पिछले साल की अधिकांश धान सड़ चुकी, इस साल की धान हो रही अंकुरित
(महेश रावलानी/पीयूष भार्गव)
सिवनी (साई)। देश के अन्नदाता किसान के द्वारा हाड़ तोड़ मेहनत का मेहनताना भले ही उसे मिल चुका हो किन्तु उसकी मेहनत से ऊगी फसल का अंजाम बेहद ही भयानक और दुखदायी रूप से सामने आ रहा है। ठण्ड के मौसम में हुई बारिश और ओस की बूंदों ने धान को अंकुरित करने के लिए उपजाऊ माहौल तैयार किया। अधिकारियों कर्मचारियों की अनदेखी का यह नतीजा निकला कि धान अंकुरित होने लगी है।
जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा पूर्व में ‘कड़े निर्देश‘ जारी कर कहा गया था कि अगर धान गीली हुई तो अधिकारी कर्मचारियों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। विडम्बना देखिए धान गीला होना तो दूर धान के अंकुरण की खबरें वह भी छाया चित्रों के साथ मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद भी जिला कलेक्टर द्वारा अब तक इनके विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की है।
हजारों क्विंटल धान हो गया है गीला
पिछले दिनों पानी गिरने से नरेला में रखे हजारों क्विंटल धान में से भारी मात्रा में धान बुरी तरह गीला हो चुका है। दिसंबर और जनवरी माह में गिरते पानी में बिना स्टेग को ढके हुए (जबकि ढकने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैप मौजूद थे) धान को खुले में ही रखा गया था। इसके परिणाम स्वरूप धान का अधिकांश हिस्सा गीला हो चुका था, जो अब अंकुरित हो रहा है।
परिवहन का है इंतजार
यद्यपि धान की खरीद समाप्त हो चुकी है, फिर भी जिले भर में धान खरीद केंद्रों पर बारिश के बावजूद, धान खुले में बिना बोरा सिले ही रखा हुआ है। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दल ने पाया कि जगह-जगह सड़कों किनारे रखे धान में बारिश का पानी बुरी तरह बोरों को भेद चुका है। अनेक सोसायटीज के कारिंदों ने साई न्यूज को बताया कि यहां एकत्र धान में से सत्तर फीसदी धान संग्रहण स्थल तक पहुंचने के उपरांत सड़ ही जाएगा, क्योंकि यहां से इन्हीं गीली बोरियों में बारिश का भीगा धान संग्रहण केंद्र पहुंचेगा और वहां बिना सुखाए ही इसे छल्ली बनाकर रख दिया जाएगा। अब जबकि धान अंकुरित हो चुका है तब इस धान के खराब होने के लिए किसे जिम्मेवार ठहराया जाएगा।
कलेक्टर, प्रभारी मंत्री कर चुके हैं दौरा
सिवनी में अधिकारियों की लापरवाही की दाद देनी होगी। इसका कारण यह है कि जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा खुद खरीद केंद्र और धान संग्रहण केंद्र नरेला का भ्रमण किया जा चुका है। कलेक्टर द्वारा अवश्यक और ‘कड़े निर्देश‘ देने के बाद भी अधिकारियों के कानों में जूं भी नहीं रेंगी है। वहीं दूसरी ओर शिवराज सिंह चौहान मंत्री मण्डल के एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री बालाघाट के विधायक गौरी शंकर बिसेन को दी गई है। बिसेन सिवनी के प्रभारी मंत्री भी हैं। यहां गौरतलब होगा कि गौरी शंकर बिसेन सिवनी जिले के ग्रामीण अंचलों का दौरा कर चुके हैं और उनके संज्ञान में सड़कों किनारे रखे धान की स्थिति आई ही होगी। खाद्य, कृषि विभाग के अधिकारियों सहित नागरिक आपूर्ति निगम और विपणन संघ के आला अधिकारियों को न तो कलेक्टर की चिंता है और न ही प्रभारी मंत्री की।
सड़ांध मार रहा है सड़ा धान!
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया का दल जब नरेला में बने स्टेग में पहुंचा तो उसने पाया कि पिछले साल संग्रहित कर रखे धान में से अनेक बोरे धान सड़ चुका है। सड़े बोरे मैदान में यत्र तत्र बिखरे पड़े हैं। यहां तक कि कुछ स्थानों पर तो बोरों के ऊपर फफंूद भी साफ तौर पर दिखाई पड़ रही थी। नरेला से पहले बनाए गए स्टेग में दायीं ओर वाले स्टेग में अंदर घुसते ही कुछ स्टेग के पास सड़ी धान से उठती दुर्गंध अपने आप में यह साबित करने के लिए पर्याप्त मानी जा सकती है कि अधिकारी किस‘मुस्तैदी‘ के साथ अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। सड़े धान की दुर्गंध इतनी तेज उठ रही है कि वहां खड़ा होना भी मुश्किल ही प्रतीत हो रहा है।
जानवर खा रहे धान!
नान के एक कर्मचारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर साई न्यूज को बताया कि नान के द्वारा संग्रहित की जा रही धान के रखरखाव में पर्याप्त अनियमितताएं बरती जा रही हैं। कर्मचारियों के अभाव के चलते दिन हो या रात, संग्रहण क्षेत्र मेें आवारा मवेशी और जंगली जानवर घुसकर स्टेग के बोरों में मुंह मारकर अपना पेट भर रहे हैं। साई न्यूज की टीम ने पाया कि कुछ स्टेग के आसपास भारी मात्रा में धान जमीन पर बिखरी पड़ी हुई थी। कहा जाता है कि अन्न का एक-एक दाना कीमती होता है पर यहां तो अन्न की बरबादी को ही साफ तौर पर रेखांकित किया जा सकता है। अन्न की इस तरह की बर्बादी सिवनी में ही देखने को मिल रही है शेष स्थानों पर शायद ही धान सड़ा हो।
बना रहे पाखड़ धान!
नान के सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि खाली पड़ी भूमि पर बनाए गए स्टेग के आसपास चूहों का साम्राज्य स्थापित हो गया है। देखरेख के अभाव में चूहे अंदर ही अंदर बारदानों को काटकर मौज काट रहे हैं। कुछ ही माहों में ढंके वाले स्टेग में बोरे अंदर ही अंदर धराशाई हो जाते हैं। इस तरह की धान या चांवल टूट की श्रेणी में आता है। जानकारों का कहना है कि इस तरह चूहों के खाने से टूट वाले ब्रोकन राईस या खण्डा और गीली सड़ी धान जिसे पाखड़ कहा जाता है से मैदा का निर्माण किया जाता है और इससे निकलने वाला राईस ब्राण्ड तेल भी बाजार में उपलब्ध होता है। सूत्रों का कहना है कि इस गीली धान को अगर सुखा लिया जाए तो पाखड़ धान कहलाती है और पाखड़ धान बाजार में बिक नहीं पाती है। जानकारों का कहना है कि इस तरह के चांवल को शराब उत्पादन कंपनियां सस्ते में खरीदकर इससे शराब का निर्माण भी करती हैं।
करोड़ों के हो रहे वारे न्यारे
वहीं नान के सूत्रों ने बताया कि अधिकारियों का ध्यान निर्धारित लक्ष्य (अपना निजी एवं सरकार की ओर से दिया गया) को पूरा करने की ओर ही है। धान किस स्थिति में है, इस बात से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। आलम यह है कि पानी गिरने के बाद न तो नरेला में ही कोई अधिकारी यह जानने पहुंचा कि धान की क्या स्थिति है और न ही ग्रामीण अंचलों में ही संबंधित अधिकारियों ने जाने की जहमत उठाई है। पिछले दिनों वर्ष 2013 में खरीदे गए धान को नया धान बताकर स्टेग में लगाने का मामला भी प्रकाश में आया था। बताया जाता है कि इस मामले को भी दबा दिया गया है।
इंतजार है प्रशासनिक कार्यवाही का
जब धान अंकुरित हो चुकी है तो इससे साफ है कि धान की खरीद, परिवहन और भण्डारण में गंभीर लापरवाही बरती गई है। अन्नदाता किसान की खून पसीने की कमाई को अगर इस तरह लापरवाही से बरबाद किया जाएगा तो निश्चित तौर पर यह अक्षम्य लापरवाही की श्रेणी में ही आएगा। अब लोगों को इंतजार संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव के अगले ‘कठोर कदम‘ का ही रह गया है।
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