शुक्रवार, 4 अप्रैल 2014

गौवंश का अवैध परिवहन!

गौवंश का अवैध परिवहन!

(शरद खरे)

प्रदेश का सिवनी जिला मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर अवस्थित है। इस जिले से समीपी प्रदेश में न जाने क्या-क्या जाता है, वह भी संबंधित विभागों की कथित अनदेखी के चलते। इससे प्रदेश को राजस्व की क्षति पहुंचती है, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। प्रदेश की सीमा पर अवस्थित इस जिले में खवासा में जांच चौकियां भी अस्तित्व में हैं। सरकारी नुमाईंदों की आंख में धूल झोंककर या कथित तौर पर अधिकारी कर्मचारी अपनी आंखों में धूल झुकवाकर, न जाने क्या-क्या सीमा पार चला जाता है, पता ही नहीं चल पाता है।
मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से सीमा पार गौवंश का अवैध परिवहन तेजी से हो रहा है। इसके लिए पूर्व में पुलिस प्रमुखों ने उड़न दस्तों का गठन भी किया था। याद पड़ता है कि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक डॉ.रमन सिंह सिकरवार द्वारा सिवनी में पुलिस की इस मामले में खासी खबर ली गई थी। उनके कार्यकाल में गौवंश का अवैध परिवहन लगभग थम सा गया था। इसके बाद पूर्व पुलिस अधीक्षक मिथिलेश शुक्ला द्वारा गौवंश के लिए गठित उड़न दस्ते को भंग कर दिया गया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि यह नियमित प्रक्रिया के तहत किया गया है, पर उसके बाद गौवंश का पकड़ा जाना लगभग बंद हो गया है। मजे की बात तो यह है कि रूटिन प्रोसिस के नाम पर भंग किए गए उड़न दस्ते को दुबारा गठित नहीं किया गया है।
पिछले लंबे समय से सिवनी पुलिस ने गौवंश का अवैध परिवहन नहीं पकड़ा है। इससे लगने लगा है कि गौवंश का अवैध परिवहन रूक गया है। जमीनी हकीकत इससे उलट ही सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि गौवंश का अवैध परिवहन जंगल और सड़क मार्ग से आज भी बदस्तूर जारी है और यह पहले की अपेक्षा आज बहुतायत में हो रहा है। खबरें तो यहां तक भी हैं कि अगर पुलिस इन्हें पकड़ती है तो कुछ व्हाईट कॉलर्स के नाम बताकर या उनसे फोन पर बात करवाकर अवैध परिवहन कर्ताओं द्वारा पुलिस को हड़काया भी जा रहा है।
सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। गाय से मनुष्य को न जाने कितनी जरूरत की और लाभ की चीजें प्राप्त होती हैं। आदि अनादि काल से वेद पुराणों में भी गौवंश की महत्ता को रेखांकित किया गया है। प्राचीन गुरूकुलों में भी गौवंश को चित्रित किया गया है। बावजूद इसके गौवंश का अवैध परिवहन बदस्तूर जारी होना वाकई शर्मनाक ही माना जाएगा। पुलिस द्वारा पकड़े गए गौवंश को गौशालाओं में भेज दिया जाता है। इसका बाद में क्या होता है, इस बारे में सुध लेने की प्रशासन को शायद फुर्सत ही नहीं होती है। वहीं, गौवंश के नाम पर सियासत करने वालों को भी इसकी सुध लेने की फुर्सत तक नहीं दिखती है।

संवेदनशील जिला कलेक्टर भरत यादव और पुलिस अधीक्षक बी.पी.चंद्रवंशी से अपेक्षा है कि जिले में पुलिस को इसके लिए पाबंद किया जाए कि गौवंश का अवैध परिवहन पूरी तरह रूक जाए।

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