आलेख 19 अगस्त 2009
इस तरह किया जा रहा है प्रियदर्शनी के सपनों को साकार
(लिमटी खरे)
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र में जब उनकी अग्रजा प्रियंका वढ़ेरा ने अपनी दादी स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गांधी की साड़ी पहनी तो सारे न्यूज चेनल्स और प्रिंट मीडिया की सुर्खियां बन गईं थीं प्रियंक। मीडिया ने तो प्रियंका में उनकी दादी की छवि तक देख ली थी।श्रीमति इंदिरा गांधी के निधन के उपरांत इस सीट पर उनके वंश का ही कब्जा रहा है। आपको यह जानकर अत्यंत आश्चर्य होगा कि जिस दूरदृष्टा कुशल प्रशासक श्रीमति इंदिरा गांधी के नाम पर कांग्रेस और श्रीमति सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी अपनी राजनैतिक बिसात चला रहे हैं, उनके सपने को ही वे भूल गए हैं।हाल ही में जगदीशपुर के दौरे के दौरान राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर सरेआम आरोप लगाया है कि राज्य सरकार उनके संसदीय क्षेत्र में तीन हजार करोड़ रूपए की पेपर मिल परियोजना को लगने नहीं दे रही है। राहुल का आरोप है कि हिन्दुस्तान पेपर मिल की पूरी योजना तैयार है किन्तु सरकार जमीन मुहैया नहीं करा रही है।राहुल गांधी सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के महासचिव हैं, वे जो भी बात कहेंगे निश्चित रूप से वजनदारी एवं प्रमाण होने पर ही कहेंगे। अमेठी और रायबरेली दोनों ही संसदीय क्षेत्रों में विकास कार्यों में रोड़े अटकाने की बात राहुल गांधी द्वारा कही जाती रहीं हैं, जाहिर है राहुल के पास इसके प्रमाण अवश्य मौजूद होंगे।जब सवाल राहुल गांधी की दादी और पूर्व प्रधानमंत्री प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी की इच्छा का आता है, तो निश्चित तौर पर इस मामले मेंं राहुल गांधी द्वारा सुश्री मायावती को कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकेगा। स्व.श्रीमति गांधी की इच्छा थी कि अमेठी में एक आयुर्विज्ञान महाविद्यालय (मेडीकल कालेज) की स्थापना की जाए।आज लगभग ढाई दशकों बाद भी उनके वारिसान सक्षम होने के बावजूद भी श्रीमति इंदिरा गांधी की इच्छा को पूरा करने में अपने आप को अक्षम पा रहे हैं। इस मामले का रोचक पहलू यह है कि सालों पूर्व बतौर मुख्यमंत्री सुश्री मायावती द्वारा इस मेडीकल कालेज के लिए अनापत्ति भी जारी की जा चुकी है।राज्य सरकार की अनापत्ति के उपरांत मेडीकल काउंसिल ऑफ इंडिया की टीम द्वारा भवन स्थल आदि का निरीक्षण परीक्षण भी किया जा चुका है। कांग्रेसनीत संप्रग सरकार दूसरी मर्तबा सत्ता पर काबिज हुई है, मगर स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी की इच्छा आज भी अधूरी ही है।1980 में अमेठी से सांसद रहे स्व.संजय गांधी की याद को चिरस्थायी बनाए रखने की गरज से संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट ने अमेठी में मेडीकल कालेज खोलने का निर्णय लिया था। 1981 में संजय गांधी अस्पताल के शिलान्यास के समय स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी ने कहा था कि इस अस्पताल में सिर्फ रोगियों का इलाज ही नहीं होगा। यहां मेडीकल कालेज खोला जाएगा जहां से चिकित्सक बनने वाले युवा देश में रोगियों का उपचार करेंगे।प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी के हाथों लगाया गया यह पौधा 1989 में अस्पताल के रूप में आरंभ हो गया। उस दोरान प्रस्तावित मेडीकल कालेज भी कांग्रेस की श्रीमति सोनिया गांधी और भाजपा की श्रीमति मेनका गांधी की परस्पर विरोधी दलों की धुरी की सियासत की भेंट चढ़ गया। बाद में इसका नाम बदलकर स्व. राजीव गांधी के नाम पर कर दिया गया।मजे की बात तो यह है कि राजीव गांधी मेडीकल कालेज के नाम पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अनापत्ति जारी कर दी गई है। कितनी बड़ी विडम्बना है कि गांधी परिवार की बपौती बना रहा अमेठी संसदीय क्षेत्र जिसका प्रतिनिधित्व पूर्व प्रधानमंत्री स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी, स्व.संजय गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री स्व.राजीव गांधी, ने किया हो और कांग्र्रेस के महासचिव एवं कांग्रेस की नजर में भविष्य के प्रधानमंत्री राहुल गांधी कर रहे हों, वह स्व.श्रीमति इंदिरा गांधी के एक सपने को हकीकत में बदलने में पच्चीस साल लगा दे, और फिर भी कामयाम न हो पाएं, तब बाकी देश की उन्नति एवं देश के आखिरी आदमी तक विकास की किरण पहुचाने के कांग्रेस के सपने को दिवा स्वप्न से कम क्या समझा जाए
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सुषमा के पक्ष में बहने लगी बयार
0 सुषमा बन सकतीं हैं भाजपाध्यक्ष!
0 अमेरिकी राष्ट्रपति की तर्ज पर हो सकता है भाजपा में संविधान संशोधन
0 संघ का वरद हस्त भी सुषमा के साथ
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो भारतीय जनता पार्टी को पहली महिला अध्यक्ष के रूप में सुषमा स्वराज मिल सकती हैं। संघ में भी सुषमा को लेकर सकारात्मक बयार बहने लगी है। पार्टी अपने संविधान में संशोधन कर अध्यक्ष का कार्यकाल तीन से घटाकर दो साल और कोई भी नेता अपने जीवनकाल में महज दो बार ही अध्यक्ष रहने की बात ला सकती है।पिछले कुछ सालों में यह बात साफ तौर पर उभरकर सामने आ चुकी है कि देश में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अलावा अगर कोई दूसरा शक्तिशाली राष्ट्रीय दल है, तो वह है, भारतीय जनता पार्टीं। अटल बिहारी बाजपेयी के सक्रिय राजनीति से किनारा करने के उपरांत भाजपा का तेजी से गिरता ग्राफ संघ की पेशानी पर पसीने की बूंदे ला रहा है।संघ के सूत्रों का कहना है कि भाजपा में प्राणवायू फंूकने के लिए संघ ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। आने वाले दिनों में भाजपा नए क्लेवर में दिखे तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। सूत्रों ने यह भी बताया कि सुषमा स्वराज को संघ के आला नेताओं ने बुलाकर इस विषय मेंं समझाईश भी दे दी है।सूत्रों का कहना है कि संघ नेतृत्व ने मध्य प्रदेश में विदिशा से सांसद चुनी गई सुषमा स्वराज को बुलाकर साफ कह दिया है कि वे अपना मन बना लें और पार्टी का नेतृत्व संभालने की तैयारी कर लें, ताकि भाजपा में अमूलचूल परिवर्तन लाया जा सके। वैसे भी सुषमा स्वराज की छवि आम भारतीय नारी की ही मानी जाती है।कुशल वक्ता के तौर पर अपनी छवि बनाने वाली श्रीमति स्वराज के अंदर कुशल प्रशासक के गुण भी हैं। संगठनात्मक क्षमता उनमें कूट कूट कर भरी है, इस बात में कोई संदेह नहीं है। वैसे भी संघ और भाजपा के अंदर कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी की काट के तौर पर कोई तेज तर्रार नेत्री को खोजा जा रहा था।फायर ब्रांड नेत्री उमश्री भारती के शार्ट टेंपर होने के कारण वे सोनिया गांधी की बराबरी का कद नहीं पा सकीं किन्तु धीर गंभीर और सोच समझकर चलने वाली श्रीमति सुषमा स्वराज को भाजपा में आसानी से स्वीकार्यता मिल जाएगी, और वे श्रीमति सोनिया गांधी के सामने खड़े होने का माद्दा भी रखतीं हैं। पूर्व में वेल्लारी में वे लोकसभा में श्रीमति सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव भी लड़ चुकीं हैं।उधर भारतीय जनता पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी अपने संविधान में भी कुछ बदलाव कर सकती है। इसमें अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल से घटाकर दो साल करने पर विचार चल रहा है। इसके साथ ही साथ अमेरिका के राष्ट्रपति की तर्ज पर भाजपाध्यक्ष के लिए भी कुछ पाबंदिया लगाने पर विचार किया जा रहा है।सूत्रों के अनुसार आने वाले दिनों में कोई भी नेता अपने जीवनकाल में महज दो बार ही पार्टी अध्यक्ष बन सकता है। इसके साथ ही साथ लगातार दो बार भी कोई अध्यक्ष नहीं बना रह सकेगा इस तरह की व्यवस्था भी की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि अभी ये सारे तथ्य वैचारिक स्थिति में ही हैं। पार्टी के अंदर इन विषयों पर चर्चा के उपरांत ही इन्हें लागू कराने की दिशा में पहल की जाएगी।
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. . . तो बरगी बांध का जलभराव क्षेत्र हो जाएगा कम
0 रोजाना 3416 टन फ्लाई एश जाएगी जल भराव क्षेत्र में
0 बढ़ जाएगा प्रदूषित पानी और वायू प्रदूषण का खतरा
0 फोरलेन में अडंगा लगाने वाला एनजीओ क्या आगे आएगा पर्यावरण बचाने!
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की घंसौर तहसील में थापर ग्रुप की कंपनी झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा स्थापित किए जाने वाले 600 मेगावाट के पावर प्रोजेक्ट से सिवनी जिले के पर्यावरण को भारी मात्रा में खतरा हो सकता है। इस संयंत्र से निकलने वाली फ्लाई एश की तादाद प्रतिदिन इतनी अधिक होगी कि बरगी बांध के जल भराव क्षेत्र में खासी कमी आने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।मध्य प्रदेश प्रदूषण निवारण मण्डल की आधिकारिक वेव साईट पर इस परियोजना की जनसुनवाई के बारे में प्रकाशित प्रतिवेदन में कहा गया है कि इस संयंत्र के लिए पानी की आपूर्ति 10 किलोमीटर दूर गढ़ाघाट और पायली से रानी अवंतिबाई सागर परियोजना के जल भराव वाले क्षेत्र से की जाएगी। वहीं इसकी कंडिका 5.3 में इसकी दूरी 100 किलोमीटर दर्शाई गई है।इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके इर्द गिर्द कोई राष्ट्रीय स्मारक नहीं है। बताया जाता है कि पायली डेम के पास वाले मंदिर को पुरातत्व विभाग ने अपने संरक्षण में ले लिया है। इस प्रतिवेदन में साफ किया गया है कि हवा का बहाव उत्तर एवं उत्तर पूर्व की ओर होगा।गोरतलब होगा कि प्रस्तावित संयंत्र से उत्तर और उत्तर पूर्व की दिशा में बरगी बांध का सिवनी जिले वाला जल भराव क्षेत्र है। इसमें साफ किया गया है कि प्रतिदिन उत्तसर्जित होने वाली जमीनी राख की मात्रा 853 टन एवं उड़ने वाली राख (फ्लाई एश) की तादाद 3416 टन प्रतिदिन होगी।यहां यह तथ्य भी उल्लेखनीय होगा कि फ्लाई एश थोडी बहुत नहीं वरन 275 मीटर अर्थात लगभग एक हजार फिट उंची चिमनी से उड़ेगी। इस उंचाई से उड़ने वाली राख आसपास के वन, खेती युक्त जमीन और जलाशयों के साथ ही साथ बरगी बांध के भराव वाले क्षेत्र में साल दर साल क्या तबाही मचाएगी इसका अनुमान लगाना मुश्किल ही है।इस तरह साढ़े तीन हजार टन राख रोजाना उड़कर बरगी बांध के सिवनी जिले की सीमा में आने वाले जल भराव के क्षेत्र में जाएगी जिससे बरगी बांध का पानी न केवल प्रदूषित होगा बल्कि राख तेजी से नीचे बैठकर गाद (सिल्ट) की मोटी परत जमा देगी जिससे जल भराव की तादाद काफी हद तक कम हो जाएगी। एक माह में बरगी बांध में एक लाख पांच हजार 896 टन तथा साल भर में यह मात्रा बढ़कर 12 लाख 46 हजार 840 टन हो जाएगी।इस प्रतिवेदन में कहा गया है कि कुछ समय के लिए जल प्रदूषण नहीं के बराबर होगा किन्तु बाद में जल प्रदूषण के बारे में साधा गया मौन संदिग्ध ही प्रतीत होता है। इसके अलावा 853 टन प्रतिदिन निकलने वाली जमीनी राख जो एक माह में ही 26 हजार 443 टन अथवा साल भर में 3 लाख 11 हजार टन राख को कंपनी कहां रखेगी या इसका परिवहन सड़क मार्ग से करेगी या नहीं इस बारे में भी कंपनी का मौन अनेक संदेहों को जन्म देता है।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना स्विर्णम चतुभुZज के अंग उत्तर दक्षिण गलियारे में सिवनी जिले के कुछ किलोमीटर के मार्ग में वन्य प्राणियों और पर्यावरण के नाम पर फच्चर फंसाने वाला गैर सरकारी संगठन वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया क्या पर्यावरण के असंतुलन को साधने भी आगे आएगा यह यक्ष प्रश्न आज भी बरकरार है।
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