलेक्टरप्रभारी मंत्री कर चुके हैं दौरा
सिवनी में अधिकारियों की लापरवाही की दाद देनी होगी। इसका कारण यह है कि जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा खुद खरीद केंद्र और धान संग्रहण केंद्र नरेला का भ्रमण किया जा चुका है। कलेक्टर द्वारा अवश्यक और कड़े निर्देश‘ देने के बाद भी अधिकारियों के कानों में जूं भी नहीं रेंगी है। वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान मंत्री मण्डल के एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री बालाघाट के विधायक गौरी शंकर बिसेन को दी गई है। बिसेन सिवनी के प्रभारी मंत्री भी हैं। यहां गौरतलब होगा कि गौरी शंकर बिसेन सिवनी जिले के ग्रामीण अंचलों का दौरा कर चुके हैं और उनके संज्ञान में सड़कों किनारे रखे धान की स्थिति आई ही होगी। खाद्यकृषि विभाग के अधिकारियों सहित नागरिक आपूर्ति निगम और विपणन संघ के आला अधिकारियों को न तो कलेक्टर की चिंता है और न ही प्रभारी मंत्री की।

सड़ांध मार रहा है सड़ा धान!
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया का दल जब नरेला में बने स्टेग में पहुंचा तो उसने पाया कि पिछले साल संग्रहित कर रखे धान में से अनेक बोरे धान सड़ चुका है। सड़े बोरे मैदान में यत्र तत्र बिखरे पड़े हैं। यहां तक कि कुछ स्थानों पर तो बोरों के ऊपर फफंूद भी साफ तौर पर दिखाई पड़ रही थी। नरेला से पहले बनाए गए स्टेग में दायीं ओर वाले स्टेग में अंदर घुसते ही कुछ स्टेग के पास सड़ी धान से उठती दुर्गंध अपने आप में यह साबित करने के लिए पर्याप्त मानी जा सकती है कि अधिकारी किसमुस्तैदी‘ के साथ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। सड़े धान की दुर्गंध इतनी तेज उठ रही है कि वहां खड़ा होना भी मुश्किल ही प्रतीत हो रहा है।

जानवर खा रहे धान!
नान के एक कर्मचारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर साई न्यूज को बताया कि नान के द्वारा संग्रहित की जा रही धान के रखरखाव में पर्याप्त अनियमितताएं बरती जा रही हैं। कर्मचारियों के अभाव के चलते दिन हो या रातसंग्रहण क्षेत्र मेें आवारा मवेशी और जंगली जानवर घुसकर स्टेग के बोरों में मुंह मारकर अपना पेट भर रहे हैं। साई न्यूज की टीम ने पाया कि कुछ स्टेग के आसपास भारी मात्रा में धान जमीन पर बिखरी पड़ी हुई थी। कहा जाता है कि अन्न का एक-एक दाना कीमती होता है पर यहां तो अन्न की बरबादी को ही साफ तौर पर रेखांकित किया जा सकता है। अन्न की इस तरह की बर्बादी सिवनी में ही देखने को मिल रही है शेष स्थानों पर शायद ही धान सड़ा हो।

बना रहे पाखड़ धान!
नान के सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि खाली पड़ी भूमि पर बनाए गए स्टेग के आसपास चूहों का साम्राज्य स्थापित हो गया है। देखरेख के अभाव में चूहे अंदर ही अंदर बारदानों को काटकर मौज काट रहे हैं। कुछ ही माहों में ढंके वाले स्टेग में बोरे अंदर ही अंदर धराशाई हो जाते हैं। इस तरह की धान या चांवल टूट की श्रेणी में आता है। जानकारों का कहना है कि इस तरह चूहों के खाने से टूट वाले ब्रोकन राईस या खण्डा और गीली सड़ी धान जिसे पाखड़ कहा जाता है से मैदा का निर्माण किया जाता है और इससे निकलने वाला राईस ब्राण्ड तेल भी बाजार में उपलब्ध होता है। सूत्रों का कहना है कि इस गीली धान को अगर सुखा लिया जाए तो पाखड़ धान कहलाती है और पाखड़ धान बाजार में बिक नहीं पाती है। जानकारों का कहना है कि इस तरह के चांवल को शराब उत्पादन कंपनियां सस्ते में खरीदकर इससे शराब का निर्माण भी करती हैं।

करोड़ों के हो रहे वारे न्यारे
वहीं नान के सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों का ध्यान निर्धारित लक्ष्य (अपना निजी एवं सरकार की ओर से दिया गया) को पूरा करने की ओर ही है। धान किस स्थिति में हैइस बात से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। आलम यह है कि पानी गिरने के बाद न तो नरेला में ही कोई अधिकारी यह जानने पहुंचा कि धान की क्या स्थिति है और न ही ग्रामीण अंचलों में ही संबंधित अधिकारियों ने जाने की जहमत उठाई है। पिछले दिनों वर्ष 2013 में खरीदे गए धान को नया धान बताकर स्टेग में लगाने का मामला भी प्रकाश में आया था। बताया जाता है कि इस मामले को भी दबा दिया गया है।

इंतजार है प्रशासनिक कार्यवाही का
जब धान अंकुरित हो चुकी है तो इससे साफ है कि धान की खरीदपरिवहन और भण्डारण में गंभीर लापरवाही बरती गई है। अन्नदाता किसान की खून पसीने की कमाई को अगर इस तरह लापरवाही से बरबाद किया जाएगा तो निश्चित तौर पर यह अक्षम्य लापरवाही की श्रेणी में ही आएगा। अब लोगों को इंतजार संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के अगले कठोर कदम‘ का ही रह गया है।

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

जिंदगी का गाना…


(कु.दर्शिता श्रीवास्तव)
आओ… और तुम भी गाओ…
जिंदगी का… गाना
छोड़ अपने दिल की,
धुनों का तराना…
आओ… और तुम भी गाओ…
जिंदगी का गाना…
क्योंकि यूंहि हॅंसते-हॅंसते…
एक दिन हमें ऊपर चले जाना…
यही तो रीत है…
इसलिये ये गीत है…
जो है जिंदगी का फसाना…
तो आओ… और तुम भी गाओ…
जिंदगी का गाना…
उदासी के बादलों पे…
खुशी की एक रोशनी पड़ने दो…
जिंदगी को फिर तुम,
इन्द्रधनुष सी खिलने दो…
ज्यादा न सोचो तुम…
बस यूंहि सुर से सुर…
मिलाओ तुम…
मुस्कुराओ तुम…
और गुनगुनाओ तुम…
ये जिंदगी का…
जिंदगी का गाना…
अब उसपे न रोना तुम…
जिसे कभी… सालों पहले…
तुम्हें था पाना…
क्योंकि जो भी है तुम्हारे पास
वही है सबसे कीमती नज़राना…
छोड़ दो अब झूठे बहाने बनाना…
और दिल से गाओ…
ये जिंदगी का गाना…
जिंदगी का गाना…
संपर्क -
जी.ए.डी.कॉलोनी
बारापत्थर, सिवनी (म.प्र.)
(साई फीचर्स)

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2014

महिला शिक्षिका परेशान, बच्चे खा रहे जूते और गालियां

प्रधान पाठक पर लगाए शिक्षिका और विद्यार्थियों ने संगीन आरोप
(अरूण चंद्रौल/रफीक खान)
केवलारी (साई)। केवलारी तहसील में सब कुछ सामान्य नजर नहीं आ रहा है। केवलारी विकासखण्ड के ग्राम कंचनवाड़ा की प्राथमिक शाला में आताताई प्रधान पाठक की हरकतों से महिला शिक्षिका और विद्यार्थी आजिज आ चुके हैं। प्राचार्य पर महिला शिक्षिका के साथ छेड़छाड़ और बच्चों को जूतों से पीटने, गाली बकने के संगीन आरोप लगे हैं।
मध्य प्रदेश शासन के मुखिया तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद अपनी अधूरी छूटी हुई घोषणाओं, वादों को पूरा करने में लगे हैं, और लाडली लक्ष्मी, स्कूल चलंे हम, छात्रवृत्ति, गणवेश, मध्यान्ह भोजन, निःशुल्क शिक्षा सम्पूर्ण मध्य प्रदेश में दिये जाने के लिए भरसक प्रयास करते चले आ रहे है। शिक्षा धन प्रदान करने के लिये अनेंकों योजनाओं के माध्यम से उनका प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है, जिनका लाभ ग्रामीण क्षेत्र के कोने-कोने में बसे बसाहटों के निर्धन छात्रा-छात्राओ को मिल सकें, ऐसा प्रयास किया जा रहा है। दूसरी तरफ उनके इन सब सार्थक प्रयासों पर पानी फेरने के लिए विकास खण्ड केवलारी में एक शिक्षा मन्दिर ऐसा है, जहां पर विद्यार्थियों को शिक्षा के बदले जूते और गालियां मिल रही हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विकास खण्ड केवलारी के ग्राम कंचनवाड़ा की प्राथमिक शाला में तीन शिक्षक पदस्थ हैं, जिसमें से एक प्रधान पाठक टेकचन्द उइके हैं। बतौर एच.एम. की हरकतों से वे सदा ही चर्चा का विषय ही बने हुए हैं। प्रधान पाठक की हरकतों के चलते आज पालक शिक्षक संघ अध्यक्ष धरमसिंग उइके, भोलाशंकर बिसेन जनपद सदस्य सहित चमरूलाल, अंजनी, सुमेन्द्र, सविता दमाहे, फूलकली, रेखाबाई, गंगोत्री, लक्ष्मी, गायत्री बाई, अनीता, शांता बाई चन्द्रकला, कुन्ती बाई, राजकुमार, फूलबती, रतना बाई सहित अन्य पालकगणों ने प्राथमिक शाला पहुंचकर पंचनामा तैयार किया।
इस पंचनामा में कहा गया है कि आज दोपहर वे सभी शाला में पहुंचे और बच्चांे से मिले। इस दल को बच्चों ने बताया कि हर दिन मध्यान्ह भोजन तो समय से मिलता है, किन्तु शाला के प्रधान पाठक टेकचन्द उइके शाला में नहीं आते। बच्चों ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि हेड मास्टर साहेब जब आते भी हैं तो महज एक या दो घण्टे रूकते हैं।
बच्चों ने आगे बताया कि प्रधान पाठक आते हैं और बच्चों के साथ जूते चप्पल, छड़ी डस्टर, जो भी हाथ में आ जाए उससे पीट पीट कर बुरा हाल कर देते हैं। इतना ही नहीं बच्चों को प्रधान पाठक द्वारा गंदी-गंदी गालियां भी बकी जाती हैं।
बच्चों ने बताया कि उन्हें अमानवीय तरीके से डराया धमकाया जाता है। इसमें आगे लेख किया गया है कि कु.रंजीता देशमुख शिक्षिका से जानकारी लेने पर बताया गया कि प्रधान पाठक टेकचन्द उइके उपस्थिति रजिस्टर में ओडी लेकर केवलारी गए हैं। जब दल ने उपस्थिति रजिस्टर देखा तो ज्ञात हुआ कि टेकचन्द उइके के नाम के आगे 5 और 6 फरवरी को सीएल ओडी लिखा है। इसके साथ ही साथ 7 फरवरी में सीएल लिखा गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जांच दल के प्रतिवेदन में लेख किया गया है कि दूसरे सहायक शिक्षक धनश्याम बसोड़ी केवलारी डाइट में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। अध्ययनरत छात्राओं ने बताया कि उनके प्रधान पाठक हमेशा गुस्से में रहते हैं, आते हैं तो गाली गलौच कर चूता चप्पल मारते हैं और टेबिल पर सिर रखकर सो जाते हैं। कुछ देर रूकने के बाद वह स्कूल छोड़कर चले जाते हैं।
बच्चों के अनुसार प्रधान पाठक द्वारा उन्हें पढ़ाया नहीं जाता है। वहीं दूसरी ओर एक महिला शिक्षिका ने बताया कि वे प्रधान पाठक टेकचन्द उइके से बहुत परेशान हो गई हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें शैक्षणिक कार्य करने में परेशानी हो रही है, आये दिन प्रधान पाठक उनके साथ अनावश्यक रूप से अश्लील टीका टिप्पणी, छीटा कशी करते हुए जलील करते चले आ रहे हैं, जिसके कारण वे मानसिक रूप से बेहद तनावग्रस्त चल रहीं हैं।
उक्त शिक्षिका के अनुसार प्रधान पाठक का व्यवहार उक्त शिक्षिका के प्रति कतई अच्छा नहीं है। उन्होंने मौके पर पहुंचे जांच दल को बताया कि प्रधान पाठक उनकी उपस्थिति पंजी की उपस्थिति को काटकर अनुपस्थित दर्शा देते हैं। इतना ही नहीं उन्होेंने प्रधान पाठक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधान पाठक द्वारा उक्त महिला शिक्षिका के प्रति अपशब्दों का प्रयोग किया जाता है, वह भी विद्यार्थियों के सामने। उक्त महिला शिक्षिका के अनुसार प्रधान पाठक उन्हें झूठे आदिवासी मामलों में फंसाने की धमकी भी दिया करते हैं।
उक्त महिला शिक्षिका ने बताया कि उनके द्वारा 11 जून 2013 को ऑनलाईन आवेदन क्रमांक 69049 द्वारा जिला कलेक्टर सिवनी को, 10 जून 2013 को जिला शिक्षा अधिकारी सिवनी को, 24 अप्रैल 2013 को थाना प्रभारी महिला अपराध प्रकोष्ठ सिवनी को, 29 अगस्त 2013 को राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा को भी लिखित शिकायत भेजी जा चुकी है।
हैरान परेशान उक्त महिला शिक्षिका का कहना है कि बार-बार शिकायत के बाद भी उसकी सुनवाई नहीं होने से उसका मनोबल टूटने लगा है। उक्त पीड़ित महिला शिक्षिका ने कहा कि बार-बार शिकायत के बाद भी पता नहीं क्यों उच्चाधिकारी कार्यवाही से कतरा रहे हैं। उक्त शिक्षिका की पीड़ा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने आत्महत्या पर मजबूर होने तक की बात कह डाली।

मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

अंकुरित होने लगी बारिश में भीगी धान!

बार बार चेताने के बाद भी नान, मार्कफेड करते रहे लापरवाही

(अखिलेश दुबे)


सिवनी (साई)। ई-उपार्जन के माध्यम से सरकारी स्तर पर खरीदी गई धान में करोड़ों की चपत लगाई जाने के संकेत मिलने लगे हैं। बारिश में गीली हुई धान के बारे में खबरों के प्रकाशन के बाद भी खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम, विपणन संघ आदि जिम्मेदार विभागों द्वारा कोई कार्यवाही न किए जाने से गीली धान अब अंकुरित होना आरंभ हो गई है। यह अंकुरित धान अब शायद ही किसी काम की बचे।
सिवनी में इस साल लगभग बीस लाख क्विंटल धान की खरीदी ई-उपार्जन के माध्यम से सरकारी स्तर पर की गई है। इस धान के संग्रहण, भण्डारण आदि के बारे में सरकारी दावों और संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव की चेतावनियों की किस तरह धज्जियां उड़ाई गईं, इसका प्रमाण अंकुरित हो रही धान है।

खुली रखरखाव की पोल
पिछले साल सिवनी में भण्डारित लाखों टन धान को मिलिंग के लिए नहीं भेजा जा सका था। इसके चलते जगह जगह स्टेग में पिछले साल का धान ही पड़ा सड़ रहा है। इसकी सचित्र खबर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा पिछले दिनों चित्रों के साथ सिवनी शहर से सटे नरेला में बने स्टेग में भीग रहे धान का समाचार प्रसारित किया गया था। इसके बाद भी न तो जिला प्रशासन द्वारा ही इस संबंध में कोई संज्ञान लिया गया और न ही सांसद विधायकों ने भी इस संबंध में कोई कार्यवाही की है।
धान के भण्डारण में सुरक्षा के अभाव और रखरखाव की पोल भी अब खुलने लगी है। खाद्य विभाग, नागरिक आपूर्ति निगम, विपणन संघ आदि के अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही के चलते ओपन केंप में रखी धान सड़ चुकी है या फिर सड़ने के कगार पर पहुंच चुकी है। आलम यह है कि पिछले दिनों ही लाकर यहां छल्ली बनाकर रखी गई धान में अंकुरण आरंभ हो चुका है।

दस फीसदी धान हो सकती है खराब!
बताया जाता है कि सिवनी में लगभग बीस लाख क्विंटल धान की खरीदी की जा चुकी है। इस धान में से दस फीसदी के लगभग धान खराब होना बताया जा रहा है। धान के स्टेग में ही अंकुरण साफ देखा जा सकता है। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गीली धान की बिना एफएक्यू जांच के ही भण्डारित कर दिया गया है। इस धान के भण्डारण के महज एक माह के अंदर ही गीली धान में अंकुरण आरंभ हो चुका है।

पिछले साल की ही धान का संग्रहण
वहीं बताया जाता है कि धान खरीदी केंद्रों पर धान की खरीदी कागजों पर ही करके उनका परिवहन भी करवा दिया गया है। अब जब बात नरेला के केंप में आकर भण्डारित कर स्टाक दिखाने का आया तो पिछले साल की संग्रहित धान को ही उठवाकर नए स्टेग में रखवाकर उसे नई धान बताकर राशि हड़पने के षणयंत्र का ताना बाना भी बुना गया है। सूत्रों की मानें तो हाल ही में इस तरह का एक मामला प्रकाश में भी आया था जिसे नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों ने, ले देकर रफा दफा कर दिया है।